5 वर्ष की उम्र से दोनों पैरों से लाचार को नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में मिली थी 20 वर्ष की सजा, हाई कोर्ट से आरोपित हुआ दोषमुक्त, 5 लाख मुआवजा देने के भी आदेश

नवीन समाचार, नैनीताल, 12 मार्च 2025 (Physically Handicap Acquitted for Raping a Minor)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 20 वर्ष की सजा पाए पोलियो से 5 वर्ष की उम्र से दोनों पैरों से लाचार युवक को नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में दोषमुक्त कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया कि उसे 5 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे।
मामले का विवरण
खटीमा निवासी रोहित उर्फ कबीर ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। एफ़टीसी/अतिरिक्त अदालत ऊधमसिंह नगर ने रोहित और हरविंदर पाल को भारतीय दंड संहिता की धारा 366, 342, 376(डी), 506, 120 और बाल संरक्षण अधिनियम की धारा 5(जी)6 के तहत 20 वर्ष की सजा और आर्थिक दंड से दंडित किया था। 21 नवंबर 2023 को उन्हें हल्द्वानी जेल भेजा गया था, जहां से उन्होंने यह अपील दायर की।
स्वास्थ्य स्थिति का उल्लेख
अपील में रोहित ने उल्लेख किया कि वह 5 वर्ष की उम्र से पोलियो ग्रस्त है, जिससे उसके दोनों पैर निष्क्रिय हैं। वह हाथों के सहारे दैनिक कार्य करता है। उसने दावा किया कि पुलिस ने बिना उचित जांच और चिकित्सकीय परीक्षण के उसके विरुद्ध मामला दर्ज किया।
यह था मामला
पुलिस व संबंधितों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 6 मई 2018 को पीड़िता की मां ने खटीमा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में आरोप था कि साइबर कैफे के कर्मचारी कबीर ने उसकी बेटी को विद्यालय से फॉर्म भरवाने के लिए कैफे बुलाया। काफी देर तक घर नहीं लौटने पर मां कैफे पहुंची, जहां कर्मचारी ने बताया कि वह वहां नहीं है। पुलिस की खोजबीन के बाद लड़की बरामद हुई, जिसके बाद पॉक्सो और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
उच्च न्यायालय का निर्णय
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने रोहित की शारीरिक स्थिति और पुलिस जांच में खामियों को देखते हुए उसे दोषमुक्त करने का आदेश दिया। साथ ही राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह रोहित को 5 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे।
न्याय का महत्व
यह निर्णय न्यायपालिका की संवेदनशीलता और निष्पक्षता को दर्शाता है, जहां शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति के मामले में न्याय सुनिश्चित किया गया। साथ ही यह पुलिस जांच की गुणवत्ता पर भी प्रश्न उठाता है, जो भविष्य में सुधार की आवश्यकता को इंगित करता है।
इस फैसले से समाज में यह संदेश जाता है कि न्यायपालिका प्रत्येक नागरिक के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे उनकी शारीरिक स्थिति कैसी भी हो। यह पुलिस और जांच एजेंसियों को भी सतर्क करता है कि वे मामलों की जांच में पूर्ण सावधानी और निष्पक्षता बरतें।
आगे की राह (Physically Handicap Acquitted for Raping a Minor)
राज्य सरकार द्वारा मुआवजा प्रदान करने के बाद, रोहित के पुनर्वास और सामाजिक पुनर्स्थापन की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। सामाजिक संगठनों और सरकारी एजेंसियों को मिलकर ऐसे व्यक्तियों की सहायता करनी चाहिए, जो गलत आरोपों के कारण पीड़ित हुए हैं। यह मामला न्यायपालिका की संवेदनशीलता और निष्पक्षता का प्रतीक है, जो समाज में न्याय और मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। (Physically Handicap Acquitted for Raping a Minor)
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