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November 21, 2024

जमरानी बांध (Jamrani Dam) : मिली केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति से 2584.10 करोड़ की मंजूरी

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Jamrani Dam

-मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जताया आभार, प्रधानमंत्री से विगत दिनों में हुई बैठकों में निरंतर इस मामले को उठाते रहे हैं सीएम धामी

नवीन समाचार, देहरादून, 25 अक्टूबर 2023 (Jamrani Dam)। उत्तराखंड के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) को केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री तथा नैनीताल-ऊधमसिंह नगर संसदीय क्षेत्र के सांसद अजय भट्ट ने जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट से हरी झंडी मिलने पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व केंद्रीय जल शक्ति मंत्री का आभार जताया है। 

(Jamrani Dam) केंद्रीय मदद से जमरानी बांध परियोजना के निर्माण में आएगी तेजी - Avikal  Uttarakhandइसे श्री भट्ट के अथक प्रयासों का परिणाम भी माना जा रहा है। बताया गया है कि श्री भट्ट ने सांसद बनने के बाद इस परियोजना की न सिर्फ सक्रिय रूप से पैरवी की बल्कि लोकसभा सदन में भी जमरानी बांध के मुद्दे को उठाया। देखें वीडिओ :

साथ ही केंद्रीय मंत्री बनने के बाद श्री भट्ट ने इसमें और तेजी दिखाई, और प्रस्तावित परियोजना को पीएमकेएसवाई के अंतर्गत स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में वित्तीय स्वीकृति प्रदान किए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित कई विभागों के मंत्रियों और सचिवों से लगातार प्रत्यक्ष मुलाकात कर और पत्राचार कर जमरानी बांध परियोजना की हर संभव पैरवी की। 

श्री भट्ट ने बताया कि सांसद बनते ही उन्होंने फरवरी 2019 में जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग भारत सरकार की सलाहकार समिति द्वारा परियोजना का 2584.10 करोड़ का अनुमोदन किया गया था। फरवरी 2022 में भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत परिचालित पुनरीक्षित कर जल शक्ति मंत्रालय के अध्यक्षता में निवेश स्वीकृत हेतु आयोजित बैठक में जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) का निवेश स्वीकृति हेतु अनुमोदन प्रदान किया गया है।

श्री भट्ट ने अवगत कराया है कि नैनीताल जिले के काठगोदाम से 10 किलोमीटर अपस्ट्रीम में गौला नदी पर 130.6 मीटर की ऊंचाई पर जमरानी बांध का निर्माण प्रस्तावित है। परियोजना से डेढ़ लाख हेक्टेयर कृषि योग्य क्षेत्र सिंचाई सुविधा से लाभान्वित होना है साथ ही हल्द्वानी शहर को वार्षिक 42 एमसीएम पेयजल उपलब्ध कराए जाने तथा 63 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन का प्रावधान है। 

साथ ही इस परियोजना से प्रभावितों का पुनर्वास पुनः व्यवस्थापन अधिनियम 2013 की व्यवस्था के अनुसार होगा इसके लिए पुनर्वास नीति को राज्य कैबिनेट ने पहले ही मंजूरी भी दे दी है। भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रयास से 90-10 के अनुपात में सबपरियोजना बनने मे सहर्ष स्वीकृति दी गयी है। 

यानी जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) पीएमकेएसवाई के अंतर्गत 1730.20 करोड़ रुपये की परियोजना में 90% केंद्र अंश और 10% राज्य अंश के अनुसार वित्त पोषण हेतु पात्र है। शेष धनराशि का वहन संयुक्त रूप से उत्तराखण्ड एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य के साथ किये गये एमओयू के अनुसार किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि अपने हल्द्वानी दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में जमरानी बांध परियोजना के शीघ्र निर्माण हेतु आश्वासन दिया था। इसके पश्चात लगातार बैठकों के बाद आखिरकार जमरानी बहुउद्देशीय परियोजना (Jamrani Dam) को केंद्रीय कैबिनेट से हरी झंडी मिल गई है। 

विदित हो कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वृहद एवं मध्यम ) के अन्तर्गत जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) के वित्त पोषण हेतु निवेश स्वीकृति एवं जल शक्ति मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी। उक्त स्वीकृतियों के उपरान्त पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड, वित्त मंत्रालय भारत सरकार को वित्तीय स्वीकृति हेतु जल शक्ति मंत्रालय द्वारा प्रस्ताव प्रेषित किया गया था। प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय द्वारा इसी वर्ष मार्च माह में आयोजित पीआईबी की बैठक में सहमति व्यक्त की गई।

जमरानी बांध परियोजना से (Jamrani Dam) प्रभावित 351.55 हेक्टेयर वन भूमि सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने हेतु वन भूमि (स्टेज-2) अंतिम स्वीकृति पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा माह जनवरी 2023 में प्रदान कर दी गयी है, जिससे प्रस्तावित बांध निर्माण की राह और आसान होगी तथा परियोजना प्रभावित परिवारों के विस्थापन हेतु प्राग फार्म की प्रस्तावित 300.5 एकड भूमि का प्रस्ताव दिनांक 18.05.2023 को उत्तराखण्ड सरकार की कैबिनेट में पारित किया जा चुका है।

इस प्रस्तावित भूमि को शीघ्र ही सिंचाई विभाग को हस्तांतरित किये जाने के लिए भी कार्यवाही गतिमान है। इसी क्रम में अब इस बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने अपनी हरी झंडी प्रदान कर दी है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी विगत दिनों में प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठकों में जमरानी बांध (Jamrani Dam) की स्वीकृति का अनुरोध लगातार करते रहे हैं। अब,  योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है जिसके बाद पेयजल सहित सिंचाई समस्याओं से लोगों को आने वाले दिनों में राहत मिलना तय है।

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(Jamrani Dam) लंबे समय से अटकी थी परियोजना, सीएम धामी के प्रयासों ने लाया रंग

वर्ष 1975 से वित्त पोषण के अभाव में परियोजना का निर्माण प्रारम्भ नहीं हो सका परन्तु मुख्यमंत्री धामी के सतत् प्रयासों के फलस्वरूप जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) को स्वीकृति प्रदान की गई है। दरअसल, मुख्यमंत्री धामी  इस अति महत्वपूर्ण परियोजना की स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री जी के साथ हुई बैठकों में लगातार अनुरोध करते रहे हैं।

यह भी पढ़ें : एक और कदम आगे बढ़ा, निविदा निकालने की तैयारी (Jamrani Dam)

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 29 सितंबर 2022 (Jamrani Dam)। 1965 में प्रस्ताव बनने से धरातल पर उतरने का इंतजार कर रही जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) के निर्माण की कवायद अब शुरू होने की उम्मीद है। बताया गया है कि जमरानी बांध (Jamrani Dam) के निर्माण के लिए निविदा निकाले जाने की विज्ञप्ति जारी हो चुकी है।

निविदा को आगामी तीन अक्टूबर को उत्तराखंड सरकार की निविदाओं की आधिकारिक वेबसाइट यूकेटेंडर डॉट इन पर अपलोड कर दिया जाएगा। इसके बाद पांच दिसंबर तक आवेदन किए जा सकेंगे। बताया गया है कि इस पूरी परियोजना पर 1828 करोड़ रुपये खर्च होंगे। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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-1965 में बना था प्रस्ताव, 400 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद नहीं लगा एक पत्थर भी

नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 23 मार्च 2022। आजादी के 74 वर्षों में देश में विभिन्न क्षेत्रों में चहुमुखी प्रगति होने की बात कही जाती है। लेकिन नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोक सभा क्षेत्र की जनता विकास के मामले में इतनी खुशकिस्मत नहीं है।

यहां की जनता के 56 वर्ष एक ऐसी परियोजना के इंतजार में बीत गये हैं, जिसका प्रस्ताव 1965 में सर्वप्रथम बना था। इस लोक सभा सीट के बड़े तराई-भाबर क्षेत्र की प्राणदायिनी कही जाने वाली जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) पर इसकी कार्यदायी संस्था सिचाई विभाग की अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1976 से अब तक 178 कर्मचारी, 13 इंजीनियर और 400 करोड़ का खर्चा हो चुका है।

बावजूद बांध के लिए एक पत्थर भी नहीं लग पाया है। और बांध की वर्तमान लागत 3000 करोड़ रुपए तक पहुंच गयी है, जबकि इधर परियोजना की 2584.10 करोड़ रुपये की डीपीआर को मंजूरी और पर्यावरणीय मंजूरी भी मिल गयी है, किंतु धरातल पर कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है।

उत्तराखंड की आर्थिक राजधानी व कुमाऊं मंडल के प्रवेश द्वार हल्द्वानी से लगे भाबर क्षेत्र में लगातार गिरते भूजल स्तर और पेयजल व सिचाई की समस्या का समाधान प्राप्त करने के उद्देश्य से 1965 से प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) इधर देश-प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के ‘दृष्टिकोण पत्र’ में शामिल रही। राज्य सरकार ने करीब पांच दशक बाद बांध की धूल फांकती फाइलें भी खुलवाईं।

और इधर 27 फरवरी 2019 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के द्वारा 2009 में पर्यावरण के लिए हुई जन सुनवाई को ही आधार मानते हुए पर्यावरण की सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने और केंद्रीय जल आयोग से चार फरवरी 2019 को इसकी 2584.10 करोड़ रुपये की डीपीआर को मंजूरी मिलने की बात भी कही जा रही है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि धरातल पर आज तक भी इस परियोजना में एक ईंट भी नहीं लग पायी है।

यह होगा बांध का स्वरूप

नैनीताल। उत्तराखंड ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए भी बहुउपयोगी साबित होने वाले जमरानी बांध (Jamrani Dam) का निर्माण गौला (गार्गी) नदी पर काठगोदाम से 10 किमी ऊपर, छोटा कैलास की घाटी में विश्वप्रसिद्ध हैड़ाखान बाबा के आश्रम के पास जमरानी ग्राम क्षेत्र में होना है। 130.60 मीटर ऊंचाई वाले प्रस्तावित इस बांध की पत्रावली 1965 में शुरू हुई थी।

प्रस्तावित बांध का निर्माण होने पर उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की करीब 90 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होने का अनुमान है। इसके अलावा बांध के साथ जल विद्युत परियोजना भी बननी प्रस्तावित है, जिससे करीब 30 मेगा वाट बिजली का उत्पादन भी हो सकेगा। साथ ही बांध के जलाशयों में 144.30 मिलियन घन मीटर जल संग्रहित होगा। जिसमें से 54 मिलियन घन मीटर पानी पेयजल के लिए उपलब्ध हो सकेगा।

एक कदम आगे तो एक कदम पीछे…

नैनीताल। बीते एक दशक में जमरानी बांध (Jamrani Dam) की फाइल कुछ तेजी से आगे बढ़ी। 2010 में परियोजना की पुनरीक्षित हाइड्रोलॉजिक रिपोर्ट को केंद्रीय जल आयोग ने अंतिम स्वीकृति प्रदान की थी। इसके बाद उम्मीद जगने लगी थी कि बांध निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। इस के बाद सिंचाई विभाग बांध निर्माण के लिये 351.5 हेक्टेयर वन भूमि को हस्तांतरित कराने में जुटा।

दिसंबर 2010 में पहला प्रस्ताव बनाकर नोडल अधिकारी वन विभाग देहरादून को भेजा गया, जिसमें कुछ सुझाव नोडल अधिकारी के स्तर से मांगे गए। इन्हें भी पूरा कर दिया गया। इसके बाद भी बांध का प्रस्ताव कभी वन विभाग की आपत्तियों तो कभी यूपी के रुचि न लेने के कारण आधी शताब्दी से अटका रहा।

डीपीआर की अब तक की विकास यात्रा :
– जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) को 1975 में सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के बाद 61.25 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए।
– सिंचाई विभाग ने 1981 में गौला बैराज, 440 किमी नहरों, जमरानी कॉलोनी आदि का 25.24 करोड़ रुपये खर्च का का निर्माण किया।
– 1989 में बाँध की 144.84 करोड़ रुपये की डीपीआर भेजी भेजी गई। इस बीच बांध परियोजना की स्वीकृति में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तमाम आपत्तियां लगती रहीं।

– 2015 में परियोजना की लागत 2350 करोड़ रुपये पहुंच गई।
– 20 जुलाई 2018 में 2350 करोड़ रुपये की जगह 2573.10 करोड़ की डीपीआर संशोधित कर केंद्रीय जलायोग को सौंपी गई है।
– फिर 2800 करोड़ की नई डीपीआर केंद्रीय जलायोग को सौंपी।
– जनवरी 2019 में 2954.45 करोड़ रुपये की डीपीआर सौंपी।
– चार फरवरी 2019 को 2584.10 करोड़ रुपये की डीपीआर पर लगी मंजूरी की मुहर। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) पर आगे बढ़ता दिख रहा नैनीताल जिला प्रशासन

-डीएम ने पुनर्वासन एवं पुर्नव्यवस्थापन के लिए राजस्व उपनिरीक्षकों की तैनाती के निर्देश
-डीएम ने कहा पूर्व में की गई वीडियोग्राफी के बाद हुए निर्माणों का मुआवजा नहीं मिलेगा
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 20 सितंबर 2022। जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) के लिए अब भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुर्नव्यवस्थापन के कार्य अब शुरू होने जा रहे हैं।

जनपद के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल ने जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) से संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि धारा 16 के अंतर्गत भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुर्नव्यवस्थापन की योजनाएं बनाने के लिए राजस्व निरीक्षकों की नियुक्ति करें, ताकि पुनर्वासन एवं पुर्नव्यवस्थापन के कार्यों को तेजी से प्रारम्भ किये जा सकें। इसके अलावा उन्होंने यह भी निर्देश दिये हैं कि प्रभावी क्षेत्र में निर्माण कार्यों हेतु आवश्यक दस्तावेजों की जो भी जरूरत पडे़गी उसके लिए घर-घर जाकर संबंधितों से आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

डीएम गर्ब्याल मंगलवार को जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) के अंतर्गत भूमि अर्जन, पुनर्वासन एवं पुर्नव्यवस्थापन के संबंध में संबंधित अधिकारियों के साथ जिला कार्यालय नैनीताल के सभागार में समीक्षा कर रहे थे। बैठक में जमरानी बॉध परियोजना (Jamrani Dam) के निदेशक हिमांशु पंत ने अब तक जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam) क्षेत्र के अंतर्गत पुनर्वासन एवं पुर्नव्यवस्थापन द्वारा किये जा रहे कार्यों की विस्तृत रूप से जानकारी दी।

डीएम ने बताया कि आगे इस संबंध में आगामी 24 सितंबर को जमरानी बांध (Jamrani Dam) परियोजना के संबंध में जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय हल्द्वानी में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जायेगी, जिसमें धारा 11 के अंतर्गत जो भी आपत्ति होगी उसके संबंध में विचार-विमर्श करते हुये उनका निराकरण किया जायेगा।

उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति इस संबंध में अपनी बात रखना चाहते हैं, तो वे बैठक में उपस्थित होकर अपनी बात रख सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रभावित क्षेत्र में जो लोग पूर्व में निवास करते आ रहे हैं। उनका खाता खतौनी, खसरा के हिसाब से ड्रोन के माध्यम से वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी पूर्व में की जा चुकी है।

यदि इसके उपरांत किसी व्यक्ति द्वारा उस क्षेत्र में निर्माण कार्य किया गया हो तो उसको पुनर्वासन एवं पुनर्व्यवस्थापन एवं मुआवजे का लाभ नहीं दिया जायेगा। बैठक मे एडीएम शिवचरण द्विवेदी, अशोक कुमार जोशी, डीआरओ सीएस कांडपाल, तहसीलदार नवाजिश खालिक, क्षेत्रीय अभियंता भास्कर जोशी, पटवारी प्रमोद जोशी, गंगा दत्त पलड़िया, जिलेदार सुभाष तिवारी सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : जमरानी बांध (Jamrani Dam) पर बड़ा समाचारः मुआवजा, पुर्नवास, पुनःस्थापन व ढांचागत विकास पर खर्च होंगे 4.743 अरब रुपये से अधिक

-425 परिवारों के 821 खातेदार आएंगे जद में

नवीन समाचार, नैनीताल, 1 जनवरी 2019। जनपद में प्रस्तावित अति महत्वाकांक्षी जमरानी बांध (Jamrani Dam) निर्माण क्षेत्र की जद में 425 परिवारों के 821 खातेदार आ रहे हैं, उन्हें सामाजिक, आर्थिक व अन्य नियमानुसार सुविधाएं मुहैया करायी जायेंगी। बताया गया कि बांध के प्राथमिक सर्वे के अनुसार भूमि अधिग्रहण एवं प्रभावित संपत्ति की मुआवजा लागत 18938.04 लाख तथा पुर्नवास एवं पुनःस्थापन की अनुमानित लागत 21917.19 लाख रूपये आंकी गयी है।

जबकि ढांचागत विकास हेतु 6575.16 लाख रुपये अनुमानित है। यानी मुआवजा, पुर्नवास, पुनःस्थापन व ढांचागत विकास पर 4.743 अरब रुपये से अधिक धनराशि खर्च की जाएगी। डीएम ने बताया कि जमरानी बांध क्षेत्र के अप स्ट्रीम एवं डाउन स्ट्रीम का सर्वे पूर्ण हो चुका है।

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डीएम सविन बंसल ने बुधवार को जिला कार्यालय सभागार में जमरानी बांध (Jamrani Dam) क्षेत्र के सर्वे कार्य की समीक्षा करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि सर्वे टीम त्रुटिरहित सर्वे करे ताकि किसी भी परिवार एवं खातेदार को किसी भी प्रकार का नुकसान न उठाना पड़े।

इसके लिए एडीएम, एसडीएम एवं गठित कमेटी गांवों में जाकर गांववासियों के साथ बैठकें कर उन्हें बांध संबंधी जानकारियां देते हुए विस्थापन, पुर्नवास एवं अवस्थापना हेतु सरकार द्वारा मुहैया करायी जाने वाली सुविधाओं की विस्तृत जानकारियां दें। जन सुनवाई में क्षेत्रवासियों द्वारा की जाने वाली मांगों, समस्याओं व सुझावों को लिखित मे दर्ज करें।

उन्होंने बताया कि क्षेत्रवासियों की सुविधाओं हेतु उनकी मांग एवं आवश्यकतानुसार हैडाखान में आयुर्वेदिक चिकित्सालय में सीएससी सेंटर खोल दिया गया है। छोटा कैलाश-उडुवा पैदल मार्ग हेतु 10 लाख रूपये, प्राथमिक विद्यालय उडुवा में शिक्षक की तैनाती के साथ ही जूनियर एवं प्राथमिक विद्यालय के मरम्मत हेतु धनराशि अवमुक्त कर दी गयी है।

बैठक में जमरानी बांध (Jamrani Dam) परियोजना के अधीक्षण अभियंता संजय शुक्ल ने बताया बांध निर्माण के साथ ही 3-जमरानी नहर, तराई फीडर नहर व कटना फीडर नहर भी बनाई जायेगी। इस पर डीएम बंसल ने नहर निर्माण में अधिक से अधिक सरकारी तथा कम से कम नाप भूमि लेने के निर्देश दिए। बैठक में एडीएम एसएस जंगपांगी, एसडीएम विनोद कुमार, विजय नाथ शुक्ल, एसई संजय शुक्ल आदि अधिकारी मौजूद रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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-एडीबी केंद्र को इसके लिए कर्ज देने को तैयार, सिंचाई विभाग की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने परियोजना को मंजूरी दे दी
नवीन समाचार, देहरादून, 18 दिसंबर 2019। जमरानी (Jamrani Dam) बहुद्देश्यीय परियोजना तराई भाबर की लाइफ-लाइन है। 9 किलोमीटर लंबे, 130 मीटर चौड़े और 485 मीटर ऊंचे इस बांध के निर्माण से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा। इस बांध के बनने से तराई- भाबर के क्षेत्रों हल्द्वानी, काठगोदाम, और उसके आस-पास के क्षेत्रों को ग्रेविटी वाटर उपलब्ध होगा। मुख्यत: ऊधमसिंहनगर जिले में सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

हल्द्वानी और उसके आस-पास के क्षेत्रों में नलकूपों का जल स्तर नीचे होने के कारण पानी की उपलब्धता में समस्या आ रही थी, इससे रिचार्ज बढ़ेगा, स्वच्छ पेयजल लोगों को उपलब्ध होगा एवं भूमि की सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में जल मिलेगा। आगामी 75 वर्षो के लिए 24 घंटे उपभोक्ताओं को पानी उपलब्ध होगा। इस बांध से भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर नैनीताल को भी पानी दिया जा सकता है। इस परियोजना का सबंधित क्षेत्रों के सामाजिक व आर्थिक जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

जमरानी बांध (Jamrani Dam) के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय में केंद्रीय वित्त की सचिव सिंचाई भूपेंद्र कौर के साथ सिंचाई विभाग की बैठक में वित्त मंत्रालय ने इसे मंजूरी दे दी है। जमरानी बांध (Jamrani Dam) परियोजना के लिए केंद्र सरकार ने 2584 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की है। एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) इस परियोजना के लिए केंद्र सरकार को कर्ज देने को तैयार हो गया है।

एडीबी के अधिकारी क्रिसमस की छुट्टियों के बाद प्रदेश के सिंचाई विभाग के सचिव व अभियंताओं के साथ बैठक कर बांध क्षेत्र का जायजा लेंगे ताकि बांध का काम तुरंत शुरू हो सके। योजना के पहले और दूसरे चरण में टनल निर्माण का काम होगा इसके बाद पानी के डायवर्जन के लिए हॉर्स-शू-शेप के टनल बनाए जाएंगे जिनका व्यास 6.5 मीटर और लंबाई 565 मीटर होगी। तीसरे चरण में कॉफर डैम बनाया जाएगा जिससे पानी टनल में जाएगा।

तीसरे व चौथे चरण में मुख्य बांध का निर्माण होगा। अंतिम चरण में पावर हाउस निर्माण व अन्य अवशेष काम पूरे किए जाएंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने इस परियोजना को मंजूरी देने पर केंद्र का आभार जताया है। अजय भट्ट का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उन्होंने क्षेत्र की जनता से इस बांध के निर्माण का वादा किया था जो अब पूरा हो गया है। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था।

संसद पहुंचने पर उन्होंने पहले सत्र में ही जमरानी बांध (Jamrani Dam) का मामला उठाया था। जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड के सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर तुरंत कार्यवाही शुरू की जिसके बाद सारी दिक्कतें दूर होती गई। जल्द ही बांध के विस्थापित होने वालों के पुनर्वास का काम शुरू होगा। कैचमैंट एरिया ट्रीटमेंट के लिए वन विभाग को पहले ही सरकार ने 89 करोड़ रुपये दे दिए हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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मिल गई केंद्र सरकार से अंतिम पर्यावरणीय अनुमति
नवीन समाचार, नैनीताल, 12 दिसंबर 2019। 1965 में पहला प्रस्ताव बनने के बाद से, यानी 54 वर्षों से लंबित जमरानी बांध (Jamrani Dam) परियोजना के निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण मामले की अंतिम मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही बांध के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है।

बताया गया है कि गत मंगलवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री बाबुल सुप्रियो के हस्ताक्षरों के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के हस्ताक्षरों के लिए उनके कार्यालय में भेज दी गई थी। बृहस्पतिवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हस्ताक्षर कर जमरानी बांध के निर्माण के लिए पर्यावरण की अंतिम मंजूरी भी दे दी है। अब इस फाइल को नीति आयोग को सौंपा जाएगा।

उल्लेखनीय है कि अब तक बांध परियोजना के लिए पर्यावरण को लेकर सशर्त मंजूरी मिली थी। उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार ने जमरानी बांध (Jamrani Dam) परियोजना के काम में तेजी लाने के लिए हाल में कर्मचारी तैनात कर दिये हैं। परियोजना को लेकर इन दिनों सिंचाई अधिकारी दिल्ली में विभिन्न मंत्रालयों की एनओसी लेने का काम कर रहे हैं, जबकि परियोजना से जुड़े कार्मिक पुनर्वास समेत कई बिंदुओं पर सर्वे कार्य में लगे हैं।

परियोजना के इन सभी कार्मिकों को सरकार की स्थानांतरण पॉलिसी से मुक्त कर दिया गया है। यानी ये सभी कार्मिक बांध परियोजना का निर्माण पूरा होने तक कहीं भी स्थानांतरित नहीं किए जा सकेंगे। इसका शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। आगे 18 दिसंबर को दिल्ली में जमरानी बांध (Jamrani Dam) के संबंध में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक होनी है। उस बैठक में प्रदेश की सिंचाई सचिव भूपिंदर कौर औलख भी मौजूद रहेंगी, जिसमें जमरानी बांध परियोजना के लिए धन की मंजूरी दिलाने की विशेष प्रयास किए जाएंगे।

विस्थापन के लिए 5 गांवों के 587 परिवार हुए चिन्हित, हैड़ाखान धाम सहित 6 धार्मिक स्थल भी होंगे विस्थापित
नैनीताल। प्रदेश के अति महत्वाकांक्षी जमरानी बांध (Jamrani Dam) के निर्माण के लिए बांध से आगे गौला नदी के किनारे बसे तिलवाड़ी गांव के 157 खातेदार, उडुवा के 106, गनराड़ के 104, पनियाबोर के 75 व पस्तोला के 145 यानी कुल 587 खातेदारों विस्थापन के लिए चिन्हित किया गया है। इन परिवारों की 8 हैक्टेयर भूमि बांध प्रभावित क्षेत्र में आ रही है।

डीएम सविन कुमार बंसल ने बताया कि बांध का निर्माण भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकता में शामिल हैं। बांध निर्माण से पहले जमरानी (Jamrani Dam) क्षेत्र में रह रहे परिवारों को विस्थापित किया जाना है। बताया कि जमरानी (Jamrani Dam) क्षेत्र के 6 में से 5 गांवों उडुवा, गनराड, पनियाबोर, पस्तोला, तिलवाडी में सर्वे कार्य लगभग पूरा हो चुका है तथा मुरकुड़िया में सर्वे कार्य गतिमान है।

बताया कि धार्मिक आस्था का प्रसिद्ध केंद्र हैड़ाखान धाम मंदिर तथा 6 अन्य धार्मिक स्थल भी प्रभावित क्षेत्र में आ रहे हैं। इन धार्मिक स्थलों के मुआवजे के निर्धारण के लिए एनएचएआई तथा लोनिवि के अधिकारियों से गाईड लाईन प्राप्त की जा रही है। बताया कि सिंचाई विभाग केे पूर्व में किये गए एकल सर्वे में प्रभावित परिवारों की संख्या 320 थी, लेकिन वर्तमान में सिंचाई एवं राजस्व विभाग के संयुक्त सर्वे में परिवारों की संख्या 384 हो चुकी है। अलबत्ता प्रभावित क्षेत्रफल 23 हैक्टेयर से घटकर 8 हैक्टेयर होना प्रकाश में आया है।

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-माले प्रत्याशी पांडे ने कहा, माले के संघर्ष के कारण बाहर निकली जमरानी बांध (Jamrani Dam) की फाइल
नवीन समाचार, नैनीताल, 7 अप्रैल 2019। भाकपा माले प्रत्याशी कामरेड डा. कैलाश पांडे के समर्थन में रविवार को नगर के मल्लीताल स्थित रामलीला मैदान में जनसभा आयोजित हुई। इस मौके पर पांडे ने कहा लाल झंडे की जीत का मतलब लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती होगा। दावा किया कि माले के संघर्ष के कारण ही जमरानी बांध (Jamrani Dam) की फाइल बाहर निकली है।

भले बाम दल राज्य में बड़े बांधों के विरोधी रहे हों लेकिन 130.60 मीटर ऊंचे व 2584.10 करोड़ रुपये के जमरानी बांध (Jamrani Dam) पर उनका स्टेंड अलग है। पांडे ने कहा कि पार्टी ने एनडी तिवारी के शासनकाल में जमरानी बांध पर एसडीएम कोर्ट हल्द्वानी के समक्ष 72 घंटे का धरना भी दिया था। बाम दल बड़े बांधों के खिलाफ जरूर हैं, पर जमरानी बांध के विरोध में नहीं हैं। कहा कि यह क्षेत्र की जरूरत है और दावा किया कि इसके बनने से नदी में पानी चलता रहेगा।

इसके अलावा कॉमरेड पांडेय ने कहा “जिस तरह से पिछले पाँच सालों में देश की लोकतंत्र पर हमले हुए हैं, और संविधान को ताक पर रख दिया गया है ऐसे में लोकतंत्र को बचाने का सवाल इस चुनाव का एक प्रमुख सवाल बन गया है। वोट देते समय यह जेहन में रखा जाना चाहिए कि कौन लोग हैं जो लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ इस फासीवादी सरकार से लगातार लड़े।

तब आप पाएंगे कि यह लाल झंडा ही था जिसने पूरे देश में यह लड़ाई जारी रखते हुए मोदी सरकार को हर मोर्चे पर चुनौती दी है। इसलिए लाल झंडे की मजबूती का मतलब है लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती।” उन्होंने कहा कि, “पूरे तराई-भाबर में पानी का संकट गहरा रहा है. भाकपा (माले) के संघर्ष के बाद जमरानी बांध (Jamrani Dam) की फ़ाइल बाहर निकली थी. उसके बाद हर पार्टी इस मुद्दे पर बोलती रही,परंतु कार्यवाही के नाम पर कुछ नहीं हुआ।

भगत सिंह कोश्यारी ने पिछला चुनाव जमरानी बांध (Jamrani Dam) के सवाल पर लड़ा, लेकिन न तो उन्होंने इस सवाल पर कुछ किया, न मोदी अपनी दो सभाओं में इस पर एक शब्द बोले.” उन्होंने कहा कि, “बीते पांच साल में एचएमटी फैक्टरी पर ताला लग गया, सिडकुल में फैक्टरियां बन्द हो रही हैं. आशा, आंगनवाड़ी, भोजनमाता जैसे तमाम तबकों को न तो सम्मानजनक वेतन मिल रहा है, न उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिला।

किसान बदहाल हैं गन्ना किसानों का गन्ना खेतों में खड़ा है पर सरकार किसानों के पक्ष में नहीं खड़ी है। डबल इंजन की भाजपा केंद्र और राज्य सरकार हर मुद्दे पर नाकाम रही हैं।”  भाकपा(माले) के राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि, “बेरोजगारी का सवाल आज युवाओं का सबसे बड़ा सवाल है. बेरोजगारी की दर पिछले 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. इसलिए इस चुनाव में असल सवाल चाय और चौकीदारी न हो कर बेरोजगारी है”,

कॉमरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि, “मोदी सरकार का पांच साल का कार्यकाल देश के लिए तबाही सिद्ध हुआ है. नोटबन्दी और जीएसटी ने व्यापार और रोजगार की कमर तोड़ कर रख दी. इस सरकार ने केवल बड़े पूंजीपतियों की तिजोरियां भरने का काम किया है.

रॉफेल में अम्बानी को फायदा पहुंचाने के लिए सब कायदे तक पर रख दिये. रॉफेल देश के इतिहास का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है.” उन्होंने कहा कि, “सभी प्रत्याशियों में कॉमरेड डॉक्टर कैलाश पांडेय सर्वाधिक शिक्षित, योग्य एवं संघर्षशील प्रत्याशी हैं.” एआईपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक गिरिजा पाठक ने कहा कि, “इस समय देश की खेती सबसे भयावह कृषि संकट से गुज़र रही है.

किसान आत्महत्याओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है. उन्होंने कहा कि वनवासियों और वनों पर आश्रित समुदायों के विरुद्ध सरकार दमनकारी नीतियां अख्तियार कर रही है.” प्रख्यात रंगकर्मी जहूर आलम ने कहा कि नैनीताल में ऑडोटोरियम का सवाल तमाम मुख्यमंत्रियों की घोषणा के बाद भी लटका हुआ है. बिजली,पानी के संकट से भी शहर को दो-चार होना पड़ रहा है.

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विरोधी सुर….

इस बांध परियोजना पर पिछले पचास सालो से काम क्यों नही शुरू हो सका? बाँध विरोधियों के इस बाबत अपने तर्क हैं। संयुक्त प्रान्त के प्रधानमंत्री गोविंद बल्लभ पंत, केंद्र में ऊर्जा मंत्री रहे उनके पुत्र केसी पंत और केंद्रीय मंत्री तथा यूपी व उत्तराखंड के सीएम रहे नारायण दत्त तिवारी जैसे इस क्षेत्र के नेता भी इस बांध परियोजना को ठंडे बस्ते में डाले रहे। बांध विरोधियों के द्वारा कहा जाता है कि जमरानी बांध (Jamrani Dam) परियोजना स्थल शिवालिक की पहाड़ियों में प्रस्तावित है।

ये पहाड़ियां भुरभुरी व कमजोर हैं, और इनमें लगातार भूस्खलन होता रहता है। इसलिये ये पानी के भार को सहन नहीं कर पायेगी। जहां बांध की दीवार प्रस्तावित है, उसके आसपास तीन बार बड़ा भूस्खलन हो चुका है। प्रस्तावित बांध स्थल के पास अमिया की पहाड़ी लगातार दरक रही है। जो भी बांध उत्तराखंड में बने है वो शिवालिक की तुलना में मजबूत हिमालयी चट्टानों पर बनाये गए हैं।

परियोजना स्थल पर जो सुरंगें खोद कर मिट्टी को परीक्षण किया गया था उसकी रिपोर्ट कथित तौर पर नकारात्मक आयी थी। दूसरे, हिमालय से न निकलने के बावजूद गौला नदी शिवालिक की पहाड़ियों में 12 महीने बहती है, और अपने साथ अपने कमजोर जलागम क्षेत्र से मलबा, रेत, बजरी व बोल्डरों को अपने साथ लेकर आती है। इस कारण प्रस्तावित बांध व जल विद्युत परियोजना में इसके रेता, बजरी व बोल्डरों के भर जाने व उसे मनेरी भाली जल विद्युत परियोजना की तरह ठप करने का अंदेशा है।

तीसरे, बांध की लागत 3000 करोड़ रुपये से अधिक आने और अपेक्षाकृत कम विद्युत उत्पादन से बिजली की लागत अधिक आने का भी खतरा बताया जा रहा है। साथ ही कहा जा रहा है कि बांध की वजह से गौला नदी पर निर्भर वैध-अवैध खनन का करीब 10,000 करोड़ का आर्थिक चक्र गड़बड़ा जाएगा। साथ ही राज्य सरकार को हर वर्ष गौला में खनन से मिलने वाले 400 करोड़ के राजस्व पर भी प्रभाव पड़ेगा।

बताया जाता है कि गौला नदी से हर वर्ष करीब 15 लाख ट्रक खनन सामग्री निकाली जाती है। यह भी कहा जा रहा है कि जितनी लागत में जमरानी बांध बनेगा और भावर क्षेत्र की पेयजल व सिचाई की कमी को दूर करेगा, उतने से कम में तराई के किसी जलाशय से भी पानी लिफ्ट कर हल्द्वानी लाया जा सकता है।

जमरानी (Jamrani Dam) में पहाड़ों की कमजोर प्रकृति :

इस बांध परियोजना पर पिछले पचास सालो से काम क्यों नही शुरू हो सका ? बाँध विरोधियों के इस बाबत अपने तर्क हैं। संयुक्त प्रान्त के प्रधानमंत्री गोविंद बल्लभ पंत, केंद्र में ऊर्जा मंत्री रहे उनके पुत्र केसी पंत और नारायण दत्त तिवारी जैसे नेता भी इस बांध परियोजना को ठंडे बस्ते में डाले रखे। कहा जाता है कि जमरानी बांध (Jamrani Dam) परियोजना स्थल शिवालिक की पहाड़ियों में प्रस्तावित है, ये पहाड़ियां भुरभुरी व कमजोर हैं,और लगातार भूस्खलन इसमे होता रहता है। 

जोकि पानी के भार को सहन नहीं कर पायेगी। जहां बांध की दीवार  प्रस्तावित है, उसके आसपास तीन बार बड़ा भूस्खलन हो चुका है। प्रस्तावित बांध स्थल के पास अमिया की पहाड़ी लगातार दरक रही है, जिसकी दरार गहरी और लंबी है। जो भी बांध उत्तराखंड में बने है वो शिवालिक की तुलना में मजबूत हिमालयी चट्टानों पर बनाये गए हैं।

परियोजना स्थल पर जो सुरंगे खोद कर मिट्टी को टेस्ट किया गया था उसकी रिपोर्ट भी नकारात्मक आयी थी, दूसरी बात गौला नदी अपने तेज़ बहाव की वजह से शिवालिक की पहाड़ियों से लगातार गिरने वाले मलबे, सिल्ट-रेत, बजरी, बोल्डर को अपने साथ लेकर बारह मासी बहती है, गौला नदी में बहकर आने वाली रेता बजरी सिल्ट बांध में भर जाने का अंदेशा है।

जिससे इस पर बनने वाली जल विद्युत परियोजना ठप हो सकती है। मनेरीभाली जल विद्युत परियोजना इसी वजह से ठप्प हो गयी थी। तीसरी बात, बांध की लागत आएगी तीन हज़ार करोड़ रुपये। ऐसे में बिजली की लागत ज्यादा आ सकती है, लिहाजा, केंद्र वित्तीय मदद से हाथ पीछे खींच सकता है। 

गौला में खनन रुकने से अरबों का होगा नुकसान :

एक और महत्वपूर्ण बात उत्तराखंड में गौला नदी ही एक ऐसी नदी है जो सिल्ट या रेता, बजरी, पत्थर की वजह से वर्तमान में 10,000 करोड़ का आर्थिक चक्र काठगोदाम से किच्छा तक घुमा रही है, करीब दस हज़ार डम्पर कारोबार ,उद्योगों और,एक लाख लोगो के घरों का चूल्हा जलाती है, सरकार को हर साल 400 करोड़ का राजस्व देती है। गौला नदी से हरसाल करीब 15 लाख ट्रक खनन सामग्री निकाली जाती है। बांध बनने पर गौला में खनन बन्द हो सकता है, और सरकार व व्यवसाय को अरबों रुपये का नुक्सान हो सकता है। 

वहीँ जितनी लागत में जमरानी बांध (Jamrani Dam) बनेगा और भावर क्षेत्र की पेयजल की कमी को दूर करेगा, उतने से कम में तराई के किसी जलाशय से भी पानी लिफ्ट कर हल्द्वानी लाया जा सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि बांध की लागत वर्तमान में 2500 करोड़ है और बिजली उत्पादन मात्र 27 मेगावाट होगा, इसलिए सरकार के लिए ये घाटे का सौदा है,क्योंकि बिजली लागत महंगी होगी और गौला खनन आय भी हाथ से जो जायेगी वो अलग।

पूर्व समाचार : हाई कोर्ट ने कहा छह माह में प्रस्ताव का निस्तारण कर 3 साल में जमरानी बांध (Jamrani Dam) बनाएं

नवीन समाचार, नैनीताल, 2 नवंबर 2018। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने दशकों से लंबित जमरानी बांध (Jamrani Dam) का निर्माण तीन साल के भीतर पूरा करने का बड़ा आदेश दिया है। साथ ही उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि एक माह के भीतर बांध से संबंधित प्रस्ताव-संशोधित डीपीआर केंद्र को भेजें, और केंद्र सरकार 6 माह के भीतर इसका निस्तारण करें।

उल्लेखनीय है कि हल्द्वानी निवासी रविशंकर जोशी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि 1975 में 61.25 करोड़ की लागत से जमरानी बांध (Jamrani Dam) के निर्माण का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ था। इसके सापेक्ष 1982 में बांध का पहला चरण शुरू हुआ, जिसके तहत काठगोदाम में गौला बैराज तथा 40 किलोमीटर की नहरों का निर्माण किया गया। आगे 1988 में केंद्रीय जल आयोग से बांध की अनुमति मिली। किंतु तब तक बांध की लागत 144.84 करोड़ पहुंच गई।

याचिका में कहा गया है कि बांध निर्माण से उत्तर प्रदेश को 47 हजार व उत्तराखंड को 9 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में पानी, बिजली व सिंचाई मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया था। 2014 में फिर से डीपीआर बनाई गई तो लागत 2350.56 करोड़ पहुंच गई। याची के अनुसार बांध को लेकर उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच समझौता नहीं हो सका, जिस कारण साल दर साल नुकसान हो रहा है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए तीन साल के भीतर बांध निर्माण पूरा करने का आदेश पारित किया है।

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जमरानी बांध (Jamrani Dam) के निर्माण की बाधाएं कम होती नज़र आ रही हैं। केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय योजना में शामिल करने संबंधी उत्तराखंड शासन के प्रस्ताव को लगभग मंजूर कर लिया है और जल्द ही इस संबंध में केंद्र सरकार से घोषणा होने की उम्मीद है। बांध के राष्ट्रीय योजना में शामिल होते ही इसके निर्माण की 90 फीसदी राशि केंद्र सरकार देगी और 10 फीसदी राशि राज्य सरकार को खर्च करनी होगी।

बताया गया है कि जमरानी बांध को राष्ट्रीय योजना में शामिल करने संबंधी प्रजेंटेशन केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के समक्ष पिछले दिनों सिंचाई विभाग और शासन के आला अधिकारियों ने दिल्ली में दिया था। इसके बाद ही मंत्रालय के अधिकारियों ने बांध को राष्ट्रीय योजना में शामिल करने के संबंध में अपनी सहमति दे दी थी।

मंत्रालय अगले कुछ दिनों के भीतर ही बांध को राष्ट्रीय योजना में शामिल करने संबंधी घोषणा करने जा रहा है। इसके लावा केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की बांध के मामले में पर्यावरण को लेकर आई आपत्तियों का निराकरण भी कर दिया गया है।

जमरानी बांध (Jamrani Dam) निर्माण के मामले में यूपी व उत्तराखंड सरकारों से जवाब तलब

1975 से लटके प्रदेश के जमरानी बांध (Jamrani Dam) के निर्माण का मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय की दहलीज पर पहुंच गया है। मामले में न्यायालय ने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की सरकारों से तीन सप्ताह मे जबाब देने के आदेश दिए है।

इस मामले में गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सन 1975 से जमरानी बांध (Jamrani Dam) बनाने कि कार्यवाही शुरू हुई हुई थी। इस कड़ी में बांध निर्माण के लिए 1982 मे गौला बैराज का भी निर्माण किया गया। किन्तु जमरानी बाँध (Jamrani Dam) को बनाने के सम्बंध में अभी तक कोई कार्यवाही नही की गयी है। यह बांध कागजों में ही बनकर रह गया है।

याची का कहना है कि हल्द्वानी शहर व उसके आसपास के क्षेत्रों में पेयजल व सिंचाई हेतु इस बांध की अति आवश्यक्ता है। याची का कहना है कि बांध से सम्बंधित करोड़ों रूपये की मशीनें बेकार पड़ी हैं, इसलिए बांध को जल्द बनाया जाये। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश केएम जोसफ व न्यायाधीश वीके बिष्ट की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड सरकारों से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है, और मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद की नियत की है।

पूर्व प्रगति :

इस बावत उत्तराखंड के मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने मंगलवार (19.05.2015) को अध्यक्ष केंद्रीय जल आयोग, राकेश कुमार और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से विचार-विमर्श किया।  बैठक में परियोजना का टाइम फ्रेम तय किया गया। 7 जून 2015 तक परियोजना की नई डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बन जायेगी। विभाग के अनुसार 351.5 हेक्टेयर वन भूमि के हस्तांतरण के लिए डिजिटल मैप तैयार करने की कार्यवाही शुरू हो गई है।

एक महीने में पहले चरण का फोरेस्ट क्लीयरेंस (एफएसी) मिल जाएगा। जुलाई तक दूसरे चरण का क्लीयरेंस (एफआईए) मिल जाएगी। बैठक में यह भी तय किया गया कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड मिलकर जमरानी बांध (Jamrani Dam) का निर्माण करेंगे। पानी और व्यय की हिस्सेदारी का निर्णय दोनों राज्य आपस में मिलकर कर लेंगे। किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में केंद्रीय जल आयोग हस्तक्षेप करेगा।

बैठक में निर्णय लिया गया कि जमरानी बांध (Jamrani Dam) परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का अनुरोध केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार करेगी। बांध की लागत का 90 प्रतिशत वहन केंद्र सरकार करे। शेष 10 प्रतिशत दोनों राज्य मिलकर करेंगे। इसके साथ ही व्यय और लाभ की हिस्सेदारी पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में नए सिरे से करार किया जाएगा। 

सिंचाई विभाग ने एडवाइजरी कमेटी की आपत्तियों के निस्तारण के लिए डिजिटल मैप बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। साथ ही भूमि हस्तांतरण के लिए टिहरी जिले में भूमि प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश भी जारी हो गए हैं।

पूर्व समाचार (2 नवम्बर 2014): यूपी न माना तो अपने दम जमरानी बांध (Jamrani Dam) बनाएगा उत्तराखंड

Rashtriya Sahara, 02 Nov, 2014

Rashtriya Sahara, 02 Nov, 2014.

-यूपी के अपने समकक्ष अखिलेश यादव से इसी माह निर्णायक वार्ता करेंगे मुख्यमंत्री हरीश रावत, इसी दौरान दोनों राज्यों के बीच एमओयू होने की भी जताई उम्मीद
-जल संग्रह के लिए प्रदेश सरकार को बेहद गंभीर बताया
-1965 से लटका है 130.60 मीटर ऊंचे बांध का मामला
नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वह जमरानी बांध (Jamrani Dam) के मुद्दे पर इसी (नवंबर) माह में यूपी के अपने समकक्ष अखिलेश यादव से मिलकर वार्ता करेंगे।

उम्मीद जताई कि इसी दौरान दोनों राज्यों के बीच इस आधी शताब्दी से लंबित मसले पर अनुबंध (एमओयू) हस्ताक्षरित हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यूपी को चेतावनी देने के अंदाज में दो-टूक कहा कि यदि यूपी न माना तो उत्तराखंड स्वयं अपने दम पर अपनी जरूरतों के अनुरूप छोटा ही सही लेकिन जमरानी बांध बनाने की कार्रवाई करेगा। 

श्री रावत ने यह बात शनिवार को स्थानीय बोट हाउस क्लब में ‘राष्ट्रीय सहारा’ द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कही। कहा कि वह उत्तराखंड में जल संग्रहण के प्रति हमेशा से गंभीर रहे हैं। केंद्र में जल संसाधन मंत्री रहते भी उन्होंने हरीशताल से लेकर भीमताल तक की अनेक झीलों के संरक्षण के लिए योजनाएं स्वीकृत की थीं, जिन पर अब काम शुरू होने की उम्मीद है।

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