बड़ा फैसला: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने भाई-भाभी के हत्यारे भाई को फांसी की सजा से दी राहत..
नवीन समाचार, नैनीताल, 17 मई 2024 (UK High Court gives relief from death sentence)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 8 साल पुराने हरिद्वार के रानीपुर में पैसों के लेनदेन में भाई और भाभी की हत्या करने के मामले में दोषी को फांसी की सजा से राहत दे दी है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में अपर सत्र न्यायालय हरिद्वार का निर्णय बदलते हुए दोषी को फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का फैसला सुनाया है।
यह था मामला (UK High Court gives relief from death sentence)
मामले के अनुसार वर्ष 2016 में हरिद्वार के रानीपुर में रुपयों के लेनदेन के विवाद के बाद छोटे भाई ने चाकू से अपने बड़े भाई और भाभी की नृशंस हत्या कर दी थी। यही नहीं हत्यारोपित ने 5 वर्षीय भतीजी की भी हत्या करने की कोशिश की थी। ग्रामीणों ने बाहर से कुंडा लगाकर उसे कमरे में बंद कर किसी तरह बच्ची को बचाया था और पुलिस को सूचना दी थी।
पुलिस के पहुंचने के बाद दोहरे हत्याकांड के आरोपित छोटे भाई को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया। मामले की सुनवाई के बाद अपर सत्र न्यायाधीश हरिद्वार न्यायालीय ने 29 नवम्बर 2018 को भारतीय दंड प्रक्रिया की धारा 302 के तहत हत्या करने पर फांसी की सजा और 40 हजार का जुर्माना लगाया था। धारा 307 हत्या का प्रयास करने पर पर दस साल की सजा तथा 30 हजार का जुर्माने से दंडित किया था।
17 गवाहों ने की थी हत्या करने की पुष्टि (UK High Court gives relief from death sentence)
सत्र परीक्षण के दौरान मामले में पेश किए गये सभी 16 गवाहों ने हत्या करने की पुष्टि की थी। इस आदेश के खिलाफ अभियुक्त ने 2018 में उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसको फांसी की सजा दिए जाने के पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील करने के आदेश दिए। (UK High Court gives relief from death sentence)
इस आधार पर फांसी की सजा का निर्णय बदला (UK High Court gives relief from death sentence)
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आज हरिद्वार के चतुर्थ अपर सत्र न्यायधीश के न्यायालय द्वारा भाई और भाभी की हत्या करने के जघन्य अपराध के मामले में फांसी की सजा दिए जाने के मामले में सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार की खंडपीठ ने अभियुक्त का कोई आपराधिक रिकार्ड न होने व मामले में उसके विरुद्ध फांसी की सजा दिए जाने के पर्याप्त सबूत रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं होने की दलील पर फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। (UK High Court gives relief from death sentence)
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