बड़ा समाचार-Dharmik Atikraman: वन भूमि पर बिना अनुमति के मदरसे पर बने मदरसे पर चला वन विभाग का बुल्डोजर, 1 एकड़ वन भूमि पर किया गया था धार्मिक अतिक्रमण..
नवीन समाचार, रुद्रपुर, 18 अक्टूबर 2023 (Dharmik Atikraman)। तराई केंद्रीय वन प्रभाग के टांडा रेंज में बुधवार शाम को वन विभाग के बुलडोजरों ने गुज्जरों के अवैध कब्जों को ध्वस्त कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार वन विभाग को सूचना मिली थी कि जंगलों में अवैध रूप से बाहरी प्रदेशों से आए गुज्जर अवैध रूप से बस गए हैं और वहां उन्होंने अवैध रूप से मदरसे भी बना लिये हैं।
उत्तराखंड वन विभाग के अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि इस सूचना पर तराई क्षेत्र के टांडा रेंज में अतिक्रमण को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय और गृह विभाग के निर्देशों पर जिला प्रशासन ऊधमसिंह नगर और तराई केंद्रीय वन प्रभाग के अधिकारियों की संयुक्त कारवाई में एक एकड़ वनभूमि पर बने धार्मिक अतिक्रमण को हटा दिया गया है। उन्होंने बताया कि यहां अवैध रूप से बनाये गये मदरसे के लिए प्रशासन से अनुमति नही ली गई थी।
डॉ. धकाते ने बताया कि पूर्व में भी यहां से अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस दिए गए थे परंतु इनके द्वारा नियमानुसार जंगल की जमीन को खाली नहीं किया गया था। इस लिए आज सख्त कारवाई को बाध्य होना पड़ा। उन्होंने बताया कि जंगल में किसी भी प्रकार की धार्मिक स्थल बनाए जाने की इजाजत नहीं दी जा सकती और यदि कोई बनाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कारवाई की जाएगी साथ ही विभागीय अधिकारियों पर भी कारवाई की जाएगी।
डॉ. धकाते ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर राष्ट्रीय राज मार्गो के किनारे वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करके ही अतिक्रमण हटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कहा है कि अतिक्रमण हटाओ अभियान जारी रहेगा और कोई भी धार्मिक चिन्ह जंगल में नही बनने दिया जाएगा।
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यह भी पढ़ें (Dharmik Atikraman): ‘नवीन समाचार’ एक्सक्लूसिव: उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में धार्मिक आधार पर मजार, कब्रिस्तान आदि के अतिक्रमण पर सनसनीखेज खुलासा…
नवीन समाचार, नैनीताल, 21 अप्रैल 2023। (Dharmik Atikraman) उत्तराखंड के वन क्षेत्रों में धार्मिक आधार पर मजार, कब्रिस्तान, मंदिर व मस्जिदों आदि के लिए बड़े पैमाने पर कब्जा किए जाने की बात इन दिनों प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में हैं।
(Dharmik Atikraman) राज्य सरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में इस पर गंभीर है और इस संबंध में मुख्यमंत्री धामी ने वनाधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गए हैं। इस संबंध में मुख्यमंत्री धामी ने अपने प्रमुख सचिव, वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी, वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते को नोडल अधिकारी बनाया है। यह भी पढ़ें : एक ही रात में 26 अवैध मजार ध्वस्त, मजारों में नहीं मिला कोई मानव अवशेष…
‘नवीन समाचार’ ने वन भूमि पर कब्जे को लेकर डॉ. धकाते से सीधी बात की तो कई सनसनीखेज खुलासे हुए। जैसे यह कि राज्य में वर्ष 2017 से 2020 के बीच में लगभग 2000 हैक्टेयर वन भूमि पर कब्जे किए गए हैं। यह भी बड़ा खुलासा हुआ है कि वन भूमि पर वर्ष 2020 के बाद और खासकर धार्मिक आधार पर हुए कब्जों के बारे में वन विभाग को कोई जानकारी नहीं है।
(Dharmik Atikraman) अब इस बारे में पूरी जानकारी एकत्र की जा रही है। इस तरह राज्य में चल रही मुहिम का धार्मिक आधार पर अतिक्रमण हटाने से कोई सीधा संबंध नहीं है, बल्कि यह वन भूमियों पर हर तरह के अतिक्रमण से मुक्त करने की मुहिम है। यह भी पढ़ें : वन विभाग में बड़े पैमाने पर हुए तबादले..
डॉ. धकाते ने बातचीत में यह बड़ा खुलासा किया कि वर्ष 2017 की रिपोर्ट में पूरे उत्तराखंड में 9,400 हैक्टेयर वन भूमि पर कब्जा किया गया था, जबकि मार्च 2020 की रिपोर्ट में लगभग 2000 हैक्टेयर क्षेत्रफल में कब्जा बढ़ गया है।
(Dharmik Atikraman) उन्होंने यह भी बताया कि 2017 में रामनगर के जिम कॉर्बेट पार्क क्षेत्र का 0.40 हैक्टेयर अतिक्रमित था, जबकि विभागीय संलिप्तता या लापरवाही या लोगों की कब्जे की सुनियोजित साजिश के कारण मार्च 2020 में यहां 9 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर कब्जा हो गया। यह भी पढ़ें : बाघ ने सेवानिवृत्त शिक्षक को बना दिया निवाला…
यानी केवल तीन वर्षों में जिम कॉर्बेट पार्क के पर्यटन गतिविधियों वाले क्षेत्र में साढ़े आठ हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल पर कब्जा बढ़ गया है। इनमें आमडंडा व चोरपानी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुए कब्जे भी शामिल हैं।
(Dharmik Atikraman) अलबत्ता डॉ. धकाते ने साफ किया कि अभी वन विभाग के पास इनमें से धार्मिक आधार पर किए गए अतिक्रमणों के बारे में कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। यह जरूर है कि पुलिस एवं एलआईयू आदि के पास इस संबंध में आंकड़े मौजूद हैं। यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री ने किया प्रदेश के 26 वन गांवों को बिजली, पानी, सड़क के साथ ही ग्राम प्रधानों को मुहर भी देने का दावा
उन्होंने यह भी साफ किया है कि मार्च 2020 के बाद वन भूमि पर कब्जों के बारे में कोविड की परिस्थितियों व अन्य कारणों से वन विभाग की कोई रिपोर्ट नहीं आई है। अब वन विभाग नई मुहिम के तहत देखेगा कि वन भूमि पर कब्जों की वर्तमान स्थिति क्या है और यह वृद्धि किस तरह हुई है।
(Dharmik Atikraman) मजारों आदि के अतिक्रमण से संबंधित मीडिया में आई रिपोर्टों के आधार पर भी संबंधित प्रभागीय वनाधिकारियों को रिपोर्ट देने को कहा गया है। यह भी पढ़ें : रामनगर की युवती से सोशल मीडिया के जरिए दोस्ती, फिर यूपी में किया दुष्कर्म..
डॉ. धकाते ने बताया कि पूरे उत्तराखंड में वन भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है। इस संबंध में संबंधित प्रभागीय वनाधिकारियों को वन अधिनियम की अतिक्रमण संबंधित सुसंगत धाराओं में कड़ी कार्रवाई करने व अतिक्रमण हटाने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
(Dharmik Atikraman) उन्होंने बताया कि राज्य की वन भूमियों में तीन तरह के अतिक्रमण हैं। पहला, 1980 से पूर्व के कुछ अतिक्रमण हैं। यह अतिक्रमण विनियमितीकरण के दायरे में भी आते हैं। यह भी पढ़ें : गर्मियों के मौसम में आज उत्तराखंड में हुई जोरदार बर्फबारी, नजारे हुए मनमोहक
इनमें यह देखना है कि लीज की अवधि होने के बाद भी कितने कब्जे बरकरार हैं। दूसरा, कुछ लोग व्यक्तिगत तौर पर वन भूमि में अतिक्रमण किए हुए हैं। तीसरा धार्मिक आधार पर अतिक्रमण किया गया है। तीनों तरह के अतिक्रमणों का चिन्हित किया जा रहा है। इनमें से विनियमितीकरण के दायरे में आने वाले कब्जों पर शासन को निर्णय लेना है।
(Dharmik Atikraman) जबकि अन्य तरह के अतिक्रमणों को पूरी तरह से हटाया जाना है। ऐसे मामलों में वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ मुकदमे भी पंजीकृत किए जाएंगे। यह भी पढ़ें : मासूम बच्चे के सामने उसके पिता से मारपीट, बच्चा रोता रहा, आरोपित पिता को पीटते रहे…
(डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य नवीन समाचार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।