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November 8, 2024

कैंची धाम में आज ऐसे उमड़ रहे श्रद्धा और श्रद्धालु, प्रशासनिक व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं की भीड़ व उत्साह के आगे बौनी साबित हो रहीं…

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Kainchi Dham 15 June Mela

नवीन समाचार, नैनीताल, 15 जून, 2024 (Devotees are flocking to Kainchi Dham on Annual)। 20वीं शताब्दी के बड़े आध्यात्मिक गुरु बाबा नीब करौरी के नैनीताल जनपद में जनपद मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर देश में विरले ही मिलने वाली उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के किनारे स्थित विश्व प्रसिद्ध प्रसिद्ध कैंची धाम में शनिवार को हर वर्ष की तरह भव्यता व धार्मिक हर्षोल्लास के साथ वार्षिक महोत्सव मनाया जा रहा है।

इस बार जितनी भारी संख्या में सुबह से ही श्रद्धालु उमड़ रहे हैं वह ऐतिहासिक बतायी जा रही है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं के अपने चार पहिया के साथ दोपहिया वाहनों से भी आने पर पहली बार रोक लगायी है, और सभी श्रद्धालुओं को केवल शटल वाहनों से कैंची धाम पहुंचाया जा रहा है। इसके बावजूद कैंची धाम में दोनों ओर श्रद्धालुओं की 4-4 किलोमीटर लंबी कतारें लगी हुई हैं। देखें वीडिओ :

श्रद्धालु तपती धूप में नंगे पैर भी एक-एक कदम आगे बढ़ते हुए बाबा नीब करौरी की सजीव सी लगने वाली मूर्ति के दर्शन कर रहे हैं और मालपुवों का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। प्रशासनिक व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं की भीड़ व उत्साह के आगे बौनी साबित हो रही हैं। जनपद के एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा, सहित अनेक पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी मौके पर व्यवस्थाओं को बनाने में जुटे हुए हैं।

इधर अपराह्न में शाम पौने चार बजे की जानकारी के अनुसार दोपहर बाद श्रद्धालुओं की संख्या में कमी देखी गयी। खैरना की ओर से श्रद्धालुओं की कतारें सुबह 9 बजे के बाद ही घटनी शुरू हो गयी थी, जबकि समाचार लिखे जाने भवाली की ओर से भी कतार हट गयी, और मंदिर की ओर जाने वाली पुलिया पर श्रद्धालु आराम से गुजर रहे हैं। एसएसपी मीणा ने दावा किया कि 3 लाख के करीब श्रद्धालु दर्शनों के लिये पहुंच रहे हैं। अलबत्ता एसडीएम प्रमोद कुमार एवं अन्य स्थानीय लोगों के अनुसार इस बार श्रद्धालुओं की संख्या डेढ़ लाख तक पहुंच सकती है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष यह संख्या करीब सवा लाख आंकी गयी थी। माना जा रहा है कि इस वर्ष प्रशासनिक सख्ती, दो पहिया वाहनों को भी न जाने देने की वजह से और अन्य दिनों में भी भारी भीड़ को देखते हुए श्रद्धालुओं की संख्या परेशानी से बचने के लिये अपेक्षित संख्या से कम रही है। आगे रविवार के बाद सोमवार को भी ईद के अवकाश होने की वजह से अगले दो दिन भी श्रद्धालुओं की संख्या अधिक रह सकती है।

ऐसे हुई कैंची धाम में बाबा नीब करौरी के मंदिर की स्थापना

(Devotees are flocking to Kainchi Dham on Annual)इस अवसर पर जान लें कि बाबा नीब करौरी कैसे कैंची धाम पहुंचे। बताया जाता है कि 1942 में एक दिन तब कुछ ही घरों के कैंची गांव में रहने वाले पूर्णानंद तिवाड़ी को एक रात्रि खुफिया डांठ नाम के निर्जन स्थान पर एक कंबल ओढ़े व्यक्ति ने कथित भूत के डर से भय मुक्त कराया, और 20 वर्ष बाद लौटने की बात कही। वादे के अनुसार 1962 में वही कंबल ओढ़े व्यक्ति बाबा नीब करौरी रानीखेत से नैनीताल लौटते समय कैंची में रुके और सड़क किनारे के पैराफिट पर बैठ गए और पूर्णानंद को बुलाया।

कहा जाता है कि इससे पूर्व सोमवारी बाबा इस स्थान पर भी धूनी रमाते थे, जबकि उनका मूल स्थान पास ही स्थित काकड़ीघाट में कोसी नदी किनारे था। सोमवारी बाबा के बारे में प्रसिद्ध था कि एक बार भण्डारे में प्रसाद बनाने के लिए घी खत्म हो गया। इस पर बाबा ने भक्तों से निकटवर्ती नदी से एक कनस्तर जल मंगवा लिया, जो कढ़ाई में डालते ही घी हो गया। तब तक निकटवर्ती भवाले से घी का कनस्तर आ गया। बाबा ने उसे वापस नदी में उड़ेल दिया। लेकिन वह घी पानी बन नदी में समाहित हो गया।

इधर जब नीब करौरी बाबा कैंची से गुजरे तो उन्हें कुछ दैवीय सिंहरन सी हुई, इस पर उन्होंने यहां आश्रम बनाने का निर्णय लिया। आश्रम की स्थापना के लिये तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एवं बाद में देश के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने वन भूमि उपलब्ध करायी। इसके बाद 1962 में ही बाबा ने यहाँ आश्रम की स्थापना की। 1964 से मंदिर का स्थापना दिवस समारोह अनवरत 15 जून को मनाया जाने लगा। बाद में 15 जून 1973 को यहां विंध्यवासिनी और ठीक एक साल बाद मां वैष्णों देवी की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई।

बाबा जी कैंची धाम में कई वर्षों तक रहे। वह यहां हर रोज एक कॉपी में ‘राम नाम’ लिखा करते थे। कहते हैं कि बाबा जी 9 सितम्बर 1973 को 10 सितंबर के भी राम नाम लिखकर और 11 सितंबर की तारीख डालकर कैंची से आगरा के लिए लौटे थे, जिसके दो दिन बाद ही अनन्त चतुर्दशी के दिन 11 सितम्बर को वृन्दावन में उन्होंने महाप्रयाण किया। इसके उपरांत बाबा जी की मूर्ति व मंदिर का निर्माण कार्य 1974 में शुरू हुआ और 15 जून 1976 को महाराज जी की मूर्ति की स्थापना और अभिषेक हुआ, जिसके दर्शनों के लिये श्रद्धालु अब सैलाब की तरह उमड़ रहे हैं।

सुनें बाबा नीब करोरी के मुंह से सुनें श्री राम नाम का जाप.. :

सबसे पहले नैनीताल के हनुमानगढ़ी में की थी मंदिर की स्थापना (Devotees are flocking to Kainchi Dham on Annual)

उल्लेखनीय है कि बाबा नीब करौरी कैंची से पहले नैनीताल के हनुमानगढ़ी में मंदिर की स्थापना कर चुके थे। कहते है। नैनीताल के निकट अंजनी मंदिर में बहुत पहले कोई सिद्ध पुरुष आये थे, और उन्होंने कहा था कि एक दिन यहाँ अंजनी का पुत्र आएगा। 1944-45 में बाबा के चरण-पद यहाँ पड़े तो लागों ने सिद्ध पुरुष के बचनों को सत्य माना। इस स्थान को तभी से हनुमानगढ़ी कहा गया, बाद में बाबा ने ही यहाँ अपना पहला आश्रम बनाया, इसके बाद निकटवर्ती भूमियाधार सहित वृन्दावन, लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, बद्रीनाथ, हनुमानचट्टी आदि स्थानों में कुल 22 आश्रम स्थापित किये।

यह भी कहा जाता है कि बाबा अपनी दैवीय ऊर्जा से अचानक ही कहीं भी भक्तों के बीच प्रकट हो जाते थे और फिर अचानक ही लुप्त भी हो जाते थे। यहां तक की वे जिस वाहन में बैठे हो उसका पीछा करने या फिर पैदल चलते समय उनका पीछा करने पर भी वो अचानक ही विलुप्त हो जाते थे। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। (Devotees are flocking to Kainchi Dham on Annual)

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