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March 19, 2024

पिता को हजारों में महंगा पड़ा नाबालिग बेटे को स्कूटी चलाने देना

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Man Challaned Rs 26,000 For Letting His Underage Son Ride A Scooter Without  Helmetनवीन समाचार, अल्मोड़ा, 9 अक्तूबर 2022। अल्मोड़ा में एक पिता को अपने नाबालिग बेटे को स्कूटी चलाने के लिए देना महंगा पड़ गया। पुलिस ने उसके पिता का 25 हजार रुपये को चालान काटा है। साथ ही उन्हें इस संबंध में जरूरी दिशा-निर्देश भी दिए हैं।

बताया गया है कि इंटरसेप्टर प्रभारी जीवन सामंत के नेतृत्व में टीम नगर के टैक्सी स्टैंड के पास चेकिंग अभियान चला रही थी। इस दौरान एक तेज रफ्तार से आती स्कूटी को रोका गया। स्कूटी को 14 साल का एक नाबालिग किशोर बिना हेलमेट के चला रहा था। इस पर पुलिस ने स्कूटी सीज करते हुए उसके पिता को मौके पर बुलाया और उनका 25 हजार रुपये का चालान काट दिया। पुलिस ने कहा कि नाबालिग बाइक और कार सहित अन्य गाड़ियां चलाते हुए नजर आते हैं। यह गंभीर मामला है। इसलिए नियमानुसार कार्रवाई की गई है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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यह भी पढ़ें : सैलानी ने पूछा-UK को पर्यटकों से अधिक राजस्व मिलता है या चालान से ? बिना कारण बताए वाहन के कागजात हुए जब्त, तो CMHelpline से भी नहीं मिला कोई जवाब

नवीन समाचार, नैनीताल, 2 नवम्बर 2020। बरेली निवासी सैलानी ने नैनीताल पुलिस पर बिना कारण बताए उनके वाहन के कागजात जब्त करने का आरोप लगाया है। बरेली के बसंत विहार इज्जतनगर निवासी शाश्वत तिवारी पुत्र ओम प्रकाश तिवारी ने आपके प्रिय एवं भरोसेमंद ‘नवीन समाचार’ को बताया कि वह अपने मित्र के साथ मोटरसाइकिल संख्या यूपी25सीई-4378 से मुक्तेश्वर आए थे। उनके पास सभी प्रपत्र थे। इस दौरान पीछे बैठे उनके मित्र ने सिर में खुजली होने पर हेलमेट उतारा था, तभी पुलिस की महिला एसआई की अगुवाई में पुलिस कर्मियों ने उन्हें रोक दिया और उनका चालक लाइसेंस व वाहन का पंजीकरण प्रमाण पत्र जब्त कर उन्हें तीन-चार दिन बाद भवाली जाकर छुड़वाने को कहा। शास्वत का आरोप है कि महिला उप निरीक्षक से वाहन जब्त करने का कारण पूछा तो उन्होंने नहीं बताया, उल्टे उनके पूछने को बहस करना बता दिया गया।

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उन्होंने कहा कि वह यूपी में सरकारी कर्मचारी हैं। कागजात छुड़वाने के लिए उन्हें अब छुट्टी लेकर यहीं रुकना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत सीएम हेल्पलाइन नंबर में भी करने की कोशिश की पर वह बंद मिला। किसी तरह संपर्क करने पर कहा गया कि जनपद की पुलिस से संपर्क करें। बाद में कहा गया कि वह पुलिस के कार्य में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। जनपद के उच्चाधिकारी से बात की तो कहा गया कि वह बहस कर रहे होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में सैलानियों के चालान कर अधिक राजस्व की प्राप्ति की जा रही है। उन्हें जागरूक नहीं किया जा रहा है। बल्कि पुलिस के द्वारा बदतमीजी से बात की जा रही है। उनके सामने कार में उल्टी कर रही एक बच्ची का मास्क न पहनने पर चालान किया गया। उन्होंने सवाल किया कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में किसका अधिक योगदान है, पर्यटकों का या चालान का ? वहीं इस बारे में पुलिस के एक उच्चाधिकारी का अनौपचारिक तौर पर कहना था कि चालान की दरें बढ़ने के बाद से ऐसी परेशानी हो रही है। हेलमेट न पहनने पर 1000 रुपए के जुर्माने का प्राविधान है। लोग इसका विरोध करते हैं। संभवतया बहस करने पर कागजात जब्त किए गए होंगे।
उल्लेखनीय है कि मुख्यालय में ही गत दिवस मास्क न पहनने पर पुलिस एक व्यक्ति को बहस करने पर गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं सैलानियों के साथ ही स्थानीय लोग भी पुलिस पर अत्यधिक व बेवजह चालान करने के आरोप लगा रहे हैं। युवा कांग्रेस की ओर से मुख्यालय में इस बारे में पुलिस के अधिकारियों को ज्ञापन भी दिया जा चुका है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भी कह चुके हैं कि पुलिस को चालान की जगह लोगों को जागरूक करने पर जोर देना चाहिए। फिर भी पुलिस चालान पर जोर दिए हुए नजर आ रही है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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यह भी पढ़ें : UK में लागू हुई ई-चालान व्यवस्था, CM ने किया शुभारंभ, 3 बार चालान पर निरस्त होगा लाइसेंस

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– मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जनपदों के लिए रवाना किए इन्टरसेप्ट 

– तीन बार चालान कटने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस हो जाएगा रद्द

–  नियम तोड़ने वालों पर नकेल कसने के लिए ‘ट्रैफिक आई उत्तराखंड एप’ लांच

दधिबल यादव @ नवीन समाचार, 1 मार्च 2020। उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में ई-चालान व्यवस्था लागू हो गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज यहां पुलिस लाइन में इसका शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य के सभी जनपदों के लिए इन्टरसेप्टर भी रवाना किये। मुख्यमंत्री के समक्ष ई-चालान के लिए यातायात निदेशक केवल खुराना एवं एसबीआई के डीजीएम बीएल सैनी ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये। ई-चालान व्यवस्था लागू होने से यह भी पता चल सकेगा कि किस व्यक्ति का नियमों का उल्लंघन करते हुए कितनी बार चालान काटा गया है। किसी व्यक्ति का तीन बार चालान कटने के उपरान्त ड्राइविंग लाइसेंस भी निरस्त हो जायेगा।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यातायात के नियमों का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है। सड़क सुरक्षा के लिए निरन्तर जागरुकता कार्यक्रम चलाना जरूरी है। यातायात का उल्लंघन करने वालों पर पुलिस द्वारा सख्ती बरतने पर पिछले एक साल में दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आई है। यातायात के नियमों के पालन हेतु सबको अनुशासित होना होगा। पुलिस का उद्देश्य चालान काटना नहीं बल्कि लोगों की जीवन की रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाए। चालान एवं दंड नियमों के पालन में सहायक तो हो सकते हैं परन्तु अनुशासन ही दुर्घटनाओं से बचाव का एकमात्र रास्ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देहरादून में यातायात व्यवस्थाओं के लिए पुलिस विभाग को 20 और वाहनों को स्वीकृति दी गई है।

पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी ने कहा कि पुलिस का कार्य अनुशासन के साथ कठिन परिस्थितियों एवं चुनौतियों से निपटने का होता है। जनता की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पुलिस की होती है। किसी भी व्यवस्था का मूल उद्देश्य लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना है। पुलिस का उद्देश्य चालान काटना नहीं बल्कि लोगों के जीवन की रक्षा करना है। उत्तराखण्ड में प्रतिवर्ष लगभग 5 करोड़ लोग उत्तराखण्ड आते हैं। पर्यटन से उत्तराखण्ड की आर्थिकी में सुधार होता है। जो पर्यटक उत्तराखण्ड आते हैं, उससे भी प्रदेश में वाहनों की संख्या काफी बढ़ती है। ई-चालान व्यवस्था से जहां कम मानव संसाधन की जरूरत होगी वहीं यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों का ऑनलाइन चालान काटा जायेगा। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा को लेकर अभी और जागरूकता की जरूरत है। पिछले एक वर्ष में यातायात के नियमों का उल्लंघन करने पर 14 लाख चालान किये गये।

गौरतलब है कि आज  ‘ट्रैफिक आई उत्तराखंड एप’ भी लांच किया गया, जिसकी मदद से ट्रैफिक का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति का फोटो खींचकर कोई भी पुलिस को भेज सकता है। इसे फोन में गूगल प्ले स्टोर से अपलोड किया जा सकता है। इसका उद्देश्य लोगों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करना और नियम तोड़ने वालों में दंड का भय पैदा करना है। इस अवसर पर विधायक हरबंस कपूर, विनोद चमोली, 20 सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष नरेश बंसल, डीजी कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार, निदेशक यातायात केवल खुराना, डीआईजी अरुण मोहन जोशी एवं पुलिस एवं एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

यह भी पढ़ें : नाबालिग लड़की स्कूटी चला रही थी, पिता को पूरे दिन कोर्ट में खड़े रहकर भुगतना पड़ा 27,500 का चालान

नवीन समाचार, हरिद्वार, 22 दिसंबर 2019। नये मोटर यान अधिनियम के तहत नाबालिग बच्चों के वाहन चलाने पर उनके परिजनों या वाहन स्वामियों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्राविधान बताया गया है। हरिद्वार के एक पिता इस कानून की जद में आ गए। पिता को नाबालिग बेटी के स्कूटी चलाए पकड़े जाने पर 27,500 रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ा है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार हरिद्वार के रोशनाबाद-भेल क्षेत्र में चेकिंग के दौरान में सीपीयू ने ज्वालापुर निवासी एक नाबालिग लड़की का स्कूटी चलाने पर रोका और कोर्ट का चालान किया। चालान मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अखिल वोहरा की अदालत में पहुंचा। चालान के निस्तारण के दौरान मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने सुनवाई के दौरान नाबालिग बेटी को दोपहिया वाहन दिए जाने को गंभीर मामला मानते हुए उसके पिता को तलब किया। लड़की के पिता चालान भुगतने के लिए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में हाजिर हुए तो मामले की सुनवाई पर उन्हंे दिनभर कोर्ट के कटघरे में खड़ा रहना पड़ा। अदालत में लड़की के पिता ने अपना अपराध स्वीकार किया। न्यायालय ने पिता पर 27,500 रुपए का अर्थदंड लगाने की सजा भी सुनाई।

यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में कटा नये एमवी एक्ट के बाद सबसे बड़ा चालान..

नवीन समाचार, हल्द्वानी, 22 सितंबर 2019। शहर में रविवार को सीपीयू यानी सिटी पेट्रोलिंग यूनिट के द्वारा दस हजार रुपये का चालान किया गया है। इसे नया वाहन यान अधिनियम आने के बाद दोपहिया वाहन का सबसे बड़ा वाहन चालान बताया जा रहा है। बताया गया है कि यह चालान शराब के नशे में वाहन चलाने पर किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सीपीयू टीम ने एसआई हेम चंद्र पांडे के नेतृत्व में एसडीएम कोर्ट के पास चेकिंग कर रही थी तभी उसे एक बाइक बेतरतीब ढंग से आती दिखाई दी। उसे रोकने पर पूछताछ में पता चला कि चालक फॉरेस्ट कम्पाउंड हीरानगर निवासी जीवन सिंह पुत्र अमर सिंह व उसका साथी किदवईनगर निवासी आसिफ पुत्र नत्थू शराब के नशे में थे। इस पर सीपीयू टीम दोनों को वाहन सहित कोतवाली ले आई। जहां उन्हें दस हजार रुपये का चालान काटने के बाद छोड़ा गया।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में भी टूटी ‘एक देश-एक विधान’ की अवधारणा ! नये एमवी एक्ट के तहत कल से हो सकते हैं चालान, इतना लगेगा जुर्माना…

नवीन समाचार, नैनीताल, 11 सितंबर 2019। उत्तराखंड की त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने भी गुजरात की तर्ज पर नये मोटर यान अधिनियम की जगह 50 फीसद कम जुर्माने वाले अधिनियम को मंजूरी देकर एक तरह से गत दिनों कश्मीर के मुद्दे पर ‘एक देश-एक विधान’ की अवधारणा के विपरीत कार्य कर अपनी ही पार्टी की केंद्र सरकार पर सवाल उठा दिये हैं। अब सरकार शुक्रवार 13 सितंबर से आधी-अधूरी तैयारियों के साथ इस अधिनियम को लागू करवाने, खासकर इसके तहत चालान अभियान शुरू करने की तैयारी कर रही है। आधी-अधूरी तैयारी इसलिए कि जिला व मंडल मुख्यालय नैनीताल सहित राज्य के अधिकांश शहरों में प्रदूषण जांच की ही कोई व्यवस्था नहीं है।

अलबत्ता अब नये मोटर यानी अधिनियम 1988 के उल्लंघन पर लागू जुर्माने की राशी में कटौती को मंजूरी दे दी गई है। सरकारी प्रवक्ता एवं कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने इस फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यों को व्हीकल ऐक्ट में संशोधन का अधिकार दिया था। बताया कि चूंकि अभी प्रदूषण केंद्रों की कमी है, लिहाजा परिवहन विभाग के अफसरों को समय में रियायत देने को कहा है, ताकि सभी लोग वाहनों की प्रदूषण जांच करा सकें। देहरादून जिले मे विभागीय अधिकारियों के मुताबिक शुक्रवार से विशेष जांच अभियान शुरू किया जा सकता है। विशेष जांच अभियान के दौरान ट्रिपल राइडिंग, गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करने, ओवर स्पीड, शराब पीकर गाड़ी चलाने, सीट बेल्ट नहीं लगाने, बिना हेलमेट के वाहन चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अभी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण व इंश्योरेंस से संबंधित कागजातों की जांच नहीं की जाएगी। ऐसे में वे वाहन स्वामी जिनके पास फिलहाल ये कागजात नहीं हैं उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है।

वाहन चलाने वाले 16 साल से कम के नाबालिगों की गाड़ियां जब्त करने के साथ ही 25000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसे सभी मामले अदालत भेजे जाएंगे। एआरटीओ के मुताबिक जिन वाहन स्वामियोें के पास प्रदूषण, इंश्योरेंस के कागजात नहीं है वे 30 सितंबर से पहले बनवा लें। यदि गाड़ी का रजिस्ट्रेशन पूरा हो चुका है जो उनका नवीनीकरण कराने के साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लें। यदि ड्राइविंग लाइसेंस की अवधि पूरी हो चुकी है तो उसका भी नवीनीकरण करवा लें।

चालान के बाद कागज दिखाने पर प्रति दस्तावेज 100 रुपये जुर्माना

ड्राइविंग करते समय हुए चालान के बाद लाइसेंस, आरसी, इंश्योरेंस और प्रदूषण प्रमाणपत्र दिखाने की स्थिति में 100 रुपये प्रति दस्तावेज का जुर्माना देना होगा। इसके अतिरिक्त ट्रैफिक किसी तरह की धनराशि नहीं वसूलेगी। नए मोटर व्हीकल एक्ट में ड्राइविंग करते समय मौके पर कागजात न दिखाने पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

मोटर मोटर यान अधिनियम में अब देना होगा इतना जुर्माना :

  • तेज आवाज वाला साइलेंसर लगाने पर 1000 रुपये जुर्माना।
  • क्षमता से अधिक यात्री ले जाने पर प्रति सवारी 200 रुपये का जुर्माना लगेगा।
  • बच्चों की सेफ्टी बेल्ट न लगाने पर 2,000 रुपये का जुर्माना।
  • स्टंट बाइकिंग और रेसिंग पर पहली बार 5,000 रुपये का जुर्माना, दूसरी बार दस हजार रुपये का जुर्माना लगेगा।
  • लाइसेंस निरस्त होने के बाद वाहन चलाने पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
  • एम्बुलेंस सेवा और अग्निशमन को रास्ता न देने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगेगा।
  • बिना आरसी वाहन चलाने पर 5,000 रुपये का जुर्माना, दूसरी बार 10 हजार का जुर्माना।
  • प्रतिबंधित स्थान पर हार्न बजाने पर 1,000 रुपये का जुर्माना, दूसरी बार 2,000 रुपये जुर्माना।
  • सीट बेल्ट न लगाने पर 1,000 रुपये जुर्माना।
  • दुपहिया में तीन या ज्यादा सवारी बिठाने पर 1000 रुपये जुर्माना, तीन माह के लिए लाइसेंस निरस्त।
  • बाइक चालक और पीछे बैठे व्यक्ति के हेलमेट न पहनने पर 1,000 रुपये जुर्माना, तीन माह के लिए लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।
  • ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण मानकों का उल्लंघन करने पर पहली बार 2500 रुपये जुर्माना, दूसरी बार पांच हजार का जुर्माना।

यह भी पढ़ें : दोपहिया वाहनों में दूसरी सवारी के लिए भी हेलमेट अनिवार्य: इन सवालों के जवाब भी जरूरी

यातायात सुरक्षा से किसी को इनकार या समस्या नहीं, पर….

नवीन जोशी, नैनीताल। सड़क यातायात में यात्रियों की सुरक्षा से किसी को आपत्ति और समस्या नहीं किंतु कुछ सवालों के जवाब भी आवश्यक हैं। यह सवाल उत्तराखंड में दोपहिया वाहनों में चालक के अलावा पीछे बैठने वाली दूसरी सवारी के लिए भी हेलमेट पहनना अनिवार्य करने के बाद उठ रहे हैं। इस अभियान को शुरू करने के साथ उत्तराखंड पुलिस ने शहरों के अंदर व्यापक स्तर पर चालान करने का अभियान छेड़ दिया है। थाने-चौकियों की पुलिस में मानो चालान करने की प्रतिस्पर्धा हो रही है। ऐसे में जनता की ओर से कुछ सवाल भी उठ रहे हैं।

  • देश में स्कूटी-स्कूटरों में एक हेलमेट रखने का ही प्रबंध है, जबकि मोटरसाइकिलों में एक भी हेलमेट नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में दोपहिया वाहन चालक कैसे दो हेलमेट साथ में रखकर चल सकते हैं। एक से दूसरे शहर या गांव से शहर पहुंचने जितनी लंबी यात्राओं में तो दोनों सवारियां अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट पहन सकती हैं। बड़े शहरों में भी सुबह-शाम ऑफिस जाने वाले दंपति, नियमित स्कूटर-बाइक पूल करने वाले लोग भी दोनों हेलमेट पहन कर चल सकते हैं। परंतु खासकर छोटे शहरों के अंदर, दिन भर दुपहिया वाहनों से इधर-उधर जाने वाले लोग शाम को बच्चों को लाने के लिए हेलमेट कहां रख कर चलते हैं। खास कर बरसात के मौसम में हेलमेटों को भीगने से बचाने का क्या प्रबंध हो सकता है ? पूरी संभावना है कि दोपहिया वाहनों में दोनों सवारियों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य करने के बाद जरूरतमंदों को दोपहिया वाहनों से मदद-लिफ्ट भी नहीं मिल पायेगी। क्योंकि जरूरतमंद हेलमेट साथ लेकर मदद नहीं मांग रहे होंगे।
  • देश में अब तक उपलब्ध वर्ष 2016 के आंकड़ों के अनुसार दोपहिया वाहनों से हुई दुर्घटनाएं और दुर्घटनाओं में हुई मौतें कुल दुर्घटनाओं और मौतों की 34-34 फीसद है। और इनमें से करीब 19 फीसद मौतें दुपहिया वाहनों पर हेलमेट न पहनने से हुई हैं। यानी शेष 66 फीसद दुर्घटनाएं और मौतें अन्य चार-छः या अधिक पहियों वाले वाहनों से तथा सड़कों की बुरी दशा सहित अन्यान्य कारणों से होती हैं। लेकिन पुलिस की सख्ती केवल दुपहिया वाहनों पर ही दिखाई देती है। कहीं ऐसा इसलिये तो नहीं कि दुपहिया वाहनों के खिलाफ आदेश देने वाले न्यायाधीश/अधिकारी स्वयं कभी दोपहिया वाहनों में सवारी नहीं करते। उन्हें हेलमेट संभालने जैसी समस्याओं से रूबरू नहीं होना पड़ता है।
  • दोपहिया वाहनों में दोनों सवारियों को हेलमेट पहनना अनिवार्य करने से पहले या साथ क्या दुपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों को दो हेलमेट रखने का प्रबंध करने और दुपहिया खरीदने के साथ ही दो हेलमेट भी देने जैसे आदेश नहीं दिये जाने चाहिए ?
  • मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत चार पहिया वाहनों में यात्रियों के लिए सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य है। क्या उत्तराखंड पुलिस बता सकती है कि अब तक सीट बेल्ट न पहनने वाले कितने चार पहिया वाहनों की सवारियों का चालान किया गया ? क्या स्वयं समस्याएं झेल रहे निम्न-मध्यम वर्ग पर ही पुलिस का डंडा चल सकता है, कारों में चलने वाले उच्च वर्ग पर नहीं ?
  • मोटर यान अधिनियम में हेड एवं टेल लाइटों के लिए भी नियम प्राविधान हैं। लेकिन इनका खुलेमान उल्लंघन होता है। रात्रि में कई बार सामने से आने वाले वाहनों के लिए दुर्घटना का कारण बनने वाली अत्यधिक तेज व असुरक्षित लाइटें जलाकर चलने वाले चार पहिया वाहनों के खिलाफ क्या पुलिस कभी कोई कार्रवाई करती है, अथवा न्यायालयों से कोई कार्रवाई करने का आदेश हुए हैं ?
  • दोपहिया वाहनों में भी अधिकांश घटनाएं कम उम्र के बच्चों व युवाओं के वाहनों को अत्यधिक तेज चलाने के कारण होती है, क्या पुलिस ऐसे मामलों में किये गये चालानों के आंकड़े पेश कर सकती है ? इन अधिकांश सवालों के जवाब नकारात्मक ही मिलते हैं। ऐसे में यह जरूरत महसूस की जाती है कि पुलिस एवं प्रशासन को वाहन दुर्घटनाएं रोकने के लिए ईमानदार प्रयास किये जाने की जरूरत है। केवल दुर्बल पर डंडा चलाकर आंकड़े बनाने से इस समस्या का समाधान होने वाला नहीं है। समाधान होने वाला होता, तो कभी का हो चुका होता।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में स्कूटी-बाइक चलाने वालों के लिए हाईकोर्ट ने दिये ये बड़े आदेश

नैनीताल, 22 जून 2018। उत्तराखंड में अब दोपहिया वाहन केवल आईएसआई मार्क के हेलमेट पहनकर ही चलाए जा सकेंगे। साथ ही यदि दोपहिया वाहन चलाते हुए यदि मोबाइल फोन पर बात की तो लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खण्डपीठ ने इस संबंध में राज्य सरकार को सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा है कि किसी भी मोटर साइकिल व स्कूटी चालक को बिना आईएसआई मार्क के हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चलाने की अनुमति न दी जाये। साथ ही सरकार मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 का भी कठोरता से पालन सुनिश्चित कराये। आदेश का पालन कराने के लिए एसएसपी, सीओ व कोतवाल मुख्य तौर पर जिम्मेदार होंगे। साथ ही खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिए है की जो लोग वाहन चलाते वक्त मोबाइल फोन का प्रयोग करते हैं उनके लाइसेंस निरस्त करें और मोटरयान नियमो का उलँघन करने वालो के खिलाफ कार्यवाही करें। इसके अलावा नाबलिकों को लाइसेंस जारी ना करने और उन्हें वाहन चलाने की अनुमति न देने को भी कहा है। इसके अलावा सरकार को यह भी निर्देश दिए है किसी भी वाहन में उसकी लंबाई से ज्यादा ज्यादा लम्बाई के सरिया, स्टील के रॉड, खम्भे व पाइप आदि ले जाने पर प्रतिबन्ध करें। मामले के अनुसार अविदित नौनियाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार मोटरयान अधिनियम 1988 की धारा 128 व 129 का कठोरता से पालन नही करा रही है, जिससे लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं।

अब प्रस्तुत हैं भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा अब तक उपलब्ध ताज़ा अगस्त 2017 में आई वर्ष 2016 में हुई दुघटनाओं से सम्बंधित रिपोर्ट ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2016’ के मुख्य बिंदु:

  • रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2005 से वर्ष 2016 के बीच कम से कम 15,50,098 यानी करीब साढ़े 15 लाख से अधिक लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हुई है। वर्ष 2016 में भारत में कुल 4,80,652 वाहन दुर्घटनाएं हुईं। यानी हर दिन औसतन करीब 1,331 यानी हर घंटे 55 दुर्घटनाएं हुई हैं। इन दुर्घटनाओं में 1,50,785 लोग मारे गए। यानी हर घंटे 17 या हर तीसरे मिनट एक मौत हुई। साथ ही 4,94,624 लोग घायल भी हुए। मारे गए लोगों में से सर्वाधिक 38,076 यानी 25 फीसदी लोगों की उम्र 25 से 35 वर्ष की आयु के बीच थी।
  • वहीं दोपहिया वाहनों की दुर्घटनाओं की बात करें तो वर्ष 2016 में कुल 4,80,652 वाहन दुर्घटनाओं में से 1,62,280 दोपहिया दुर्घटनाऐं यानी कुल दुर्घटनाओं की करीब 34 फीसदी दुर्घटनाएं दोपहिया वाहनों की एवं इसकी करीब दोगुनी-66 फीसद अन्य वाहनों की हुईं। अलग-अलग कर देखें तो कुल दर्घटनाओं में कार, जीप और टैक्सियों की दुर्घटनाओं की हिस्सेदारी 24 फीसदी (लगभग 1,13,267) और ट्रकों, टेम्पो, ट्रैक्टरों और अन्य व्यक्तिगत वाहनों की हिस्सेदारी 21 फीसदी (लगभग 1,01,085 ) रही है।
  • वर्ष 2016 में दोपहिया वाहनों की दुर्घटनाओं में 52,500 यानी रोजाना 144 या हर घंटे 6 मौतें हुईं। यह संख्या कुल सड़क दुर्घटनाओं में हुई 1,50,785 मौतों की 34 फीसदी है। इसमें से 19.3 फीसद लोगों ने हेलमेट नहीं पहना हुआ था। वहीं कारों, टैक्सियों, वैन और हल्के मोटर वाहनों की 26,923 दुर्घटनाएं हुईं, और इनमें मरने वाले 17.9 प्रतिशत लोग थे।
  • वर्ष 2016 में, हेलमेट न पहनने के कारण 10,135 यानी रोजाना 28 दोपहिया वाहन सवारों की मौत हुईं। जबकि सीट बेल्ट न पहनने के कारण 5,638 यानी हर रोज 15 लोगों की मौत हुई है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि सड़क दुर्घटनाओं का एक महत्वपर्ण कारण ‘चालकों का दोष’ है। वर्ष 2016 में सड़क पर हुई कुल दुर्घटनाओं में से 4,03,598 यानी 84 फीसदी दुर्घटनाएं चालकों के दोष के कारण ही हुईं। इनमें हुई 1,21,126 मौतें यानी सभी मौतों की 80 फीसदी मौतें गलत ड्राइविंग की वजह से हुई। लेकिन हमारे यहां चालक लाइसेंस बनाने के लिए चालकों की ड्राइविंग क्षमता जांचने का कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है। घर बैठे भी लाइसेंस बन जाते रहे हैं।
  • चालकों की गलती के कारण हुईं कुल 4,03,598 दुर्घटनाओं में से 2,68,341 यानी 66 फीसद दुर्घटनाएं तेज गति के कारण हुईं। इन तेज गति के कारण हुई दुर्घटनाओं में कुल 1,21,126 मौतें हुई, और इनमें 73,896 यानी 61 फीसद मौतें तेज गति के कारण हुई हैं। लेकिन तेज गति पर नियंत्रण का देश में कोई प्रबंध नहीं है। उल्टे एक्सप्रेस-वे बन रहे हैं, जिनके बारे में बताया जा रहा है कि उनमें कितने घंटों का सफर कितने मिनटों में किया जा सकता है।
  • दुर्घटनाओं का दूसरा बड़ा कारण ओवरटेकिंग है। 7.3 फीसदी दुर्घटनाओं और 7.8 फीसदी मौत की वजह ओवरटेकिंग रही है। साथ ही सड़क पर गलत तरफ गाड़ी चलाना भी अन्य मुख्य कारण रहा है। इससे 4.4 फीसदी दुर्घटनाएं और 4.7 फीसदी मौतें हुई हैं।
  • वर्ष 2016 में शराब-ड्रग्स का सेवन करके वाहन चलाए जाने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या 14,894 दर्ज की गई, जबकि इस कारण से हुई मृत्यु की संख्या 6,131 है। यानी इस कारण प्रतिदिन 41 दुर्घटनाएं और प्रतिदिन 17 लोगों की मृत्यु हुई है। गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन का उपयोग करने के कारण 4,976 दुर्घटनाएं और 2,138 लोगों के मृत्यु के आंकड़े दर्ज किए गए हैं। या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मोबाइल फोन इस्तेमाल करने के कारण रोजाना 14 दुर्घटनाएं और 6 मौतें हुई हैं।
  • भारत में हुई कुल दुर्घटनाओं में से 85,834 दुर्घटनाएं यानी लगभग 18 फीसदी दोपहर के 3 बजे से रात के 9 बजे के बीच हुई हैं। वहीं शाम 6 से 9 बजे के घंटे दूसरे सबसे ज्यादा दुर्घटना होने वाले घंटे थे। इन घंटों में दुर्घटनाओं की संख्या 84,555 दर्ज की गई है। भारत में अधिकांश दुर्घटनाएं 3 बजे से 9 बजे के बीच हुई। वर्ष 2016 में सभी सड़क दुर्घटनाओं में से 35 फीसदी इन्हीं घंटों में दर्ज की गई।
  • दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में 2016 में सबसे अधिक 71,431 यानी प्रतिदिन 196 या हर घंटे 8 सड़क दुर्घटनाओं की सूचना है। वहीं मध्य प्रदेश में 53,972 और, कर्नाटक में 44,403 सड़क दुर्घटनाएं हुईं। ये राज्य दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे हैं।
  • वहीं सड़क दुर्घटनाओं में मौतों के मामले में वर्ष 2016 में सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश के सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तरप्रदेश में सबसे ज्यादा 19,320 यानी यानी रोजाना 53 या हर घंटे 2 मौतों की सूचना है। जबकि तमिलनाडु में 17,218, महाराष्ट्र में 12,935 और कर्नाटक में 1,113 मौतें दर्ज हुई हैं।
  • 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले करीब 50 शहरों में से 2016 में चेन्नई में सबसे ज्यादा 7,486 सड़क दुर्घटनाओं और 1,183 मौतों के मामले दर्ज किए गए।
  • वहीं दुर्घटना गंभीरता के मामले में (प्रति दुर्घटना पर सड़क दुर्घटना संबंधित मौत ) 69.9 फीसदी मामलों के साथ लुधियाना का प्रदर्शन सबसे बद्तर रहा है। 67.1 फीसदी के साथ अमृतसर, 58.4 फीसदी के साथ आसनसोल-दुर्गापुर का प्रदर्शन भी खराब रहा है। इस संबंध में कोच्चि के आंकड़े 6.6 फीसदी पर सबसे कम रहे हैं।
  • भारत ने वर्ष 2014 में प्रति 1,00,000 की आबादी पर 11 सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा दर्ज किया था और दूसरे स्थान पर रहा था जबकि इस संबंध में रूस के आंकड़े 19, अमेरिका के 10 और मॉरीशस के लिए 11 का आंकड़ा दर्ज किया गया था। वहीं चोट के मामले में भारत ने प्रति 1,00,000 की आबादी पर 39 का आंकड़ा दर्ज किया है, जबकि अमेरिका ने 526, जापान ने 451 और दक्षिण कोरिया ने 443 का आंकड़ा दर्ज किया है।
  • इनके साथ ही वर्ष 2016 में अनियंत्रित वाहनों के कारण 72.9 फीसद दुर्घटनाएं हुईं। वहीं अधिक गति के कारण हुई 3,33,446 दुर्घटनाओं में 89,141 मौतें, ओवरलोडिंग के कारण हुए 61,325 सड़क हादसों में 21,302 मौतें, वाहनों की सीधी टक्कर के कारण हुए 55,942 हादसों में 22,962 मौतें, ओवरटेकिंग से हुई 36,604 दुर्घटनाओं में 11,398 मौतें, शराब पीकर गाड़ी चलाने से 14,894 हादसे व इनमें 6,131 मौतें, गाड़ी चलाते वक्त मोबाइल फोन का उपयोग करने से 4,976 दुर्घटनाएं व इनमें 2,138 लोगों की मौतें हुईं। वहीं 4 फीसद दुर्घटनाएं नाबालिग चालकों की वजह से भी हुईं।

अन्य रिपोर्टें :

नई दिल्ली स्थित गैर लाभकारी संस्था ‘सेव लाइफ फाउंडेशन’ की जुलाई 2017 की रिपोर्ट, ‘रोड सेफ्टी इन इंडिया – पब्लिक पर्सेप्शन सर्वे’ के अनुसार सड़कों पर चलने वाले लगभग 80 फीसदी लोग खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, 10 शहरों के 2,166 उत्तरदाताओं में से 54 फीसदी ने महसूस किया कि सड़कों की खराब स्थिति और दोषपूर्ण डिजाइन दुर्घटनाओं को आमंत्रित करते हैं। जबकि 74 फीसदी ने कहा कि मौतों और चोटों के लिए सड़क ठेकेदारों और इंजीनियरों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
वहीं भारत के पूर्व योजना आयोग की 2014 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए ‘सेव लाइफ फाउंडेशन’ रिपोर्ट कहती है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की वार्षिक लागत देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की 3 फीसदी है। रिपोर्ट कहती है, ‘2015-16 में भारत की जीडीपी की 136 लाख करोड़ रुपये (2,092 बिलियन) की धनराशि को दुघ्रटनाओं के कारण 4.07 लाख करोड़ रुपए (62.6 बिलियन) का मौद्रिक नुकसान होता है। विडंबना यह भी है कि यह धनराशि भारत में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नोडल एजेंसी, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के बजट का पांच गुना है।’

दुर्घटनाएं घटीं, मौतें बढ़ीं:

रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में वर्ष 2016 में 4 लाख 81 हजार सड़क हादसे हुए, और इन हादसों में करीब 1 लाख 51 हजार लोगों ने अपनी जान गवाई। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि साल 2015 के मुकाबले सड़क दुर्घटनाओं में 4.1 फीसद की कमी आयी, लेकिन दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या में 3 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह आंकड़ा बताता है कि पिछले साल सड़क दुर्घटनाएं कितनी भयानक रहीं।

ऐसे में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए दिल्ली के पूर्व ट्रैफिक कमिश्नर मैक्सवेल परेरा की राय मायने रखती है। उनका कहना है कि सड़क दुर्घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए नागरिकों को ट्रैफिक नियमों का पालन करना होगा। दुपहिया वाहन चालकों का हेलमेट पहनना होगा, कार सवारों को सीट बेल्ट जरूर बांधनी चाहिए और अपनी लेन में ही गाडी चलानी चाहिए। साथ ही उनका कहना है कि भारत में सड़क हादसे रोड इंजीनियरिंग की खामी के चलते भी होते हैं। चालान और फाइन दुर्घटनाओं को कम करने में ज्यादा योगदान नहीं कर सकते। प्रत्येक वाहन चलाने वाला सजग होकर दुर्घटना को टाल सकता है। विदेशों में ट्रैफिक चालान से मिलने वाले पैसों को रोड सेफ्टी पर खर्च किया जाता है। भारत में भी ऐसा ही कुछ करने की जरूरत है। सरकार को भी रोड सेफ्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा जागरुकता अभियान चलाकर लोगों को जागरुक बनाने की जरूरत है।

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