December 25, 2025

नैनीताल विंटर कार्निवाल ‘शीतोत्सव’ के नए अवतार में स्थापित हुई 1890 से जारी ‘शरदोत्सव’ की परंपरा, कभी वर्ष में 2 बार भी होता था और फ्रांस व हॉलैंड आदि देशों के कलाकार भी होते थे इस आयोजन में शामिल…

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Nainital Culture Chholiya Winter Carnival
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-नगर पालिका से राज्य की ‘सत्ता’ के हाथ में आया यह आयोजन

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 22 दिसंबर 2025 (Nainital Winter Carnival)। नैनीताल में इस वर्ष 22 से 26 सितंबर तक आयोजित हो रहा ‘विंटर कार्निवाल’ और नैनीताल महोत्सव और शाब्दिक अर्थ में ‘शीतोत्सव’ वास्तव 1890 से चली आ रही ऐतिहासिक परंपरा का आधुनिक स्वरूप है। समय-समय पर यह आयोजन इतिहास में ‘मीट्स एंड स्पेशल वीक्स’, नैनीताल महोत्सव, शरदोत्सव, कुमाऊं महोत्सव कहा जाता रहा और नगर पालिका के द्वारा शरदकाल यानी सितंबर-अक्टूबर माह में आयोजित किया जाता रहा।

लेकिन वर्ष 2017 में इस आयोजन में तीन बड़े परिवर्तन हुए। यह शरदकाल की जगह शीतकाल में क्रिसमस-नव वर्ष के पास आयोजित होने लगा, जो इसका नाम शरदोत्सव से विंटर कार्निवाल हो गया, और इसके आयोजन का दायित्व नगर पालिका से जिला प्रशासन के हाथों में चला गया। आइये जानते हैं इस आयोजन का इतिहास।

1890 के ‘मीट्स एंड स्पेशल वीक’ से शुरू हुई थी शरदोत्सव की परंपरा

नैनीताल। नैनीताल में इस वर्ष 2025 में विंटर कार्निवाल का आयोजन वर्ष 2020 के बाद यानी 5 वर्ष के अंतराल में हो रहा है। पूर्व में शरदोत्सव के नाम से विख्यात यह आयोजन प्रदेश ही नहीं देश में अपनी तरह के महोत्सवों का प्रणेता माना जाता है। इतिहास में केवल तीन-चार बार ही पैदा हुए अवरोधों वाले इस ऐतिहासिक आयोजन का आयोजन पूर्व में दशहरे और खासकर दो अक्टूबर के करीब होता था, लेकिन अब यह क्रिसमस-नव वर्ष के मौके पर आयोजित किया जा रहा है।

आयोजन के गौरवमयी इतिहास की बात करें तो 1890 में ‘मीट्स एंड स्पेशल वीक” के रूप में इस आयोजन की शुरुआत हो गई थी। अंग्रेजी दौर में इस आयोजन में इंग्लॅण्ड, फ्रांस, जर्मनी व इटली के लोक-नृत्य होते थे, तथा केवल अंग्रेज और आर्मी व आईसीएस अधिकारी ही भाग लेते थे। 6 सितम्बर 1900 को शुरू हुए इस आयोजन के लिये दिन तय किये गये थे और इन तय दिनों को ‘वीक्स” और ‘मीट्स” नाम देकर आरक्षित किया गया था, ताकि इन तय तिथियों पर अन्य आयोजन न हों। 1925 में इसे ‘रानीखेत वीक” और ‘सितम्बर वीक” के नए नाम मिले।

वर्ष में 2 बार भी होता था यह आयोजन-इंग्लॅण्ड, फ्रांस व हॉलैंड आदि देशों के कलाकार भी होते थे शामिल 

Nainital Winter Carnival Nainital Winter Carnival | नैनीताल में विंटर कार्निवाल का भव्य आयोजन  बॉलीवुड और लोक संस्कृति का संगम1937 तक यह आयोजन वर्ष में दो बार, जून माह में रानीखेत वीक तथा सितम्बर-अक्टूबर माह में आईसीएस वीक के रूप में होने लगे। इस दौरान थ्री-ए-साइड पोलो प्रतियोगिता भी होती थी। इन्हीं ‘वीक्स” में हवा के बड़े गुब्बारे भी उडाये जाते थे, तथा झील में पाल नौकायन प्रतियोगिताएं भी होती थीं। साथ ही डांडी रेस, घोडा रेस व रिक्शा दौड़ तथा इंग्लॅण्ड, फ्रांस व हॉलैंड आदि देशों के लोक नृत्य व लोक गायन के कार्यक्रम वेलेजली गर्ल्स (वर्तमान डीएसबी कॉलेज), रैमनी (वर्तमान सेंट मेरी कॉन्वेंट कॉलेज) आदि की छात्राओं व अंग्रेजों द्वारा होते थे, इनमें भारतीयों की भूमिका केवल दर्शकों के रूप में तालियाँ बजाने तक ही सीमित होती थी।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नैनीताल नगर पालिका के प्रथम पालिकाध्यक्ष राय बहादुर जसौद सिंह बिष्ट ने तीन सितम्बर 1952 को पालिका में प्रस्ताव पारित कर ‘सितम्बर वीक” की जगह ‘शरदोत्सव” मनाने का निर्णय लिया, जो राज्य बनने के बाद भी जारी रहा। वर्ष 1970-71 से पर्यटन विभाग द्वारा इस आयोजन को अपनी ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की गई। 1997 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने नैनीताल के शरदोत्सव को पूरे कुमाऊं मंडल का आयोजन बनाते हुए इसे ‘कुमाऊं महोत्सव” का नाम दिया। जबकि राज्य गठन के बाद वर्ष 2003-04 से इसे वापस ‘नैनीताल महोत्सव” के रूप में मनाया जाने लगा।

आगे यह आयोजन ‘नैनीताल शरदोत्सव” के रूप में मनाया जाने लगा। लेकिन महोत्सव का स्वरुप बड़ा होने व अन्य कारणों से आयोजन में धन की कमी आढे आढ़े आने लगी। स्थिति यह हुई कि नगर पालिका 2006 में कराये गए शरदोत्सव के बिलों के भुगतान आज तक नहीं करा पाई है। ऐसे में वर्ष 2010 में शरदोत्सव की परंपरा टूटी। इसका कारण तत्कालीन नगर पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी द्वारा इस वर्ष कुमाऊँ में बड़ी आपदा का आना (खैरना-काकड़ीघाट के पास सड़क बह जाने, बागेश्वर जिले के सुमगड़ गाँव के सरस्वती शिशु मंदिर की कक्षा में मलवा घुसने से 18 बच्चों के जिन्दा दबने व अल्मोड़ा में भी भरी तबाही) बताया गया।

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2012 में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष श्याम नारायण के नेतृत्व में बनी नयी पालिका बोर्ड शुरू से शरदोत्सव मनाने को उत्सुक नहीं दिखी, लेकिन तत्कालीन राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी के प्रयासों के आगे ‘ना’ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। वर्ष 2014 में कुरैशी गए तो इस वर्ष की देनदारी पालिका चुका नहीं पाई और इस कारण 2015 व 2016 में शरदोत्सव नहीं हो पाया।

हालांकि तब भी इस आयोजन में धनराशि एकत्र करने की बड़ी जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर ही होती थी, ऐसे में वर्ष 2017 में जिला प्रशासन ने बड़ी होशियारी से नैनीताल शरदोत्सव को ‘शीतोत्सव’ (नैनीताल विंटर कार्निवाल) के रूप में पहली बार मनाने की पहल की और इसके आयोजन से नगर पालिका को हटाकर स्थानीय विधायक को इसका संयोजक बना दिया। इस तरह यह आयोजन एक तरह से नगर पालिका की सत्ता से राज्य की सत्ता के हाथ में आ गया।

इसके बाद 2020 तक यह आयोजन चला, लेकिन तब तत्कालीन जिला प्रशासन इस आयोजन के लिये अपरोक्ष तौर पर वैध-अवैध तरीके से धन एकत्र करने से बचते हुए इसके आयोजन पर गंभीर नहीं हुआ, जिस कारण यह आयोजन एक बार फिर अवरुद्ध हो गया। 5 वर्ष बाद यह गतिरोध वर्ष 2025 में टूटा, जबकि बताया जा रहा है कि आयोजन के लिये राज्य सरकार एक बड़ी धनराशि देने जा रही है। यदि यह धनराशि आगे भी मिलती रहेगी तो आयोजन आगे भी जारी रह सकता है, अन्यथा यह आगे भी उस समय के जिलाधिकारियों के प्रयासों पर निर्भर रहेगा।

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