किसानों की आय दोगुनी करने को देश के हर जिले में बनेंगी कृषि परिषदें

आईसीएसए की निदेशक ममता जैन।

- यूपी के लखीमपुर से हुई है शुरुआत, शीघ्र नैनीताल जनपद के हल्द्वानी में खुल सकती है उत्तराखंड की पहली जिला कृषि परिषद
- पहले चरण में हर राज्य में एक एवं आगे 3-4 वर्षों में देश के 500 जनपदों में जिला कृषि परिषदें स्थापित करने की है केंद्र सरकार की योजना
नवीन जोशी, नैनीताल। केंद्र सरकार वर्ष 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अनेक योजनाएं बना रही है। लेकिन इन योजनाओं का लाभ किसानों को दिलाने के लिए महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देश के हर जिले में महत्वाकांक्षी योजना के तहत डिस्ट्रिक्ट एग्रीकल्चर काउंसिल यानी जिला कृषि परिषद स्थापित करने का खाका बनाया गया है। यह कृषि परिषदें जिलों की निचली इकाइयों में स्थापित होकर किसानों और कृषि से संबंधित कृषि, लघु कृषि, उद्यान, सिंचाई, लघु सिचाई, बैंकों, मंडी परिषदों आदि विभिन्न विभागों-इकाइयों के साथ मिलकर जिला स्तर पर योजनाओं का लाभ किसानों को पहुंचाने के लिए समन्वित प्रयास करेंगी। यह परिषदें सीधे केंद्रीय कृषि मंत्रालय से जुड़ी होंगी, लिहाजा इनके जरिए किसान सरकारों की विभिन्न प्रकार की योजनाओं की जानकारी और लाभ प्राप्त करने के साथ ही अपनी समस्याएं, अधिकारियों-विभागों से सहयोग न मिलने जैसी शिकायतें भी मंत्रालय तक पहुंचा सकेंगे।

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देश में कृषि, खाद्य एवं कृषि उद्योग से संबंधित नीतिगत मुद्दों पर कार्य करने वाले सर्वोच्च संस्थान भारतीय खाद्य एवं कृषि परिषद यानी इंडियन काउंसिल फॉर फूड एंड एग्रीकल्चर (आईसीएफए) की निदेशक ममता जैन ने मंगलवार को एक्सक्लूसिव बातचीत में यह जानकारी दी। बताया कि देश की पहली जिला कृषि परिषद यूपी के लखीमपुर में शुरू की गयी है। इसी तरह पहले चरण में देश के हर राज्य में एक-एक और अगले 3-4 वर्षों में देश के 500 जनपदों और आगे हर जिले में जिला कृषि परिषदें स्थापित करने की केंद्र सरकार की योजना है। उत्तराखंड की पहली जिला कृषि परिषद जल्द नैनीताल जनपद के हल्द्वानी में स्थापित करने की योजना है।
किसान बनेंगे ब्रांड एंबेसडर
नैनीताल। आईसीएफए की निदेशक ममता जैन ने बताया कि जिला कार्य परिषदों में जिला स्तर पर किसानों के उत्थान, उन्हें अपने खेतों में क्या उगाकर और साथ में क्या करके आय बढ़ा सकते हैं, इस बारे में योजना बनाकर राय दी जाएगी। साथ ही जिलों में बेहतर उत्पादन के उदाहरण प्रस्तुत करने वाले किसानों को अन्य किसानों के समक्ष ‘ब्रांड एंबेसडर’ और ‘रोल मॉडल’ के रूप में पेश किया जाएगा, ताकि अन्य किसान भी उनकी तरह कृषि उत्पादन करने की प्रेरणा लें। साथ ही एक किसान परंपरागत खेती के इतर किस तरह मौसमी फल-सब्जियों, बकरी, भेड़ या मतस्य पालन आदि की समग्र खेती (इंटीग्रेटेड एग्रीकल्चर) कर पाएं, इस बारे में भी किसानों को बताया जाएगा।
उत्तराखंड के प्रगतिशील किसानों के लिए पुरस्कार व सम्मेलन जल्द
नैनीताल। बीते दिसंबर माह में नई दिल्ली में आयोजित हुए देश के पहले अखिल भारतीय प्रगतिशील कृषक सम्मेलन की तर्ज पर शीघ्र उत्तराखंड में भी इसी तरह राज्य स्तरीय प्रगतिशील कृषक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन की संभावनाएं तलाशने जनपद में पहुंची आईसीएफए की निदेशक ममता जैन ने बताया कि इसे देहरादून अथवा हल्द्वानी में आयोजित करने के बारे में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इस सम्मेलन में 15-16 श्रेणियों में राज्य के प्रगतिशील किसानों को पुरस्कार भी दिए जाएंगे। उल्लेखनीय है देश के पहले अखिल भारतीय प्रगतिशील कृषक सम्मेलन में नैनीताल जनपद के नरेंद्र सिंह मेहरा व अनिल पांडे तथा अल्मोड़ा की प्रेम रौतेला ने प्रतिभाग किया था।