कई गांवों में लगे गैर-हिंदुओं और रोहिंग्याओं के प्रवेश पर रोक लगाने वाले साइनबोर्ड, जानें क्या रही सरकार की प्रतिक्रिया
नवीन समाचार, रुद्रप्रयाग, 8 सितंबर 2024 (Signboards Prohibiting Non-Hindus and Rohingyas)। समाज में कुछ लोग वैमनस्यता फैलाते हैं और इसकी सजा पूरे समाज को मिलती है। उत्तराखंड में मुस्लिम समुदाय के कुछ युवकों के ग्रामीण किशोरियों-युवतियों से छेड़छाड़, दुष्कर्म व भगा कर ले जाने की घटनाओं के बाद उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों में गैर-हिंदुओं और रोहिंग्याओं के प्रवेश पर रोक लगाने वाले साइनबोर्ड लगाए गए। इन्हें प्रशासन ने हटा दिया है। इन बोर्डों पर लिखा था कि गैर-हिंदुओं और रोहिंग्या मुसलमानों का गांव में व्यापार और फेरी लगाना वर्जित है। अगर कोई पाया जाता है, तो दंडात्मक और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
राजनीतिक विवाद
इन साइनबोर्ड्स को लेकर विवाद बढ़ गया है। पुलिस का कहना है कि यदि कोई माहौल बिगाड़ने की कोशिश करता है, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि सामुदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए ऐसे बोर्डों की अनुमति नहीं दी जा सकती।
प्रशासन की कार्रवाई
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अभिनव कुमार ने स्थानीय पुलिस और खुफिया इकाइयों को जांच के आदेश दिए हैं कि किन गांवों में ऐसे बोर्ड लगाए गए हैं। रुद्रप्रयाग के सर्कल अधिकारी प्रबोध घिल्डियाल ने बताया कि साइनबोर्ड हटाने का काम शुरू कर दिया गया है और उन्हें लगाने वालों की पहचान की जा रही है।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
कुछ ग्रामीणों ने कहा कि यह अभियान पिछले एक साल से चल रहा था। मयकांडा की ग्राम प्रधान चांदनी देवी के पति प्रवीण कुमार ने कहा कि यह कदम गांवों की सुरक्षा के लिए उठाया गया था। उन्होंने बताया कि कुछ हफ्ते पहले बोर्ड लगाए गए थे, लेकिन पुलिस ने सूचना मिलने पर तुरंत हस्तक्षेप किया।
गैर हिंदू शब्द साइन बोर्ड से हटाया, केदारघाटी के गांव में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक बरकरार
केदारघाटी के कुछ गांवों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध और दंड लगाने से संबंधित साइन बोर्ड लगाने के मामले के तूल पकड़ने पर ग्रामीणों ने साइन बोर्ड की भाषा में बदलाव किया है। पुलिस-प्रशासन की सख्ती के बाद रविवार को साइन बोर्ड में से गैर हिंदू शब्द मिटा दिया है। अब बाहरी और फेरी वालों के गांव में प्रवेश और व्यापार करने पर प्रतिबंध के बोर्ड लगे हैं। पहले बोर्ड पर गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लिखा हुआ था। दूसरी ओर सरकार ने भी मामले को गंभीरता से लिया है। गृह विभाग इस प्रकरण का परीक्षण करा रहा है।
सुरक्षा संबंधी चिंताएं
इन साइन बोर्ड्स को लगाने के पीछे का कारण सुरक्षा चिंताएं बताई जा रही हैं। गांवों में बाहरी लोगों के बढ़ते आगमन से स्थानीय लोग चिंतित हैं, विशेषकर हाल की चोरी की घटनाओं के बाद। शेरसी गांव के एक निवासी, अशोक सेमवाल, जो भैरव सेना के जिला अध्यक्ष हैं, ने बताया कि उन्होंने हाल के दिनों में मंदिरों में हुई चोरी की घटनाओं के कारण बाहरी लोगों पर संदेह जताते हुए ये बोर्ड लगाए थे।
पुलिस का रुख
रुद्रप्रयाग के पुलिस उपाधीक्षक प्रबोध घिल्डियाल ने स्पष्ट किया कि सामाजिक समरसता को बाधित करने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा, “जैसे ही इस मुद्दे की जानकारी मिली, पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए साइनबोर्ड हटा दिए। अगर भविष्य में फिर से ऐसे कोई बोर्ड लगाए जाते हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
ग्रामीणों की सुरक्षा चिंताएं (Signboards Prohibiting Non-Hindus and Rohingyas)
स्थानीय निवासियों का मानना है कि बाहरी लोगों का गांवों में प्रवेश करना सुरक्षा के लिए खतरा है, खासकर मंदिरों में हो रही चोरियों को देखते हुए। ग्रामीणों का कहना है कि ये बोर्ड गांव की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लगाए गए थे, लेकिन अब पुलिस के हस्तक्षेप के बाद इन्हें हटा दिया गया है। (Signboards Prohibiting Non-Hindus and Rohingyas)
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