अटल जी का पुण्य स्मरण : नैनीताल में आधुनिक ‘राम’ ने तलाशा था ‘रहीम’ को, नैनीताल से रहा ‘दुःख-सुख’ का संबंध, नैनी झील को दिए थे नवप्राण…

–नैनीताल प्रवास पर किए गए मंथन के बाद बदला था राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार, पीसी एलेक्जेंडर की जगह एपीजे अब्दुल कलाम को बनाया था राष्ट्रपति, तब राम-अल्लाह ‘राम-रहीम’ कही जाती थी बाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) व कलाम की जोड़ी
-यहीं से मिली थी एनडीए को टीडीपी की संजीवनी और यहां से लौटकर ही दिया था गोधरा कांड पर वाजपेयी ने ऐतिहासिक बयान
-नैनीताल को 200 करोड़ का पैकेज देने की की थी घोषणा
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 25 दिसंबर 2025। 25 दिसंबर 1924 को जन्मे और 16 अगस्त 2018 को दिवंगत हुए भारतीय राजनीती के शिखर पुरुष, राजनीतिक अजात शत्रु, गठबंधन की सियासत के सूत्रधार, देश के 13 दिन, 13 माह व 5 वर्ष तथा कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे, करीब 5 दशक तक संसद में चार राज्यों से पहुंचने का अनूठा रिकार्ड रखने वाले, देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने वाले, कारगिल विजेता व उत्तराखंड सहित तीन राज्यों का निर्विवाद तरीके से गठन करने वाले, संसदीय परम्पराओं के संरक्षक, प्रखर एवं सर्वमान्य राजनेता, सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले वक्ता, बेहतरीन कवि, पत्रकार एवं सहृदय इन्सान, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी 2002 में होली के दौरान 28 से 31 मार्च तक नैनीताल में रहे थे।
उनका प्रवास नितांत निजी और एकांतवास का था। इस दौरान उन्होंने अधिकांश वक्त चिंतन-मंथन में ही व्यतीत किया। इसके तुरंत बाद का राजनीतिक घटनाक्रम बताता है कि उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के चिंतन ने देश की राजनीति को नया मोड़ दिया था। 2002 में राष्ट्रपति के रूप में एपीजे अब्दुल कलाम के नाम का चयन और गुजरात में राजधर्म के उनके प्रख्यात उपदेश का तानाबाना उन्होंने नैनीताल में ही बुना था।
उल्लेखनीय है कि गुजरात में 27 फरवरी 2002 को गोधरा में हिंदू तीर्थयात्रियों से भरी ट्रेन की बोगी में उपद्रवियों ने आग लगा दी थी, जिसमें 58 तीर्थयात्री जिंदा जल गए थे। इसके बाद 28 फरवरी से गुजरात में भीषण दंगे हुए, जिनमें 1044 लोग मारे गए। गुजरात में तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा सरकार थी। इन दंगों को लेकर मोदी और भाजपा पर गंभीर आरोप लगे और भाजपा की छवि ‘एंटी मुस्लिम’ की बनने लगी थी।
वहीं विपक्ष की नेता सोनिया गांधी प्रयाग में स्नान और कई बार तिरुपति के दर्शन कर तेजी से ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की छवि बनाने का प्रयास कर रहीं थीं। इससे आगे 15 जुलाई 2002 को राष्ट्रपति का चुनाव भी होना था। वाजपेयी गुजरात के गोधरा कांड और उसके बाद के दंगों से बेहद व्यथित थे। उन्होंने इन दंगों से दुखी होकर ही उस वर्ष होली न मनाने और होली का अवकाश एकांत में बिताने का निर्णय लिया था। इसके लिए उन्होंने नैनीताल को चुना।
लेकिन, हालात बताते हैं कि वे यहां आराम करने नहीं बल्कि इन परिस्थितियों पर चिंतन कर आगामी नीति तय करने भी आए थे। यहां से जाते वक्त यहां लिखी गई कविता पर पत्रकारों ने सवाल किया तो वे संकेतों में कह गए थे कि मन में बहुत कुछ उमड़ रहा है, जल्द ही वर्षा होगी। उनके विचारों की यह बारिश तीन दिन बाद गुजरात में बरसी, जब उन्होंने खुलेआम कहा कि वे इन दंगों से शर्मिंदा हैं और सात से 11 अप्रैल की अपनी प्रस्तावित सिंगापुर-कंबोडिया की यात्रा में वहां के लोगों को क्या मुंह दिखाएंगे।
नैनीताल से वापसी के तीसरे दिन वाजपेयी अहमदाबाद के शाह आलम शरणार्थी कैंप गए, जहां 9000 मुस्लिम शरणार्थी थे। इन दंगों पर वाजपेयी ने सार्वजनिक रूप से शर्मिंदगी जताई और पीड़ितों को पूरी सुरक्षा और न्याय का भरोसा दिलाया। उस रोज दी गई उनकी ‘राजधर्म का पालन करने की नसीहत’ और ‘पागलपन का जवाब पागलपन नहीं हो सकता, इसे रोको’ जैसे बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुए और सराहे गए।
दूसरी ओर, उस दौर में भाजपा राष्ट्रपति चुनाव के लिए कांग्रेस की काट के तौर पर महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल पीसी अलेक्जेंडर को उम्मीदवार बनाने की तैयारी में थी। गुजरात के दंगों से भाजपा की एंटी मुस्लिम छवि से उबरने के लिए सभी धर्मों में समान रूप से लोकप्रिय और स्वीकार्य रहे वाजपेयी ने नैनीताल से लौटते ही अपने विश्वस्त प्रमोद महाजन और ब्रजेश मिश्र से सलाह मशविरा कर अलेक्जेंडर के बजाय किसी मुस्लिम को राष्ट्रपति बनाने की रणनीति बनाई।
प्रमोद महाजन ने एपीजे अब्दुल कलाम का नाम सुझाया था। वहीं, सरकार में भाजपा के सहयोगी टीडीपी सहित वाम दल, पूर्व पीएम चंद्रशेखर आदि इसके लिए तत्कालीन उपराष्ट्रपति कृष्णकांत को चाहते थे। अंततः उनकी काट के लिए एपीजे अब्दुल कलाम का नाम सुझाने का जिम्मा वाजपेयी ने मुलायम सिंह यादव को सौंपा। लेफ्ट पार्टियों ने स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मी सहगल को कलाम के खिलाफ प्रत्याशी बनाया। लेकिन चुनाव जीतकर कलाम देश के 11वें राष्ट्रपति बने, और एक तरह से कलयुग में ‘राम व रहीम’ की जोड़ी बनी।
नैनीताल से रहा ‘दुःख-सुख’ का संबंध
वाजपेयी जी से सरोवरनगरी नैनीताल का संबंध एक अलग तरह का, ‘दुःख-सुख’ का रहा है। पहाड़ों के प्रेमी तथा भावुक कवि हृदय वाजपेयी ने 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में हुए दंगों से व्यथित होकर घोषणा की थी कि वे उस वर्ष होली नहीं मनाएंगे। इस दुःख भरी स्थिति के बीच वे अपने प्रधानमंत्रित्व काल में 28 मार्च 2002 को अपना मन हल्का करने के लिए ठीक होली के मौके पर निजी प्रवास पर नैनीताल पहुंचे थे।
यहां उन्होंने तीन दिन नैनीताल राजभवन में एकान्तवास किया था, और बेहद सीमित संख्या में ही लोगों से मिले थे। किंतु यहां भी दुःख ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। इस दौरान नैनी झील का मुआयना करते हुए वे इसकी स्थितियों से बेहद आहत हुए। इसके बाद उन्होंने नैनी झील की सेहत को सुधारने के लिए 200 करोड़ रुपए देने की ऐतिहासिक घोषणा की थी। बताया जाता है कि इस दौरान उन्होंने यहां नैनीताल राजभवन में प्रवास के दौरान प्रकृति की गोद में स्वयं को समर्पित कर कुछ कालजयी कविताओं की रचना भी की थी। पत्रकारों से बात करते हुए अपनी कविता ‘गीत नया गाता हूं’ का नकारात्मक वर्जन सुनाया था।
इस दौरान 29 मार्च 2002 को ठीक होली की छलड़ी के दिन शाम चार बजे तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की अगुवाई में नैनीताल नगर के गिने-चुने कार्यकर्ता उनसे मिले थे। नैनीताल राजभवन में हुई इस मुलाकात में कोश्यारी ने उन्हें अल्मोड़ा की प्रसिद्ध सिगौड़ी की मिठाई भेंट की थी। कुमाऊं विवि के तत्कालीन कुलपति प्रो. बीएस राजपूत भी भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही वाजपेयी से मिल पाये थे। नगर के एशडेल बालिका इंटर कॉलेज की सेवानिवृत्त प्रधानाचार्या व कवयित्री माया जोशी भी साथ थीं।
उन्होंने वाजपेयी को अपनी कविताओं का संग्रह भेंट किया था। वरिष्ठ भाजपा नेता भुवन हरबोला ने बताया कि वह अटल जी से नैनीताल राजभवन के अलावा हल्द्वानी आगमन पर भी मिले थे। वे कार्यकर्ताओं को पूरा सम्मान देते थे। नैनीताल में दूसरे दिन भी वे कार्यकर्ताओं से मिले थे।
वहीं भाजपा के तत्कालीन नगर महासचिव जगदीश बवाड़ी ने बताया कि अटलजी ने सभी लोगों को नैनीताल राजभवन में मुलाकात पर चाय पिलवाई। परंतु उनका आभामंडल, उनके चेहरे पर तेज ऐसा था कि अधिकांश लोग बस उन्हें देखे और गौरवांवित हुए जा रहे थे। अधिक बातें नहीं हो पायी थीं। बवाड़ी ने बताया कि वाजपेयी ने नैनी झील की हालत को स्वयं भ्रमण में देखते हुए इसके दर्द को समझकर इसके संरक्षण के लिए 200 करोड़ रुपयों की घोषणा की थी।
भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य गोपाल रावत ने बताया कि उनके कहने पर अटलजी नगर के नयना देवी शक्तिपीठ के सुबह-सुबह दर्शन करने गये थे। तत्कालीन महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष शांति मेहरा ने बताया कि अटल जी नैनीताल राजभवन में उनसे बेहद स्नेह से मिले थे और उनसे ज्ञापन भी ग्रहण किया था। उनसे मिलने वालों में भाजपा के वरिष्ठ नेता स्वर्गीय गोविंद सिंह बिष्ट, तत्कालीन नगर अध्यक्ष पूरन मेहरा, दया बिष्ट, बिमला अधिकारी आदि भी साथ थे।
नैनी झील को टूटती साँसों को दिया था जीवन
इधर, वाजपेयी जब नैनीताल आये थे, तब करीब 21 मीटर गहरी विश्व प्रसिद्ध नैनी झील की निचली करीब 14 मीटर यानी दो तिहाई गहराई में ऑक्सीजन की मात्रा करीब शून्य हो गयी थी। इस कारण झील के इस दो-तिहाई हिस्से में जीवन नहीं रह गया था। झील की पूरी गहराई के बजाय मछलियां व अन्य जल जीव ऊपरी एक-तिहाई हिस्से तक ही सीमित रह गये थे। सर्दियों के दिनों में तापांतर होने पर नीचे के जीवन रहित पानी के ऊपर आ जाने से हर वर्ष हजारों मछलियों की जान चली जाती थी। ऐसी स्थितियों में वाजपेयी के द्वारा वर्ष 2002 में नैनी झील के संरक्षण के लिए अब तक की सर्वाधिक 200 करोड़ रुपए की घोषणा की गयी थी। इसके उपरांत आईआईटी रुड़की के द्वारा झील संरक्षण परियोजना के लिए 98 करोड़ रुपए की डीपीआर बनाई गयी थी।
इसके सापेक्ष करीब 64.83 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए थे। इनमें से 47.96 करोड़ नैनीताल झील के लिए तथा 15.85 करोड़ रुपए जनपद की अन्य झीलों के लिए थे। इस बड़ी धनराशि से मुख्यालय में 10.87 करोड़ रुपए से करीब 12 किमी सीवर लाइन एवं सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण तथा ठोस कूड़ा अपशिष्ट निवारण के कार्य हुए, और इसी योजना के तहत आगे मुख्यालय में घर-घर से कूड़ा उठाने तथा जैविक व अजैविक कूड़ा विभक्त करने की ‘मिशन बटरफ्लाई’ योजना शुरू हुई थी।
इसके अलावा नगर में करीब एक दर्जन हाईटेक सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण, नैनी झील के परिक्षेत्र में पौधारोपण तथा नगर में हाईमास्ट लाइटें व बेंच लगाने व एयरेशन के कार्य हुए थे। इसके अलावा नैनी झील में साइफनिंग का कार्य भी प्रस्तावित हुआ, जो कि हुआ नहीं। हालांकि कार्यदायी संस्थाओं की कार्यशैली का आलम यह भी था कि नैनी झील की टूटी-ध्वस्त दीवारों के लिए डीपीआर में एक रुपए का प्राविधान भी नहीं था।
अलबत्ता इन कार्यों में से नैनी झील में वर्ष 2007 से एयरेशन का कार्य दिया जा रहा है। इसके तहत नैनी झील को भी अब भी एक तरह से ‘वेंटीलेटर’ पर रखकर प्रतिदिन के 24 में से 18 घंटे बाहर से ‘ऑक्सीजन’ दिये जाने का सिलसिला अब भी जारी है, और इससे झील की सेहत में काफी सुधार दिखाई भी देता है। ऐसे में नगर वासी भी उम्मीद कर रहे थे कि नैनी झील की तरह ही अटल जी की सेहत में भी शीघ्र सुधार दिखाई देगा। लेकिन अफसोस कि ऐसा न हो सका। उनके निधन पर कई दिनों तक नगर में सर्वदलीय शोक सभाओं का सिलसिला चला, ऐसी ही तल्लीताल गांधी मूर्ति के पास हुई एक सर्वदलीय शोक सभा में स्वर्गीय वाजपेयी के चित्र के नीचे लिखा गया था-स्तब्ध है दुनिया सारी, बिछुड़ गये हैं अटल बिहारी।
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स्मृति शेष: मैंने देखी थी 12 वर्ष की उम्र में अटल जी की झलक: कैलाश चंद्र जोशी, पत्रकार, ज्योलीकोट
सम्भवतः सन 1981 की बात है, उस समय मेरी उम्र 12 वर्ष रही होगी। शाम का चार बजे के आसपास का समय। ज्योलीकोट मौन पालन केंद्र में कार्यरत फकीर राम जी, जिन्हें समाचार पत्र पढ़ने का जबरदस्त शौक था और राजनीति में गहरी रुचि। इसी खासियत के चलते वे अपने सहयोगी कर्मचारियों में ‘जगजीवन राम’ के नाम से जाने जाते थे। उस दिन पिताजी की दुकान के आगे बैठे वह सम्भवतः साप्ताहिक अखबार ब्लिट्ज पढ़ रहे थे। इसी दौरान दुकान के पास उस समय की शाही सवारी, एक एम्बेसडर कार आकर रुकी। उसमें चालक सहित 4 लोग थे।
इसी बीच फकीर राम जी ने मुझे अपने पास बुलाया और उस एंबेसडर की ओर इशारा कर बोले, ‘सामने देखो कार में कौन हैं ?’ मुझे कुछ ऐसा खास तो नहीं लगा, पर आगे बैठे व्यकितत्व को देखा, जो चमकदार प्रभावशाली चेहरा अन्य लोगों से अलग नजर आ रहा था। कुछ पल बाद फकीर राम जी ने पूछा, ‘पहचाना ?’ मैने ‘ना’ में सिर हिला दिया। तब उन्होंने बताया कि ये अटल बिहारी वाजपेयी जी हैं। इस दौरान अटल जी और साथियों जिसमें एक सुरक्षा कर्मी भी था, उन्होंने यहाँ भुट्टे खाये और कुछ देर बाद उन्होंने हलद्वानी की ओर प्रस्थान किया। यह संस्मरण आज भी स्मृति पटल में बिल्कुल स्पष्ट अंकित है। अटल जी को विनम्र श्रद्धांजलि !
पूर्व समाचार : स्तब्ध है दुनिया सारी, बिछुड़ गये अटल बिहारी
-नैनीताल से रहा था ‘दुःख-सुख’ का रिश्ता, सभी निःशब्द..
-वर्ष 2002 में गोधरा कांड के दर्द को दूर करने के लिए होली पर एकांतवास के लिए आये थे नैनीताल, होली भी नहीं मनायी, पर नैनीताल के नैनी झील का दर्द देख कर की थी 200 करोड़ रुपए देने की ऐतिहासिक घोषणा, इस धनराशि से ऑक्सीजन प्राप्त कर लाभान्वित हो रही है नैनी झील
डॉ. नवीन जोशी , नैनीताल। भारतीय राजनीती के शिखर पुरुष, राजनीतिक अजात शत्रु, गठबंधन की सियासत के सूत्रधार, देश के 13 दिन, 13 माह व 5 वर्ष तथा कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे, करीब 5 दशक तक संसद में चार राज्यों से पहुंचने का अनूठा रिकार्ड रखने वाले, देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने वाले, कारगिल विजेता व उत्तराखंड सहित तीन राज्यों का निर्विवाद तरीके से गठन करने वाले, संसदीय परम्पराओं के संरक्षक, प्रखर एवं सर्वमान्य राजनेता, सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले वक्ता, बेहतरीन कवि, पत्रकार एवं सहृदय इन्सान, भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का बृहस्पतिवार 16 अगस्त की शाम 5 बजकर 5 मिनट पर 93 वर्ष की उम्र में देहावसान के साथ एक युग का अंत हो गया है।
इसकी घोषणा करीब आधा घंटे बाद की गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले 5.39 बजे ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। अश्रुुुपूरित श्रद्धांजलि, श्रद्धेय नमन !! शायद आने वाली पीढियां हम पर भी नाज करें कि हमने कलयुग में राम के रूप में वाजपेयी और उनके द्वारा देश को अल्लाह के प्रतिरूप कलाम को राष्ट्रपति के रूप में देखा है।
वहीं राष्ट्रपति राम लाल कोविंद ने भी उन्हें ट्वीट के जरिये श्रद्धांजलि दी :
इधर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अटल जी के निधन पर सभी शासकीय, अर्धशासकीय कार्यालयों व शिक्षण संस्थानों में अवकाश घोषित कर दिया है। देश में 7 दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित कर दिया गया है। इस दौरान राष्ट्रध्वज झुका रहेगा, तथा राजकीय मनोरंजन के कार्यक्रम भी नहीं होंगे।
इससे पूर्व पूर्व प्रधानमंत्री के देहावसान का समाचार सुनते ही सरोवरनगरी में शोक की लहर छा गयी। सबसे पहली प्रतिक्रिया नगर में रहने वाली तिब्बती शरणार्थियों की ओर से आयी। तिब्बती शरणार्थी संगठन के अध्यक्ष एवं तिब्बती बाजार संघ के अध्यक्ष पीजी शिथर के हवाले से उनके पुत्र येशी थुप्तेन ने बताया कि अटल जी इस सदी के महापुरुष, महान नेता व कवि थे। उनके निधन का समाचार सुनते ही नगर के सबसे व्यस्त रहने वाले तिब्बती मार्केट को बंद कर दिया गया। उनका निधन बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री रहते तिब्बत के मामले में बहुत प्रयास किये थे। इधर भाजपा नगर मंडल के द्वारा देर शाम पंत पार्क एवं इधर शुक्रवार को अपराह्न में तल्लीताल गांधी मूर्ति के पास शोक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही बड़ी संख्या में आम लोग भी मौजूद रहे। कांग्रेस महिला मोर्चा की प्रदेश नेत्री मुन्नी तिवारी व गजाला कमाल आदि ने भी उनके निधन पर दुःख जताया।
इस दौरान पूरन मेहरा, राजीव लोचन साह, डा. नारायण सिंह जंतवाल, किसन पांडे, अशोक तिवाड़ी, केएल आर्या, मो. हाजी, दयाकिशन पोखरिया, भानु पंत, शिवशंकर मजूमदार, दरबान गैड़ा, सुंदर सिंह नेगी, महेश जोशी, मो. अजहर, भुवन आर्या, रमेश चमियाल, गुड्डू खान, लीला बोरा, बहादुर रौतेला, पुष्कर नैनवाल, नवीन भट्ट, शिवारी पवार, मो. इमरान अली, मनोज कुमार, पंकज राठौर, विक्की राठौर सहित अनेक उपस्थित लोगों ने दिवंगत नेता को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
इधर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मल्लीताल गोविंद बल्लभ पंत मूर्ति के पास एकत्र होकर अटल जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की एवं शोक सभा कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। पार्टी के नैनीताल पर्वतीय जिलाध्यक्ष प्रदीप दुम्का ने कहा कि अटल जी भारतीय राजनीति के करिश्माई नेता थे, उन्होंने गठबंधन की राजनीति को नई दिशा दी। आज सभी देशवासी राजनीति से ऊपर उठकर पूरे देश को हुई इस अपूरणीय क्षति एवं दुःख में शामिल हैं। याद दिलाया कि वाजपेयी ने नैनी झील की दुर्दशा से व्यथित होकर तालों की दशा सुधारने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई। शोक सभा में प्रताप सिंह पडियार, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य देवेंद्र लाल, प्रकाश पांडे, श्रीकांत घिल्डियाल आदि ने भी विचार रखे। इधर नगर की सबसे पुरानी धार्मिक सामाजिक संस्था श्रीराम सेवक सभा में भी इस मौके पर शोक सभा हुई, जिसमें अटल जी के निधन को देश के लिए अपूर्णीय क्षति बताया गया। शोक सभा में सभा के अध्यक्ष मनोज साह, अनूप साही, राजेंद्र लाल साह, डा. मोहित सनवाल, दीप जोशी, विमल चौधरी, गिरीश जोशी, मनोज जोशी व कन्हैया लाल साह आदि उपस्थित रहे।
याद में ‘अटल वृक्ष’ रोपा (Atal Bihari Vajpayee)
नैनीताल। कुमाऊं विवि के यूजीसी एचआरडीसी में भारत रत्न अटल जी के देहावसान पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक देवदार वृक्ष को ‘अटल वृक्ष’ का नाम देकर हरमिटेज परिसर में पौधारोपण किया गया। निदेशक प्रो. बीएल साह ने कहा कि यदि अटल के विराट व्यक्तित्व का कुछ अंश भी यदि हम अपने जीवन में उतार सकें तो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इस अवसर पर डा. केसी तिवारी, प्रो. संजय पंत, प्रो. मधुरेंद्र कुमार, प्रो. राजीव उपाध्याय, डा. दिव्या उपाध्याय जोशी, डा. रीतेश साह, डा. इरा तिवारी, इंद्र सिंह नेगी, राजेंद्र बोरा, जसोद बिष्ट, राजेंद्र बिष्ट, कैलाश जोशी, नवीन जोशी, जितेंद्र बिष्ट आदि उपस्थित रहे। कुमाऊं विवि शिक्षक संघ कूटा के अध्यक्ष प्रो. ललित तिवाड़ी, महामंत्री डा. सुचेतन साह, डा. विजय कुमार, डा. दीपक कुमार, डा. शिवांगी चन्याल, डा. सोहेल जावेद, डा. एचएस पनेरू, डा. मनोज धुनी, डा. गगन होती, डा. दीपिका पंत व डा. ललित मोहन आदि ने भी अटल जी के निधन पर शोक सभा कर दुःख व्यक्त किया।
अम्तुल्स स्कूल का वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित
नैनीताल। पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के निधन पर नगर के अम्तुल्स पब्लिक स्कूल का 18 अगस्त को होने वाले वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित कर दिये गये हैं। इधर शुक्रवार को विद्यालय में शोक सभा आयोजित कर वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि दी गयी। शोक सभा में चेयरपर्सन अबगीना राशिद, निदेशक सुबूही राशिद, यूनीब राशिद, समी अली, प्रधानाचार्या अनीता खां, प्रशासक समीर शर्मा, उप प्रधानाचार्य मनोज बिष्ट सहित अन्य कर्मचारियों ने भाग लिया।
बंद हुआ तिब्बती मार्केट, शोक सभा में उमड़े लोग
नैनीताल, 16 अगस्त 2018। पूर्व प्रधानमंत्री के देहावसान का समाचार सुनते ही सरोवरनगरी में शोक की लहर छा गयी। सबसे पहली प्रतिक्रिया नगर में रहने वाली तिब्बती शरणार्थियों की ओर से आयी। तिब्बती शरणार्थी संगठन के अध्यक्ष एवं तिब्बती बाजार संघ के अध्यक्ष पीजी शिथर के हवाले से उनके पुत्र येशी थुप्तेन ने बताया कि अटल जी इस सदी के महापुरुष, महान नेता व कवि थे। उनके निधन का समाचार सुनते ही नगर के सबसे व्यस्त रहने वाले तिब्बती मार्केट को बंद कर दिया गया है। उनका बहुत बड़ी क्षति है। उन्होंने विदेश मंत्री और प्रधानमंत्री रहते तिब्बत के मामले में बहुत प्रयास किये थे। इधर भाजपा नगर अध्यक्ष मनोज जोशी ने शाम सात बजे पंत पार्क में शोक सभा का आयोजन किया, जिसमें भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही बड़ी संख्या में आम लोग भी मौजूद रहे। कांग्रेस महिला मोर्चा की प्रदेश नेत्री गजाला कमाल ने भी उनके निधन पर दुःख जताया।
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