April 27, 2024

जानते हैं, हमारी तरह ब्रह्मांड भी लेता है ‘हिचकियां’, लेकिन क्यों ? एरीज के खगोलविद ने अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के साथ गुत्थी सुलझाकर किया बड़ा काम…

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-खगोलविदों ने एक छोटे ब्लैक होल को बड़े ब्लैक होल की गैस की डिस्क में बार-बार छेद करते हुए पाया
नवीन समाचार, नैनीताल, 29 मार्च 2024 (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)। मनुष्य क्यों हिचकियां लेता है, शायद कुछ लोगों के लिये आज भी एक रहस्य हो। कई बार ऐसी हिचकियां भी आती हैं जिनका रुकना मुश्किल हो जाता है। लोग इसे किसी के याद करने से भी जोड़ते हैं। लेकिन क्या आपको पता है ब्रह्मांड भी हिचकियां लेता है।

Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery,ब्रह्मांड का इस तरह हिचकिंया लेना भी अब तक एक रहस्य था, लेकिन अब नैनीताल स्थित एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के खगोलविदों ने अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के साथ सुदूर आकाशगंगा के केंद्र में ब्लैक होल में लगातार हो रही ‘हिचकियों’ के रहस्य को सुलझा लिया है। खगोलविदों ने एक छोटे ब्लैक होल को बड़े ब्लैक होल की गैस की डिस्क में बार-बार छेद करते हुए पाया है। खगोलविदों की यह खोज ब्लैक होलों में अब तक अनदेखे व्यवहार पर प्रकाश डालती है।

80 करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर देखी गयी अनोखी घटना (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी से लगभग 80 करोड़ प्रकाश-वर्ष दूर एक आकाशगंगा के केंद्र में स्थित एक महाविशाल ब्लैक होल में एक अनोखी घटना देखी गयी, जिसने वैज्ञानिकों को भ्रमित कर दिया है। इस व्यव्हार को वैज्ञानिक ‘लगातार हो रही हिचकियाँ’ कहते हैं। यह हिचकियाँ हर 8.5 दिनों में गैस उत्सर्जन के आवधिक विस्फोट के रूप में प्रकट होती हैं, जिसके बाद यह अपनी सामान्य, निष्क्रिय अवस्था में लौट आती हैं।

यह अभूतपूर्व व्यवहार ब्लैक होल अभिवृद्धि डिस्क, जिसे पहले केंद्रीय ब्लैक होल के चारों ओर घूमने वाली अपेक्षाकृत समान संरचना माना जाता था, की पारंपरिक समझ को चुनौती देता है। इस शोध टीम में मुख्य लेखक और एमआईटी के कावली इंस्टीट्यूट फॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड स्पेस रिसर्च के शोध वैज्ञानिक डॉ. धीरज पाशम के साथ एरीज के डॉ. सुवेंदु रक्षित भी शामिल हैं।

साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित हुए इस शोध के निष्कर्ष (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित इस शोध के निष्कर्ष से इन आवधिक विस्फोटों के लिए एक दिलचस्प स्पष्टीकरण प्रस्तावित किया गया है। ऐसा माना गया है कि एक छोटा ब्लैक होल केंद्रीय सुपरमैसिव ब्लैक होल की परिक्रमा करते हुए समय-समय पर इसकी गैस की डिस्क को बाधित करता है और इस प्रक्रिया में गैस के गुबार छोड़ता है, जो हिचकियों जैसी लगती हैं। इस खोज से पता चलता है कि अभिवृद्धि डिस्क में विभिन्न पिंड हो सकते हैं, जिनमें अन्य ब्लैक होल और यहां तक कि संपूर्ण तारे भी शामिल हैं।

रोबोटिक व नाइसर दूरबीनों के प्रयोग से मिली सफलता (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

डॉ. रक्षित के अनुसार वह इस घटना को देखकर आश्चर्यचकित थे और इस व्यवहार का स्पष्टीकरण देने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। यह खोज ऑटोमेटेड सर्वे फॉर सुपरनोवा (असास-एसएन), रोबोटिक दूरबीनों का एक नेटवर्क जिसने दूरस्थ आकाशगंगा में प्रकाश के विस्फोट का पता लगाया, द्वारा संभव हुई। डॉ. पाशम ने विस्फोट के दौरान आकाशगंगा के एक्स-रे उत्सर्जन की बारीकी से निगरानी करने के लिए नासा के न्यूट्रॉन स्टार इंटीरियर कंपोजिशन एक्सप्लोरर (नाइसर) दूरबीन का उपयोग किया। (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

टीम ने पाया कि दिसंबर 2020 की खोज से पहले आकाशगंगा अपेक्षाकृत शांत थी। डॉ. रक्षित ने पाया कि आकाशगंगा का केंद्रीय महाविशाल ब्लैक होल 5 करोड़ सूर्यों जितना भीमकाय है। विस्फोट से पहले, ब्लैक होल के चारों ओर एक धुंधली, फैली हुई अभिवृद्धि डिस्क घूम रही होगी, जिसके साथ 100 से 10,000 सौर द्रव्यमान वाला एक दूसरा, छोटा ब्लैक होल, अनभिज्ञता से परिक्रमा कर रहा था। (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

शोधकर्ताओं को संदेह है कि दिसंबर 2020 में एक तीसरा पिंड, जो संभवतः पास का एक तारा हो, इस तंत्र के बहुत करीब आ गया और महाविशाल ब्लैक होल के प्रचंड गुरुत्वाकर्षण द्वारा टुकड़े-टुकड़े हो गया। ऐसी घटना को खगोलविद ‘ज्वारीय व्यवधान घटना’ कहते हैं। जब तारे का मलबा ब्लैक होल में समाने लगा, तब तारकीय पदार्थ के अचानक प्रवाह ने क्षणभर के लिए ब्लैक होल की अभिवृद्धि डिस्क को उज्ज्वल कर दिया। (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

चार महीनों में महाविशाल ब्लैक होल ने तारकीय मलबे को खा लिया और दूसरा ब्लैक होल परिक्रमा करता रहा। जैसे ही यह डिस्क से गुजरा, इसने सामान्य से कहीं अधिक बड़ा गुबार उत्सर्जित किया, जो सीधे नाइसर के दृष्टिकोण की तरफ था। (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

आगे के विश्लेषण से हर 8.5 दिनों में होने वाले एक्स-रे उत्सर्जन में गिरावट का एक अजीब पैटर्न सामने आया, जो डिस्क के बीच से गुजरते एक दूसरे ब्लैक होल की उपस्थिति का संकेत देता है। चेक गणराज्य के सैद्धांतिक भौतिकविदों के साथ सहयोग करते हुए टीम ने ऐसे सिमुलेशन किए जो इस परिकल्पना का समर्थन करते हैं, जहां एक छोटा ब्लैक होल एक बड़े ब्लैक होल की परिक्रमा करता है। (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

अलबत्ता यह भी है कि जैसे-जैसे खगोलशास्त्री ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाते जा रहे हैं, यह खोज ब्रह्मांडीय घटनाओं की असीमित जटिलता और विविधता दर्शाती है। साथ ही हमारी समझ को चुनौती देती है और नई दिशा में अनुसंधान करने को प्रेरित करती है। (Universe Takes Hiccups Astronomer solved Mystery)

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