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November 8, 2024

केदारनाथ चुनाव में किस आधार पर भाजपा-कॉंग्रेस ने दिए टिकट, क्या हैं केदारनाथ के चुनावी समीकरण और इतिहास

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 27 अक्टूबर 2024 (Electoral Equations and History of Kedarnath) उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम से जुड़ी 11वें ज्योतिर्लिंग के नाम पर केदारनाथ विधानसभा सीट का विशेष इतिहास रहा है। केदारनाथ के उप चुनाव के लिये कांग्रेस ने मनोज रावत और भाजपा ने आशा नौटियाल को प्रत्याशी घोषित कर एक तरह से ‘सेफ और प्रत्याशित’ यानी जैसी की पहले से संभावना जताई जा रही थी, बिना चौंकाए, बिना कोई प्रयोग किये, अपने वर्तमान में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ नेता को प्रत्याशी बनाया है।

(Electoral Equations and History of Kedarnath) केदारनाथ उप चुनाव,भाजपा से आशा नौटियाल की कांग्रेस के मनोज रावत से होगी  टक्कर - Divya Times Indiaउदाहरण के लिये कांग्रेस ने मीडिया की उम्मीदों को धता बताते हुए डॉ. हरक सिंह जैसा कोई प्रयोग नहीं किया तो भाजपा ने भी पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को प्रत्याशी नहीं बनाया।

साथ ही निवर्तमान दिवंगत विधायक शैलारानी रावत की पुत्री ऐश्वर्या रावत को टिकट देकर पार्टी को केवल सहानुभूति के भरोसे नहीं रख छोड़ा। यह संदेश भी दिया है कि जिस तरह ऐश्वर्या रावत और अन्य दावेदार कुलदीप रावत सोशल मीडिया पर बयानबाजी कर रहे थे, उसे भाजपा पसंद नहीं करती है, और किसी दबाव में नहीं आएगी।

आगे देखना होगा कि ऐश्वर्या और कुलदीप भाजपा के इस निर्णय पर क्या रुख दिखाते हैं। खासकर कुलदीप रावत जो पिछले दो चुनावों में निर्दलीय चुनाव लड़कर 13-14 हजार वोट लाने के बाद इसी वर्ष लोक सभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे और इस इस बार भी अपने कार्यकर्ताओं का नाम लेकर ‘उनकी इच्छा पर’ भाजपा से टिकट न मिलने पर भी चुनाव लड़ने का इरादा जता चुके हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि वह चुनाव चुनाव लड़कर भी भाजपा को ही लाभ पहुचाएंगे। कहा तो यहां तक जा रहा है कि भाजपा ही उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़वा सकती है।

पिछले 9 चुनावों में भाजपा 6 और कांग्रेस 3 बार केदारनाथ से चुनाव जीती है

अलबत्ता यह भी है कि यदि इस बार भी केदारनाथ की पहली महिला विधायक होने का रिकॉर्ड बनाने वाली भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल चुनाव जीतती हैं तो भाजपा के तीन बार विधायक रहे केदार सिंह फोनिया के रिकार्ड की बराबरी करेंगी, क्योंकि वह पहले से दो बार विधायक रह चुकी हैं। यह भी है कि राज्य बनने के बाद हुए 5 में से 4 चुनावों में यहाँ महिलाए, 2-2 बार आशा नौटियाल और शैलारानी रावत तथा एकमात्र बार मनोज रावत तथा पार्टियों के लिहाज से बात करें तो 3 बार भाजपा और 2 बार कॉंग्रेस ने चुनाव जीते हैं।

हारेगी तो ‘भाजपा’, जीतेगी तो आशा

यह भी है कि केदारनाथ में प्रतिष्ठा पर आशा नहीं भाजपा की जीत है। यानी यहां यदि भाजपा जीतेगी तो यह भाजपा के साथ आशा की जीत होगी और यदि हारेगी तो आशा से अधिक भाजपा की हार होगी। सामान्य चुनाव होता तो यहां जीत के लिये आशा को पूरी ताकत लगानी पड़ती, लेकिन यह चुनाव है जिसमें आशा के लिये पूरी पार्टी एकमुश्त मेहनत करेगी।

कांग्रेस जीती तो जोड़ेगी अयोध्या व बद्रीनाथ से भाजपा की हार से

अलबत्ता यदि यहां कांग्रेस जीतती है तो वह इसे अयोध्या में भगवान राम और बद्रीनाथ में भगवान विष्णु के बाद केदारनाथ में भगवान शिव का भी भाजपा से आर्शीवाद छूटने और कांग्रेस के पक्ष में आर्शीवाद देने यानी हिंदुओं का भाजपा से मोहभंग होने के रूप में प्रचारिक करेगी।

वैसे भाजपा-कांग्रेस का रिकार्ड देखें तो अब तक कांग्रेस 6, भाजपा 6 प्रजा सोशलिस्ट पार्टी 2, जनता पार्टी 1, लोकदल 1 और निर्दलीय 2 बार चुनाव जीते हैं। जबकि 1989 से हुए पिछले 9 चुनावों की बात करें तो भाजपा 6 और कांग्रेस 3 बार यहां से चुनाव जीती है।

प्रमुख चुनावी इतिहास-2 बार जीत चुकी हैं आशा 

वर्ष 2000 में उत्तराखंड के गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में  केदारनाथ सीट “37 केदारनाथ” के नाम से जानी गई थी। 2002 में पहली बार हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार आशा नौटियाल ने कांग्रेस की शैलारानी रावत को हराकर इस सीट पर पहली महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया। इसके बाद 2007 में भी उन्होंने कांग्रेस के कुंवर सिंह नेगी को हराकर अपनी जीत को दोहराया।

2012 के चुनाव में कांग्रेस की शैलारानी रावत ने भाजपा की आशा नौटियाल को हराकर यह सीट जीत ली। इसके बाद 2016 में शैलारानी ने कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया। 2017 में भाजपा ने आशा नौटियाल का टिकट काटकर शैलारानी रावत को उम्मीदवार बनाया, जबकि आशा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। इस चुनाव में कांग्रेस के मनोज रावत ने विजय प्राप्त की और विधायक बने।

2022 का चुनाव और वर्तमान उपचुनाव

2022 में हुए चुनाव में फिर से शैलारानी रावत ने जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस के मनोज रावत तीसरे स्थान पर खिसक गए। इस चुनाव में शैलारानी ने निर्दलीय उम्मीदवार कुलदीप सिंह रावत को लगभग 8,000 वोटों से हराया। शैलारानी रावत के निधन के बाद अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है, जिसमें जनता का रुझान एक बार फिर रोमांचक स्थिति में है।

इस सीट का ऐतिहासिक सफर

1951 में पहले आम चुनाव के दौरान यह सीट ‘6 चमोली पश्चिम सह पौड़ी उत्तर’ के नाम से जानी जाती थी, और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के गंगाधर मैठाणी पहले विधायक बने। 1957 में नए सीमांकन के बाद यह “7 केदारनाथ” बनी और कांग्रेस के नरेन्द्र सिंह भंडारी ने इसे जीता। समय-समय पर इस सीट का नाम और सीमांकन बदलता रहा, जैसे 1967 में “8 बदरी-केदार” और 1985 में पुनः ‘7 बदरी-केदार’ नाम से इसे जाना गया।

1980 में कुंवर सिंह नेगी निर्दलीय विधायक बने और बाद में कांग्रेस में शामिल होकर 1989 में फिर से जीते। 1991, 1993 और 1996 में भाजपा के केदार सिंह फोनिया विधायक चुने गए। 2002 और 2007 में भाजपा की आशा नौटियाल विधायक बनीं, जबकि 2012 में कांग्रेस की शैलारानी रावत जीतीं। (Electoral Equations and History of Kedarnath, Kedarnath By Election, Uttarakhand News, Kedarnath News, Rudraprayag News)

जानिए केदारनाथ सीट का पूरा इतिहास (Electoral Equations and History of Kedarnath)

  • 1951 के पहले आम चुनाव में ये सीट 06 चमोली पश्चिम सह पौड़ी उत्तर के नाम से जानी जाती थी। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के गंगाधर मैठाणी पहले विधायक बने थे।
  • 1957 में नया सीमांकन होने के बाद सीट 07 केदारनाथ बनी। कांग्रेस के नरेन्द्र सिंह भंडारी चुनाव जीते।
  • 1962 में गंगाधर मैठाणी प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से विधायक बने।
  • 1967 में सीट का नाम 08 बदरी-केदार हो गया था। गंगाधर मैठाणी ने कांग्रेस में आकर चुनाव जीते।
  • 1969 के चुनाव में नरेन्द्र सिंह भंडारी ने निर्दलीय चुनाव जीता।
  • 1974 में कांग्रेस के नरेंद्र सिंह भंडारी फिर से चुनाव जीते।
  • 1977 जनता पार्टी के प्रताप सिंह पुष्पाण विधायक बने।
  • 1980 में कुंवर सिंह नेगी बने विधायक।
  • 1980 में कुंवर सिंह नेगी निर्दलीय विधायक बने। उन्होंने कांग्रेस के नरेन्द्र सिंह को हराया। 
  • 1985 में सीट 07 बदरी-केदार बन गई। लोकदल के कुंवर सिंह नेगी जीते।
  • 1989 में कुंवर सिंह नेगी कांग्रेस के टिकट पर दोबारा विधायक बने।
  • 1991, 1993 और 1996 में तीन बार भारतीय जनता पार्टी के केदार सिंह फोनिया विधायक रहे।
  • 2002, 2007 में 37 केदारनाथ सीट भाजपा की आशा नौटियाल विधायक बनीं।
  • 2012 कांग्रेस की शैलारानी विधायक बनीं।
  • 2017 कांग्रेस के मनोज रावत विधायक चुने गए। इस चुनाव में शैलारानी भाजपा से और आशा नौटियाल निर्दलीय चुनाव लड़ी थी। 
  • 2022 भाजपा की शैलारानी विधायक बनीं।

इस प्रकार केदारनाथ विधानसभा सीट पर इस बार उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। (Electoral Equations and History of Kedarnath, Kedarnath By Election, Uttarakhand News, Kedarnath News, Rudraprayag News)

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