नवीन समाचार, नई दिल्ली, 18 फरवरी 2024 (CM Dhami in Aap ki Adalat)। एक प्रसिद्ध टीवी चैनल के चर्चित शो ‘आप की अदालत’ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे। इस दौरान उनका सामना हुआ चैनल के मुख्य संपादक रजत शर्मा के यूसीसी, उत्तराखंड के मुसलमानों, निकाह, हलाला, तलाक, लिव-इन संबंधों व लव जिहाद जैसे विषयों पर तीखे सवाल से। इन सवालों का पुष्कर सिंह धामी ने एक-एक कर बखूबी जवाब दिया।
देश में शरीयत नहीं समान नागरिक संहिता चलेगी (CM Dhami in Aap ki Adalat)
धामी ने कहा, यूसीसी कानून में ‘तलाक और बहुपत्नी व्यवस्था समाप्त होगी। हम मातृशक्ति का उत्पीड़न नहीं होने देना चाहते। अब देश में शरीयत नहीं चलेगी। समान नागरिक संहिता चलेगी। जो लोग संविधान पर विश्वास करते हैं, उन्हें फायदा होगा और हलाला जैसी कुरीतियों से छुटकारा मिलेगा।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हरिद्वार में मुस्लिम महिलाओं से मिले जिन्होंने यूसीसी कानून की सराहना की और उन्हें बताया कि उन्हें एक बड़े अभिशाप से मुक्ति मिल गई है।
सीएम धामी ने कहा, ‘मुस्लिम महिलाओं ने मुझसे कहा कि उनका जो आत्मसम्मान गिर रहा था, वह वापस मिला है।’ समान नागरिक संहिता से हलाला और तीन तलाक जैसी कुरीतियों से महिलाओं को मुक्ति मिलेगी।
‘धार्मिक मान्यताओं में छेड़छाड़ नहीं की गई है’ (CM Dhami in Aap ki Adalat)
मुस्लिम धर्मगुरुओं द्वारा उठाई गई आपत्तियों के बारे में पूछे जाने पर कि यूसीसी कानून शरिया और इस्लामी आदेशों के खिलाफ है, धामी ने कहा, ‘जिस धर्म में जो मान्यताएं चली आ रही हैं, उनमें कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। जहां तक शादियों का सवाल है, तो उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। मुसलमान निकाह कर सकते हैं, ईसाई अपने नियमों के तहत विवाह कर सकते हैं, हिंदू सात फेरे ले सकते हैं और सिख आनंद कारज का पालन कर सकते हैं।’
सीएम धामी ने कहा कि यूसीसी को हम किसी के खिलाफ लेकर नहीं आए हैं। हमने किसी की पद्धति को बदलने का काम नहीं किया है। लेकिन जो निकाह के बाद तलाक या कई पत्नियों को रखने की व्यवस्था है, हम उसे खत्म करना चाहते हैं। हम महिलाओं का उत्पीड़न नहीं होने देना चाहते हैं।
यूसीसी पर क्या बोले सीएम धामी ? (CM Dhami in Aap ki Adalat)
धामी ने कहा कि भाजपा ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता कानून लाने का वादा किया था। उन्होंने कहा, ‘यूसीसी हमारा संकल्प था। मोदी जी का ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का संकल्प है। उत्तराखंड देवभूमि है। उत्तराखंड गंगा, यमुना का प्रदेश है। ऋषि मुनियों की भूमि है। संविधान का अनुच्छेद 44 स्पष्ट रूप से सभी के लिए समान नागरिक संहिता लाने का प्रावधान करता है। उत्तराखंड की जनता ने इस पर हमें आशीर्वाद दिया। हमने जनता के साथ किए गए वादे को पूरा किया।’
उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता सभी को समानता का अधिकार देने के लिये है, किसी को टारगेट करने के लिए नहीं। यह कानून सभी के लिए है। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के सशक्तिकरण एवं प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा के लिए यह कानून लाया गया।
यूसीसी थरूर की सुविधा के लिये नहीं (CM Dhami in Aap ki Adalat)
कांग्रेस नेता शशि थरूर की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि ‘उत्तराखंड की सरकार लोगों के ‘बेडरूम मे झांककर’ उनकी प्राइवेसी पर हमला कर रही है और ‘नैनी स्टेट’ की तरह काम कर रही है’, मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ‘जो भी प्रावधान किया गया है वह शशि थरूर जी की सुविधा के लिए नहीं किया गया है। ऐसा हमारे बेटे-बेटियों की सुरक्षा के लिए किया गया है ताकि उनके माता-पिता जान सकें कि उनके बच्चे कैसे रहते हैं।
उत्तराखंड की डेमोग्राफी बदलने नहीं देंगे (CM Dhami in Aap ki Adalat)
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की डेमोग्राफी यानी जनसांख्यिकीय अनुपात और राज्य का मूलस्वरूप भी बदला गया है। ऐसे में हमने संकल्प लिया है कि उत्तराखंड के मूलस्वरूप को हम प्रभावित नहीं होने देंगे और ना ही उत्तराखंड की डेमोग्राफी को हम बदलने देंगे।
क्या उत्तराखंड में मुसलमानों को डरने की जरूरत है ? (CM Dhami in Aap ki Adalat)
सीएम धामी ने आगे कहा कि उत्तराखंड में किसी को भी डर के रहने की जरूरत नहीं है। उत्तराखंड में सभी लोग मिलकर भाईचारे के साथ रहते हैं। अच्छा काम करने वाले, शांतिप्रिय तरीके से जो व्यापार कर रहे हैं, जो राज्य को आगे बढ़ाने में काम कर रहे हैं, जो कानून का पालन करने वाले लोग हैं, उन्हें राज्य में किसी से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि हम ये वादा करते हैं कि उत्तराखंड में किसी को डर के रहने की जरूरत नहीं है।
लिव इन रिलेशनशिप पर लाए गए कानून के तहत उन्होंने कहा कि यूसीसी के तहत जो भी प्रावधान किए गए हैं, वह देश के बेटे व बेटियों की सुरक्षा के लिए हैं। भविष्य में लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद कुछ घटना हो जाती है। कई बार साथ में रहते हुए बच्चे पैदा होते हैं। उन बच्चों का कोई रखवाला नहीं होता। उन्हें संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता। खासतौर पर इस कानून के तहत हमने बेटियों और पुरुष वर्ग की भी चिंता की है। लिव इन रिलेशनशिप के तहत रहने वाले लोगों के रजिस्ट्रेशन कराने का नियम केवल सुरक्षा के लिहाज से लाया गया है।
ताकि सूटकेस में न मिलें बेटियां (CM Dhami in Aap ki Adalat)
सीएम धामी ने कहा, आपने देखा कि गोवा में कैसे लाश के टुकड़े सूटकेस में मिले। लिव-इन के दौरान जन्मे बच्चों की देखभाल नहीं हो पाती, उन्हें संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलता। रजिस्ट्रेशन का प्रावधान हमने सुरक्षा के लिए किया है।’ यह कानून इसलिये हैं कि बेटियां सूटकेस में न मिलें।
5-10 साल के बाद मोहब्बत गड़बड़ा जाती है (CM Dhami in Aap ki Adalat)
सीएम पुष्कर धामी ने कहा कि ‘हमारा ध्येय किसी को परेशान करना नहीं, लेकिन कम से कम सुरक्षा तो हो बच्चों की। आज मोहब्बत है, 5-10 साल के बाद मोहब्बत गड़बड़ा जाती है। उसके बाद वे एक दूसरे पर इल्जाम लगाना शुरू कर देते हैं।’
लिव-इन जोड़ों के करवाना होगा रजिस्ट्रेशन (CM Dhami in Aap ki Adalat)
समान नागरिक संहिता कानून लागू करने वाला उत्तराखंड भारत का पहला राज्य है जिसमें लिव-इन रिलेशनशिप को भी शामिल किया गया है। इसके तहत लिव-इन जोड़ों को रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा और इसका रिकॉर्ड पुलिस स्टेशन में रखा जाएगा। इसमें लिव-इन रिलेशनशिप का प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करने पर 6 महीने तक की जेल की सजा का भी प्रावधान है।
धामी ने कहा, ‘सरकार ने अभिभावक बन कर यह कानून बनाया है ताकि उनका भविष्य ठीक रहे। अगर साथ में रहते-रहते उनके बच्चे पैदा हो जाते हैं, तो उन बच्चों के भविष्य की भी चिंता की है। अगर वे रहते हैं तो रहें, लेकिन उनके माता-पिता को सूचना होनी चाहिए। सोचिए कि जब कोई अनहोनी होती है तो उनके माता-पिता पर क्या गुजरती है।’ ‘
बेवफाई पर नहीं कराना होगा रजिस्ट्रेशन, सूचना देनी होगी (CM Dhami in Aap ki Adalat)
वहीं श्री शर्मा के प्रश्न पर कि लिव-इन जोड़ों के लिए अलग होने पर पुलिस को सूचित करने का प्रावधान क्यों किया गया है, पुष्कर सिंह धामी ने जवाब दिया कि ‘नहीं, उन्हें बेवफाई का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाना होगा। उन्हें केवल सूचना देनी होगी कि हम अब साथ नहीं रहते हैं। यह कानून किसी को टारगेट करने के लिए नहीं बनाया गया है।’
माता-पिता को होनी चाहिए सूचना (CM Dhami in Aap ki Adalat)
सीएम धामी ने आगे कहा कि ‘सरकार ने अभिभावक बन कर यह कानून बनाया है ताकि उनका भविष्य ठीक रहे। अगर साथ में रहते-रहते उनके बच्चे पैदा हो जाते हैं, तो उन बच्चों के भविष्य की भी चिंता की है। अगर वे रहते हैं तो रहें, लेकिन उनके माता-पिता को सूचना होनी चाहिए। सोचिए कि जब कोई अनहोनी होती है तो उनके माता-पिता पर क्या गुजरती है।’
लव जिहाद उत्तराखंड में स्वीकार्य नहीं (CM Dhami in Aap ki Adalat)
‘लव जिहाद’ पर बात करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘लव जिहाद जैसी चीजें बहुत ही खराब हैं। ऐसी घटनाएं उत्तराखंड में बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं हैं। देवभूमि में इसके लिए कोई स्थान नहीं है। देवभूमि पवित्र रहनी चाहिए।’
नियम बनाने के लिये किया है एक समिति का गठन (CM Dhami in Aap ki Adalat)
धामी ने कहा, ‘मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने यूसीसी विधेयक पारित होने के तुरंत बाद नियम बनाने के लिए एक समिति का गठन किया है ताकि पुलिस और प्रशासन में से कोई भी इसके प्रावधानों का दुरुपयोग न कर सके। यूसीसी कानून के प्रावधानों को आसानी से लागू करने, और इसकी प्रक्रियाओं और सक्षम स्तर के अधिकारियों के पदनाम से जुड़े नियमों का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए पिछले सप्ताह एक पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
नियम यह सुनिश्चित करेंगे कि लिव-इन जोड़ों को अनुचित रूप से परेशान न किया जाए, और उनके साथ कोई दुर्व्यवहार, ज्यादती न हो। उन पर अनावश्यक दबाव न बनाया जाए और उन्हें परेशान न किया जाए। हमारा यह दायित्व है कि इस कानून का पालन आने वाले समय में सबके लिए मॉडल हो।’
‘हिंदुत्व अगर उत्तराखंड में नहीं होगा, तो और कहां होगा?’ (CM Dhami in Aap ki Adalat)
रजत शर्मा द्वारा पूछे जाने पर कि क्या उत्तराखंड को हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनाया जा रहा है, धामी ने जवाब दिया, ‘प्रयोगशाला जैसी कोई बात नहीं। उत्तराखंड की जनता ने हमें बहुमत दिया है। हिंदुत्व अगर उत्तराखंड में नहीं होगा, तो और कहां होगा?’ (CM Dhami in Aap ki Adalat)
हल्द्वानी की हिंसा पर भी बोले (CM Dhami in Aap ki Adalat)
हाल ही में हल्द्वानी में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उत्तराखंड में जो अतिक्रमण किया गया, अवैध कब्जे हुए, सरकारी जमीनों को कब्जाने का काम किया गया, इसे कौन वैध ठहरा सकता है? अतिक्रमण हम लगातार हटा रहे हैं। उत्तराखंड में मजारों को वन भूमि, राजस्व भूमि, सिंचाई विभाग और पीडब्ल्यूडी की भूमि पर बनाया गया। जब मजारों को खोदा गया तो उनमें कोई अवशेष नहीं मिला। इसलिए हमने इसे लैंड जिहाद की संज्ञा दी।’ (CM Dhami in Aap ki Adalat)
धामी ने कहा ‘हम अपनी देवभूमि के ‘मूल स्वरूप’ में कोई परिवर्तन नहीं होने देंगे। मस्जिद अगर गलत जगह पर बनी है तो उसे अतिक्रमण माना जाएगा, और हटाया जाएगा।’ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ‘हम देवभूमि की डेमोग्राफी को किसी भी कीमत पर बदलने नहीं देंगे, प्रभावित नहीं होने देंगे।’ (CM Dhami in Aap ki Adalat)
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