बागेश्वर में 3100 से 6500 फीट तक की ऊंचाई पर दिखाई दिया मैदानी क्षेत्रों में पाया जाने वाला राष्ट्रीय पक्षी मोर
नवीन समाचार, बागेश्वर, 10 अक्टूबर 2024 (Bageshwar-Peacock found in altitude of 3000 Feet)। उत्तराखंड के बागेश्वर क्षेत्र में 3100 से 6500 फीट तक की ऊंचाई पर दिखाई दिया मैदानी क्षेत्रों में पाया जाने वाला देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर दिखाई देने की घटना ने स्थानीय लोगों और पर्यावरणविदों के बीच चर्चा का विषय बना दिया है। आमतौर पर समतल और गर्म क्षेत्रों में पाए जाने वाला मोर समुद्रतल से लगभग 3100 से 6500 फीट तक की ऊंचाई पर देखे जाने के दावे किए जा रहे हैं, जिससे वन्यजीव विशेषज्ञ भी अचंभित हैं। इस प्रकार का दृश्य न केवल दुर्लभ है, बल्कि इसे पर्यावरणीय बदलावों के साथ जोड़ा जा रहा है। देखें वीडिओ :
वन विभाग की प्रतिक्रिया (Bageshwar-Peacock found in altitude of 3000 Feet)
वन क्षेत्राधिकारी श्याम सिंह करायत ने बताया कि मोर के दिखाई देने की सूचना मिलते ही वन विभाग ने तत्काल ट्रैप कैमरे लगाए हैं, ताकि इसे दोबारा देखा जा सके और अन्य मोरों की मौजूदगी का भी पता चल सके। अगर और भी मोर दिखाई देते हैं, तो इसे जलवायु परिवर्तन की स्थिति मानी जाएगी।
उन्होंने कहा कि सामान्यत: 1600 फीट की ऊँचाई पर पाया जाने वाला मोर 6500 फीट की उंचाई पर दिखाई देना आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि मोर पहले इस साल अप्रैल में काफलीगैर वन रेंज में दिखाई दिया था और उसके बाद यह 5 अक्टूबर को कठायतबाड़ा के जंगलों में दिखाई दिया था, लेकिन तब ट्रैप कैमरे कोई सफलता नहीं दे पाए थे।
पर्यावरणीय बदलाव का संकेत !
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ती मानवीय गतिविधियों और मौसम में बदलाव के कारण जंगली जानवर नए आवास की खोज में ऊंचे क्षेत्रों की ओर जा रहे हैं। बागेश्वर में मोर का दिखना इसी परिवर्तन का संकेत हो सकता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि मोर सामान्यत: समतल क्षेत्रों में पाए जाते हैं, लेकिन हिमालयी क्षेत्र में इसे ऊंचाई पर देखना एक असामान्य घटना हो सकती है। हालांकि, इससे विशेष रूप से चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मोर अपने आवास के चयन में अधिक चयनात्मक नहीं होते।
पर्यावरण विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
क्षेत्रीय पर्यावरणविद् किशन सिंह मलड़ा के अनुसार मोर का इतनी ऊंचाई पर दिखना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि इससे भी अधिक ऊंचाई वाले रानीखेत में हर साल मई महीने में मोर देखे जाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि वन विभाग को अकेले घूमते इस मोर के साथ एक और मोर लाकर छोड़ देना चाहिए ताकि उनका जोड़ा बन सके और इसके जरिए मोर पर अध्ययन करने के नए अवसर प्राप्त हो सकें।
वहीं कुछ लोग ऐसी संभावना भी जता रहे हैं कि यह इकलौता मोर यहां किसी तरह भटककर या मैदानी क्षेत्रों से किसी वाहन में आ गया हो। जब तक एक से अधिक मोर नहीं दिखते, तब तक इस विषय में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। (Bageshwar-Peacock found in altitude of 3000 Feet)
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