उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक को जारी किया अवमानना नोटिस : दैनिक वन श्रमिकों को न्यूनतम वेतन देने में देरी का आरोप

नवीन समाचार, नैनीताल, 21 मार्च 2025 (Uttarakhand High Court Issues Contempt Notice to)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वन विभाग के दैनिक श्रमिकों को न्यूनतम वेतन देने के अपने पूर्व आदेश का पालन न करने के मामले में प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन और प्रभागीय वनाधिकारी कालसी केएन भारती को अवमानना नोटिस जारी किया है। यह कदम वन श्रमिकों द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद उठाया गया।
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने दोनों अधिकारियों को 5 जून 2025 तक अपना जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। अगली सुनवाई भी उसी तिथि को होगी। यह मामला न केवल वन विभाग के दैनिक श्रमिकों को वरन अन्य विभागों को भी न्यूनतम वेतन मिलने के लिए भविष्य के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह है मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार वन विभाग के दैनिक श्रमिक बबलू और अन्य ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की। इन श्रमिकों का कहना है कि वे कई वर्षों से वन विभाग में कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें न्यूनतम वेतनमान नहीं दिया जा रहा। वर्ष 2017 में उच्च न्यायालय ने सरकार को न्यूनतम वेतन देने का आदेश दिया था। इसके विरुद्ध राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसे 15 अक्टूबर 2024 को खारिज कर दिया गया। इसके बावजूद वन विभाग ने आदेश का पालन नहीं किया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार और वन विभाग के रवैये पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना गंभीर मामला है। प्रमुख वन संरक्षक और प्रभागीय वनाधिकारी को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने उनसे तय समय तक जवाब माँगा। वन विभाग का कहना है कि दैनिक श्रमिकों के लिए कोई स्पष्ट सेवा नियमावली नहीं है, जिसके कारण देरी हुई। विभाग ने दावा किया कि नीति निर्माण के लिए समिति गठित की गई है, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे अपर्याप्त माना।
वन विभाग में हजारों दैनिक श्रमिकों की समस्या (Uttarakhand High Court Issues Contempt Notice to)
उत्तराखंड के वन विभाग में हजारों दैनिक श्रमिक जंगल की गश्त, आग बुझाने और पौधरोपण जैसे कार्य करते हैं। ये अस्थायी आधार पर नियुक्त हैं और इन्हें निर्धारित न्यूनतम वेतन से कम धनराशि मिलती है। दैनिक श्रमिक कर्मचारी संगठन ने इस संबंध में विभाग और सरकार को कई पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। यह मामला श्रमिक अधिकारों और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल उठाता है। (Uttarakhand High Court Issues Contempt Notice to)
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