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April 10, 2025

कांग्रेस की आंतरिक स्थिति को लेकर दिल्ली में दिया गया नैनीताल जिलाध्यक्ष का दो मिनट का वक्तव्य देश भर में चर्चा में…

Uttarakhand Congress Navin Samachar

नवीन समाचार, दिल्ली, 7 अप्रैल 2025 (2Minute Statement of RahulChhimwal in Discussion)कांग्रेस की आंतरिक स्थिति को लेकर दिल्ली में आयोजित हुई महत्वपूर्ण बैठक में कॉंग्रेस पार्टी के नैनीताल के जिलाध्यक्ष ने पार्टी के भीतर के मतभेदों, संगठनात्मक कमजोरियों और गुटबाजी की परतें खोलकर रख दी हैं।

शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित इस बैठक में उत्तराखंड के कांग्रेस जिलाध्यक्षों की बारी आई, जहां नैनीताल के जिलाध्यक्ष राहुल छिमवाल द्वारा रखे गए दो मिनट के वक्तव्य ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सोचने पर विवश कर दिया।

नेतृत्व पर तंज—बिना प्रैक्टिस मैच खेले फाइनल में कप्तान बन जाते हैं नेता

उल्लेखनीय हैं कि नैनीताल जनपद में 22 वर्ष तक कॉंग्रेस पार्टी का एक ही जिलाध्यक्ष रहने के बाद नवंबर 2022 में जिलाध्यक्ष बनाया गया था।  2Minute Statement of RahulChhimwal in Discussion Hill More In District Executive Of Congress - Nainital News - Nainital  News:कांग्रेस की जिला कार्यकारिणी में पहाड़ की पकड़बैठक में जिलाध्यक्ष छिमवाल ने बिना लाग-लपेट के संगठन की जमीनी सच्चाई को सामने रखते हुए कहा, “प्रैक्टिस मैच में जो नेता नजर नहीं आते, वे फाइनल में कप्तान बनकर उतर जाते हैं।” उनका यह बयान न केवल संगठन में चल रही कार्यकर्ता उपेक्षा की ओर इशारा करता है, बल्कि टिकट वितरण में ऊपर से थोपे गए नामों की आलोचना भी करता है।

उनका संकेत साफ था—जो नेता आम दिनों में जनता और संगठन से दूर रहते हैं, वे चुनाव आते ही टिकट के दावेदार बन जाते हैं, जबकि वर्षों से परिश्रम कर रहे जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी होती है।

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा बनी सबसे बड़ी चुनौती

बैठक में यह भी उजागर हुआ कि वर्तमान समय में जिला स्तरीय इकाइयों की भूमिका केवल दिखावे तक सीमित रह गई है। 1970 के दशक में जहां जिलाध्यक्षों की सिफारिशें टिकट तय करने में निर्णायक होती थीं, अब उन्हें केवल औपचारिकता के लिए बुलाया जाता है। कई बार तो उनकी राय भी नहीं ली जाती।

इस संदर्भ में सुझाव दिया गया कि संगठन से जुड़े वरिष्ठों को ‘भूतपूर्व’ कहकर अलग-थलग न किया जाए, बल्कि उन्हें नई जिम्मेदारियां देकर सक्रिय बनाए रखा जाए। इसके साथ ही यह मांग भी उठी कि यदि कोई जनप्रतिनिधि सार्वजनिक रूप से पार्टी विरोधी बयान देता है, तो उस पर कार्रवाई करने का अधिकार भी जिला कमेटियों को दिया जाए, ताकि अनुशासन बना रहे। 

संगठन के भीतर ‘स्लीपर सेल’ जैसे तत्वों पर आशंका

छिमवाल द्वारा यह भी कहा गया कि पार्टी के भीतर कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो सार्वजनिक रूप से तो कांग्रेस के साथ दिखते हैं, लेकिन उनकी गतिविधियाँ विपक्ष के अनुकूल होती हैं। यह बात सुनते ही अन्य जिलों के प्रतिनिधियों ने भी सहमति जताई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह समस्या केवल नैनीताल तक सीमित नहीं है।

गुटबाजी और मनोबल गिरने का दुष्परिणाम

बैठक में एक राय यह भी बनी कि कांग्रेस की हार के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पार्टी के अंदर ही फैली गुटबाजी, कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और शीर्ष से लिए गए निर्णय हैं, जिनमें स्थानीय स्तर की भागीदारी नहीं होती। इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है, वे पार्टी से दूर हो जाते हैं और चुनाव के समय जब टिकट बाहरी चेहरों को दे दिया जाता है, तब संगठन के अपने कार्यकर्ता निष्क्रिय रह जाते हैं। परिणामस्वरूप, हार का सामना करना पड़ता है।

सुधार की मांग—कार्यकर्ताओं को मिले अधिकार व सम्मान

बैठक में यह बात प्रमुखता से उठाई गई कि यदि कांग्रेस को आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करनी है, तो सबसे पहले उसे अपने संगठनात्मक ढांचे को मज़बूत करना होगा। कार्यकर्ताओं को केवल ‘कार्यकर्ता’ बनाकर नहीं, बल्कि उन्हें निर्णयों में भागीदार बनाकर, सम्मान और अधिकार देकर ही पार्टी में नवजीवन फूंका जा सकता है।

क्या हाईकमान करेगा सुधार की पहल? (2Minute Statement of RahulChhimwal in Discussion)

दिल्ली की बैठक में विभिन्न राज्यों से आये जिलाध्यक्षों ने विचार साझा किये, लेकिन नैनीताल से आई रिपोर्ट और सुझावों ने कांग्रेस की वर्तमान दशा को बेबाकी से सामने रखा। अब यह कांग्रेस हाईकमान पर निर्भर है कि वह इन सुझावों को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या पार्टी को सच में अंदर से मजबूत बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाता है।

यदि समय रहते संगठन के भीतर सुधार नहीं किये गये, तो पार्टी को आगामी चुनावों में न केवल कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, बल्कि उसका आधार भी और अधिक कमजोर हो सकता है। (2Minute Statement of RahulChhimwal in Discussion)

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