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January 12, 2025

न जाने कितने लोगों का जीवन बचाएगा स्वयं न जी सका पांच दिन का नवजात, चालक पिता ने देहदान कर पेश की मिसाल

Navjat ka shav bachche ka

नवीन समाचार, ऋषिकेश, 12 जनवरी 2025 (5 day-old Newborns Body Donated-will save Lives) एम्स ऋषिकेश में हृदय गति रुकने से पांच दिन के नवजात की मृत्यु के बाद उसके माता-पिता ने एक अनुकरणीय कदम उठाते हुए उसका शव जनहित में दान कर दिया। इस संवेदनशील निर्णय के तहत शव को देहरादून स्थित ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज को शोध के लिए सौंपा गया। इस प्रक्रिया में लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि और मोहन फाउंडेशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अब यह नवजात न जाने कितने लोगों का जीवन बचाएगा। 

पेशे से चालक हैं उत्तरकाशी के मनोज लाल, पत्नी विनीता देवी सहित समाज को दिया बड़ा संदेश

Rishikesh News Family Donates Body Of Six-day-old Newborn, Died At Aiims  During Treatment - Amar Ujala Hindi News Live - Rishikesh:भावुक पल...परिवार  ने छह दिन के नवजात का किया देहदान, उपचार के (5 day-old Newborns Body Donated-will save Lives)
नवजात का देहदान करने वाले पिता को सम्मानित करते लोग

उत्तरकाशी के अदनी रौंतल गांव के निवासी मनोज लाल और उनकी पत्नी विनीता देवी ने इस कदम से समाज को एक प्रेरक संदेश दिया। मनोज लाल, जो पेशे से वाहन चालक हैं, की पत्नी विनीता देवी ने 6 जनवरी को एक पुत्र को जन्म दिया था। लेकिन जन्म के तुरंत बाद नवजात को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। स्थिति गंभीर होने पर 7 जनवरी को उसे एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया।

जांच और ऑपरेशन के बाद भी नहीं बच पाई नवजात की जान

चिकित्सकों ने जांच के दौरान पाया कि नवजात की सांस लेने और खाने की नली आपस में चिपकी हुई थी। आवश्यक सहमति के बाद चिकित्सकों ने ऑपरेशन किया, लेकिन हृदय गति रुकने से नवजात की मृत्यु हो गई।

माता-पिता ने कठिन घड़ी में लिया महत्वपूर्ण निर्णय

इस दु:खद घड़ी में मनोज लाल ने मुक्तिधाम समिति के सेवादार अनिल कक्कड़ से अंतिम संस्कार के विकल्पों पर चर्चा की। अनिल कक्कड़ ने उन्हें बताया कि नवजात का अंतिम संस्कार परंपरागत रूप से नहीं किया जाता, बल्कि या तो उसे जमीन में दबाया जाता है या गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है। इसके अतिरिक्त उन्होंने सुझाव दिया कि जनहित में नवजात का शव मेडिकल कॉलेज को दान किया जा सकता है।

मनोज लाल ने अपने गांव में परिजनों से चर्चा कर इस विकल्प को चुना। उन्होंने कहा, “बेटे को खोने का गम तो बहुत है, लेकिन जनहित के लिए उसका शव दान करना मेरे लिए अधिक महत्वपूर्ण लगा।”

शव दान के पीछे का उद्देश्य

लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के अध्यक्ष गोपाल नारंग और मोहन फाउंडेशन के उत्तराखंड प्रोजेक्ट लीडर संचित अरोड़ा ने बताया कि नवजात का शव ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को सौंपा गया है। वहां इसका उपयोग चिकित्सा शोध और अध्ययन के लिए किया जाएगा।

पहले भी हुए हैं ऐसे प्रेरणादायक कदम

लायंस क्लब ने जानकारी दी कि अब तक उनके सहयोग से चार देहदान कराए जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त 11 व्यक्तियों ने मरने के बाद अपने शरीर को दान करने का संकल्प पत्र भरा है।

समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बने मनोज लाल और विनीता देवी (5 day-old Newborns Body Donated-will save Lives)

मनोज लाल और विनीता देवी का यह कदम न केवल उनके दुख को जनहित में परिवर्तित करने का उदाहरण है, बल्कि यह अन्य लोगों को भी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करता है। (5 day-old Newborns Body Donated-will save Lives)

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