52 शिक्षक नौकरी से बर्खास्त, हजारों अन्य की भी जा सकती है नौकरी..
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नवीन समाचार, नैनीताल, 05 अक्टूबर 2024 (Sword on 3000 Teachers Job in Uttarakhand)। उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों के तीन हजार से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इन शिक्षकों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी शैक्षणिक दस्तावेजों के आधार पर नौकरी प्राप्त की थी। इनके अतिरिक्त उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने अक्षम शिक्षकों और लंबे समय से कार्य से अनुपस्थित कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही की तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने निर्देश दिए हैं कि ऐसे शिक्षकों की पहचान की जाए जो शैक्षणिक कार्यों में अक्षम साबित हो रहे हैं, और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए।
विशेष जांच दल की कार्रवाई
उत्तराखंड सरकार ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया था, जिसने अब तक 84 शिक्षकों के दस्तावेजों को फर्जी साबित किया है। इनमें से 52 शिक्षकों को तत्काल बर्खास्त कर दिया गया है। इनमें एक मामला रुद्रप्रयाग के विक्रम सिंह नेगी का है, जिनकी बीएड की डिग्री फर्जी पाई गई। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने उनके अंकपत्र को फर्जी घोषित किया, जिसके बाद उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं। इस मामले में SIT की जांच और विश्वविद्यालय के जवाब ने फर्जीवाड़े की पुष्टि की।
इस प्रकार यह कमोबेश पुष्ट हो चुका है कि इनमें से अधिकतर की बीएड की डिग्रियाँ जम्मू-कश्मीर, रुहेलखंड विश्वविद्यालय, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ आदि से प्रदर्शित की गई हैं, और वे फर्जी हैं। एसआइटी निरीक्षक की रिपोर्ट के आधार पर ऐसे शिक्षकों को निलंबित करते हुए 20 जुलाई 2018 को आरोप पत्र जारी किया गया। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर 28 अगस्त 2018 को सेवा समाप्त कर दी गई।
इनमें से अतुल कुमार, रामकिशोर, चंद्रपाल सिंह, संग्राम सिंह, पूनम धीमान, नीलम सैनी, साकिंदर कुमार, राजवीर सिंह, राजीव यादव, सरिता मेवाड़ी, काकुली मंडल, मखान मंडल, सुरेंद्र चंद्र, माया बिष्ट, अरविंद कुमार, कैलाश लाल, अनीता कुमार, लक्ष्मण लाल, महेश चंद्र, भावना, ओम कुमार, राजू लाल, केपी भट्ट, अनिल कुमार आदि दो दर्जन से अधिक बर्खास्त शिक्षकों ने सेवा में बहाली तथा ब्याज सहित बकाया वेतन व अन्य सेवा लाभ प्रदान करने की मांग से संबंधित याचिकाएं उच्च न्यायालय में डालीं लेकिन उच्च न्यायालय ने भी उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट का निर्णय
उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा है कि कोई भी व्यक्ति, जिसके पास नेशनल काउंसिल आफ टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की निर्धारित योग्यता नहीं है, वह शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं है। ऐसे अयोग्य व्यक्ति की नियुक्ति यदि प्राधिकारियों की ओर से गलती के कारण की गई है तो शुरू से ही अमान्य हो जाएगी और इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति को कोई लाभ नहीं मिलेगा।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि एनसीटीई द्वारा निर्धारित योग्यता के बिना किसी भी व्यक्ति की शिक्षक के रूप में नियुक्ति अमान्य है। कोर्ट ने इस मामले में दिए गए फैसले में कहा कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट ने हाल ही में 26 बर्खास्त शिक्षकों की पुनः नियुक्ति और बकाया वेतन की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है।
अक्षम शिक्षकों और गैर हाजिर कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही की तैयारी भी शुरू (Sword on 3000 Teachers Job in Uttarakhand)
उत्तराखंड शिक्षा विभाग ने अक्षम शिक्षकों और गैर हाजिर कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही की तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने निर्देश दिए हैं कि ऐसे शिक्षकों की पहचान की जाए जो शैक्षणिक कार्यों में अक्षम साबित हो रहे हैं, और उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए। इसके साथ ही लंबे समय से बिना सूचना के कार्य से अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों को भी बर्खास्त करने का निर्णय लिया गया है।
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने इस मामले में स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि राज्य भर में शिक्षकों की जांच की जाए और अक्षम शिक्षकों की सूची तैयार की जाए। इसमें वे शिक्षक भी शामिल होंगे जो गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं या जिनकी कार्य क्षमता में कमी आ चुकी है। वहीं, लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित शिक्षकों पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे शिक्षकों की बर्खास्तगी का निर्णय लिया गया है जो बिना उचित कारण के अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित हैं।
शिक्षा विभाग ने यह भी निर्णय लिया है कि राज्य के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में जहां छात्र संख्या मानक से कम है, उन विद्यालयों को मर्ज कर दिया जाएगा। इसके साथ ही, शिक्षा मंत्री ने क्लस्टर विद्यालयों के चयन में हो रही धीमी प्रगति पर नाराजगी जताई और इसे गति देने के निर्देश दिए हैं।
दुर्गम और सुगम विद्यालयों के कोटीकरण के मानकों का पुनरीक्षण भी शिक्षा विभाग की प्राथमिकताओं में है। शिक्षा मंत्री ने मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे जिला स्तर पर बैठक कर इन मानकों की समीक्षा करें और दो माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। पुनरीक्षण के बाद, जिन विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं की कमी है, जैसे बिजली, पानी, शौचालय, फर्नीचर और पुस्तकें, उनकी भी सूची बनाई जाएगी ताकि सुधारात्मक कदम उठाए जा सकें। (Sword on 3000 Teachers Job in Uttarakhand)
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