कभी ट्रेन में नहीं बैठे, फिल्म ‘पायर’ में स्वयं अपनी चिताओं पर बैठे, अब वैश्विक प्रीमियर के लिए हवाई जहाज से विदेश रवाना हुए बेरीनाग के बुजुर्ग पदम सिंह और हीरा देवी
नवीन समाचार, पिथौरागढ़, 19 नवंबर 2024 (Pyre-Old Padam Singh and Heera Devi gone abroad)। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील में साधारण जीवन व्यतीत करने वाले, घास के एक गट्ठर के लिए संघर्ष करने वाले 80 वर्ष की उम्र पार कर चुके पदम सिंह और हीरा देवी सोमवार को अपनी पहली विदेश यात्रा पर रवाना हुए। यह यात्रा फिल्म ‘पायर’ के वैश्विक प्रीमियर के लिए है, जो एस्टोनिया की राजधानी ताल्लिन में ‘ताल्लिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल 2024’ में होने जा रहा है।
यह पहली बार है जब दोनों ने हवाई यात्रा की है। इससे पहले वह कभी रेलगाड़ी में तक नहीं बैठे थे। फिल्म निर्देशक विनोद कापड़ी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर साझा की गई तस्वीरों के माध्यम से बताया कि दोनों कलाकार ताल्लिन के लिए रवाना हो चुके हैं।
फिल्म ‘पायर’ में स्वयं बनाई अपनी ‘पायर’ यानी चिताओं पर बैठे दिखाए गए हैं बुजुर्ग पदम और हीरा (Pyre-Old Padam Singh and Heera Devi gone abroad)
‘पायर’ हिन्दी भाषा में बनी एक फिल्म है, जो हिमालयी जीवन को बेहद मार्मिक और यथार्थपूर्ण ढंग से दर्शाती है। इसमें पदम सिंह और हीरा देवी ने एक बुजुर्ग दंपति की भूमिका निभाई है, जो अपने गांव में अकेले रहते हैं, जबकि गांव के बाकी निवासी आजीविका की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं। फिल्म में अपनों के पलायन के बाद पदम और हीरा स्वयं बनाई अपनी ‘पायर’ यानी चिताओं पर बैठे दिखाए गए हैं।
फिल्म की कहानी उत्तराखंड के ग्रामीण और पहाड़ी जीवन की चुनौतियों और सौंदर्य को दिखाती है। पदम सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं, और हीरा देवी पेशे से किसान हैं। दोनों ने पहली बार कैमरे के सामने अभिनय किया। पायर ने तेलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल में अपने विश्व प्रीमियर के बाद भारत में 2024 के अंत तक रिलीज होने से पहले अपने फेस्टिवल दौर की शुरुआत की है।
फिल्म महोत्सव में प्रतिस्पर्धा
‘पायर’ को 28वें ‘ताल्लिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल’ की प्रतिस्पर्धा श्रेणी में स्थान मिला है। यह उत्तराखंड और भारत के लिए गर्व की बात है कि इस फिल्म को वैश्विक मंच पर मान्यता मिली है। इस प्रकार यह यात्रा और प्रीमियर न केवल पदम सिंह और हीरा देवी के जीवन में एक ऐतिहासिक क्षण है, बल्कि उत्तराखंड के ग्रामीण परिवेश और उसकी सांस्कृतिक धरोहर को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करता है।
सच्ची कहानी से प्रेरित है ‘पायर’
फिल्म पायर सच्ची घटना पर आधारित है, जो निर्देशक विनोद कापड़ी को 2017 में मुनस्यारी के एक गांव में मिले एक बुजुर्ग दंपति की कहानी से प्रेरित है। उत्तराखंड में पलायन के चलते वीरान हो चुके गांवों की पृष्ठभूमि में यह दंपति अपनी अंतिम यात्रा के बारे में सोचकर परेशान है, क्योंकि पहाड़ों में पलायन के कारण अंतिम यात्रा के लिए चार कंधे भी नहीं मिल पाने की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसलिए वह पहले से ही अपनी चिता तैयार किए बैठे हैं। उनके बीच के प्रेम ने विनोद कापड़ी को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने इस पर फिल्म बनाने का निश्चय किया।
अभिनय के लिए कैसी राजी हुईं हीरा देवी
फिल्म में काम करने से इनकार करने की कई कारण थे कि पड़ोसी क्या कहेंगे या जब वे शूटिंग पर चली जाएंगी तो उनकी भैंस की देखभाल कैसे होगी, वहीं दूसरी ओर पड़ोसियों ने उन्हें बताया कि सिनेमा के लोगों का कोई भरोसा नहीं होता, वे कुछ भी फिल्म बना लेते हैं। इन सब बातों पर गौर करते हुए हीरा देवी फिल्म में काम करने में हिचकिचाने लगीं, लेकिन विनोद दिल्ली में रह रहे उनके बेटे से मिले, जिसके बाद उन्हें फिल्म में काम करने के लिए राजी किया गया। आखिरकार तमाम उलझनों के बाद फिल्म शुरू हुई, लेकिन अब भी उनका ध्यान उनकी भैंस पर टिका था।
शूटिंग से पहले यह काम करती थीं हीरा देवी
फिल्म की शूटिंग सुबह छह बजे शुरू होती और रात आठ बजे तक चलती, जिस कारण अपनी भैंस के लिए खाने-पीने का इंतजाम हीरा देवी को उससे पहले ही करना होता था। शूटिंग सेट पर ले जाने और लाने के लिए गाड़ी का इंतजाम था, गाड़ी आने से पहले जंगल और पहाड़ों पर जाकर हीरा देवी भैंस के लिए घास और लकड़ी ले आती थीं। उन्होंने सबकी सहमति के लिए फिल्म में काम तो कर लिया, लेकिन इससे आगे उन्होंने कुछ नहीं सोचा। फिल्म जब विश्व प्रीमियर के लिए चुनी गई तब भी विनोद कापड़ी और फिल्म की टीम चाहती थी कि हीरा देवी भी तेलिन चलें, लेकिन तब भी वो अपनी भैंस की देखभाल को लेकर चिंतित थीं।
तेलिन ब्लैक नाइट्स फिल्म फेस्टिवल (Pyre-Old Padam Singh and Heera Devi gone abroad, Film News, Uttarakhand Culture, Padam Singh, Heera Devi)
यह प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल एस्टोनिया की राजधानी तेलिन में आयोजित होता है। 1997 से शुरू हुए इस फेस्टिवल में 70 से अधिक देशों की 500 से अधिक फिल्में प्रदर्शित की जाती हैं। इस साल इसका 28वां संस्करण 8 से 24 नवंबर तक आयोजित हो रहा है, जिसमें पायर 19 नवंबर को फिल्म गाला श्रेणी में प्रदर्शित होगी। (Pyre-Old Padam Singh and Heera Devi gone abroad, Film News, Uttarakhand Culture, Padam Singh, Heera Devi)
आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे उत्तराखंड के नवीनतम अपडेट्स-‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यहां क्लिक कर हमारे थ्रेड्स चैनल से, व्हाट्सएप चैनल से, फेसबुक ग्रुप से, गूगल न्यूज से, टेलीग्राम से, एक्स से, कुटुंब एप से और डेलीहंट से जुड़ें। अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें यहाँ क्लिक करके सहयोग करें..।
(Pyre-Old Padam Singh and Heera Devi gone abroad, Film News, Uttarakhand Culture, Padam Singh, Heera Devi, Pyre Movie, Tallinn Black Nights Film Festival 2024, Vinod Kapri, Bageshwar, Berinag, Gadtir Village, Uttarakhand, Estonian Film Premiere, Rural Himalaya, Migration Issue, Himalayan Lifestyle, Senior Citizens First Flight, Pyre Movie Story, Vinod Kapri Films, Uttarakhand Film Culture, Estonian Film Festival, Pyre Premiere, Global Film Recognition, Elderly Actors, True Story Films, Uttarakhand Villages, Rural Challenges, Hira Devi’s Journey, Estonian Premiere, Pyre Global Recognition, Uttarakhand Heritage, Never sat in a train, Sat on their own funeral pyres in the film ‘Pyre’, now elderly Padam Singh and Heera Devi of Berinag have gone abroad by plane for the global premiere,)