December 23, 2025

⚖️ विधानसभा सचिवालय में अवैध नियुक्तियों का जिन्न फिर बोतल से बाहर, संबंधित जनहित याचिकाओं की सुनवाई के लिए अगली सुनवाई की तिथि तय…

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नवीन समाचार, नैनीताल, 8 अगस्त 2025 (Appointments in Legislative Assembly Secretariat)। उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में अवैध नियुक्तियों का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर या गया है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने विधानसभा सचिवालय में हुई कथित अवैध नियुक्तियों से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अगली तिथि 1 सितंबर 2025 निर्धारित कर दी है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खण्डपीठ ने तब तक याचिका में बनाए गए सभी पक्षकारों को अपना उत्तर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं।

याचिकाकर्ता का पक्ष

देहरादून निवासी अभिनव थापर द्वारा दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2000 में राज्य गठन से लेकर अब तक बैकडोर भर्ती, भ्रष्टाचार और अनियमितताएं होती रही हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार, जांच समिति ने 2016 के बाद की भर्तियों को निरस्त किया है, जबकि उससे पहले की नियुक्तियों को यथावत रखा गया है, जो भ्रष्टाचार को संरक्षण देने जैसा है।

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पूर्व आदेशों के बावजूद जांच लंबित

याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि पूर्व में कई आदेश पारित होने के बावजूद इस मामले में पूरी जांच नहीं हो सकी। इससे संबंधित कई अन्य याचिकाएं भी उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं, इसलिए मामले की शीघ्र सुनवाई की जानी चाहिए। अदालत ने इन दलीलों को सुनने के बाद 1 सितंबर को अगली सुनवाई तय की।

कानूनी उल्लंघन के आरोप (Appointments in Legislative Assembly Secretariat)

जनहित याचिका में कहा गया है कि विधानसभा भर्ती घोटाले में शामिल प्रभावशाली व्यक्तियों की जांच उच्च न्यायालय के सिटिंग न्यायाधीश की निगरानी में कराई जाए, उनसे सरकारी धन की वसूली हो और उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि यह प्रकरण 6 फरवरी 2003 के शासनादेश, जिसमें तदर्थ नियुक्तियों पर रोक का प्रावधान है, का उल्लंघन है।

साथ ही संविधान के अनुच्छेद 14, 16 व 187, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 की सेवा नियमावली और उत्तराखंड विधानसभा की 2011 की नियमावली का भी उल्लंघन हुआ है, जिनमें सभी नागरिकों को समान अवसर और नियमानुसार भर्ती का अधिकार दिया गया है।

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