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April 27, 2025

बसने के चार वर्ष के भीतर ही कैसे देश की दूसरी पालिका बन गया था नैनीताल, जानें कैसे और कौन दो रायबहादुर-चार अधिवक्ता रहे हैं नैनीताल के पालिकाध्यक्ष और आगे क्या बने ?

Nainital Nagar Palika

सफाई व्यवस्था सुनियोजित करने को बंगाल प्रेसीडेंसी एक्ट के तहत 1845 में हुआ था गठन

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 21 दिसंबर 2024 (History of Nainital Municipality and Chairman)। जी हां, देश ही नहीं दुनिया में नैनीताल ऐसा अनूठा व इकलौता शहर होगा जिसे बसने के चार वर्ष के अंदर ही नगर पालिका का दर्जा मिल गया था। दूर की सोच रखने वाले इस शहर के अंग्रेज नियंताओं ने शहर के बसते ही इसकी साफ-सफाई को सुनियोजित करने के लिए बंगाल प्रेसीडेंसी एक्ट-1842 के तहत इसे 1845 में नगर पालिका का दर्जा दे दिया गया था।

(History of Nainital Municipality and Chairman) नैनीताल समग्र – यह नवीन समाचार का पुराना संस्करण है, नया संस्करण  http://www.navinsamachar.com/ पर देखें.विदित है कि नैनीताल नगर 1823 के मानचित्र में भी मिलता है, अलबत्ता वर्तमान नगर को स्वरूप में बसाने का श्रेय अंग्रेज व्यवसायी पीटर बैरन को दिया जाता है, जो 18 नवम्बर 1841 को यहां आया लेकिन आश्चर्य किया जाता हैं कि कैसे इसके तीन वर्ष के उपरांत 1843-44 में ही, जब नगर की जनसंख्या कुछ सौ ही रही होगी, नगर की साफ-सफाई के कार्य को सुनियोजित करने के लिए नैनीताल को नगर पालिका बनाने का प्रस्ताव नगर के तत्कालीन नागरिकों ने कर दिया था।

अंग्रेज लेखक टिंकर की पुस्तक “लोकल सेल्फ गवर्नमेंट इन इंडिया, पाकिस्तान एंड वर्मा” के पेज 28-29 में नैनीताल के देश की दूसरी नगर पालिका बनने का रोचक जिक्र किया गया है। पुस्तक के अनुसार उस दौर में किसी शहर की व्यवस्थाओं को सुनियोजित करने के लिए तत्कालीन नार्थ-वेस्ट प्रोविंस में कोई प्राविधान ही नहीं थे। लिहाजा 1842 में बंगाल प्रेसीडेंसी के लिए बने बंगाल प्रेसीडेंसी अधिनियम-1842 के आधार पर इस नए नगर को नगर पालिका का दर्जा दे दिया गया।

जबकि इससे पूर्व केवल मसूरी को (1842 में) नगर पालिका का दर्जा हासिल था, इस प्रकार नैनीताल को देश की दूसरी नगर पालिका होने का सौभाग्य मिल गया। अधिनियम के तहत 7 जून 1845 को नगर की व्यवस्थाएं देखने के लिए कुमाऊं के दूसरे कमिश्नर मेजर लूसिंग्टन की अध्यक्षता में मेजर जनरल सर डब्लू रिचर्ड्स, मेजर एचएच आरवॉड, कैप्टेन वाईपी पोंग व पी वैरन की पांच सदस्यीय समिति  गठित कर दी गयी। 

आगे 1850 में म्युनिसिपल एक्ट आने के बाद तीन अक्टूबर 1850 को यहां विधिवत नगर पालिका बोर्ड का गठन हुआ। नगर के बुजुर्ग नागरिक व म्युनिसिपल कमिश्नर (सभासद) रहे स्वर्गीय गंगा प्रसाद साह बताते थे कि उस दौर में नियमों का पूरी तरह पालन सुनिश्चित किया जाता था। सेनिटरी इंस्पेक्टर घोड़े पर सवार होकर रोज एक-एक नाले का निरीक्षण करते थे।

माल रोड पर यातायात को हतोत्साहित करने के लिए चुंगी का प्राविधान किया गया था। गवर्नर को चुंगी से छूट थी। एक बार अंग्रेज लेडी गवर्नर बिना चुंगी दिए माल रोड से गुजरने का प्रयास करने लगीं, जिस पर तत्कालीन पालिकाध्यक्ष राय बहादुर जसौत सिंह बिष्ट ने लेडी गवर्नर का 10 रुपये का चालान कर दिया था।

नैनीताल नगर पालिका की विकास यात्रा (History of Nainital Municipality and Chairman)

  • 1841 में पहला भवन पीटर बैरन का पिलग्रिम हाउस बनना शुरू ।
  • तल्लीताल गोरखा लाइन से हुई बसासत की शुरूआत।
  • 1845 में मेजर लूसिंग्टन, 1870 में जे मैकडोनाल्ड व 1845 में एलएच रॉबर्टस बने पदेन अध्यक्ष।
  • 1891 तक कुमाऊं कमिश्नर होते थे छह सदस्यीय पालिका बोर्ड के पदेन अध्यक्ष व असिस्टेंट कमिश्नर उपाध्यक्ष।
  • 1891 के बाद डिप्टी कमिश्नर (डीसी) ही होने लगे अध्यक्ष।
  • 1900 से वैतनिक सचिव होने लगे नियुक्त, बोर्ड में होने लगे पांच निर्वाचित एवं छह मनोनीत सदस्य।
  • 1921 से छह व 1927 से आठ सदस्य होने लगे निर्वाचित।
  • 1934 में आरई बुशर बने पहले सरकार से मनोनीत गैर अधिकारी अध्यक्ष (तब तक अधिकारी-डीसी ही होते थे अध्यक्ष)।
  • 1941 में पहली बार रायबहादुर जसौत सिंह बिष्ट जनता से चुन कर बने पालिकाध्यक्ष।
  • 1953 से राय बहादुर मनोहर लाल साह रहे पालिकाध्यक्ष।
  • 1964 से बाल कृष्ण सनवाल रहे पालिकाध्यक्ष।
  • 1971 से किशन सिंह तड़ागी रहे पालिकाध्यक्ष।
  • 1977 से 1988 तक डीएम के हाथ में रही सत्ता।
  • 1977 तक बोर्ड सदस्य कहे जाते थे म्युनिसिपल कमिश्नर, जिम कार्बेट भी 1919 में रहे म्युनिसिपल कमिश्नर।
  • 1988 में अधिवक्ता राम सिंह बिष्ट बने पालिकाध्यक्ष।
  • 1994 से 1997 तक पुन: डीएम के हाथ में रही सत्ता।
  • 1997 में संजय कुमार :संजू”, 2003 में सरिता आर्या, 2008 में मुकेश जोशी, 2013 में श्याम नारायण और 2018 में सचिन नेगी बने अध्यक्ष।

राजनीति की पाठशाला, विधानसभा की सीढ़ी साबित होती रही है नैनीताल नगर पालिका, जानें कैसे.. (History of Nainital Municipality and Chairman)

-पालिका से सीढ़ी चढ़ विधायक-मंत्री बने सनवाल, तड़ागी, चंद व सरिता
नवीन जोशी, नैनीताल, 1 नवंबर 2018। 1841 में अपनी बसासत के चार वर्ष के भीतर ही 1845 में देश की तीसरी नगर पालिका का दर्जा हासिल करने वाली 163 वर्ष पुरानी नैनीताल नगर पालिका कई राजनेताओं के लिए राजनीति की पाठशाला के साथ ही राजनीतिक कॅरियर की सीढ़ी भी साबित हुई है।

नगर के तीसरे पालिकाध्यक्ष रहे बाल कृष्ण सनवाल, चौथे अध्यक्ष किशन सिंह तड़ागी व सातवीं अध्यक्ष सरिता आर्य आगे चलकर विधायक बने। जबकि यहां सभासद रहे श्रीचंद ने यूपी में दो मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में वन एवं राजस्व विभाग के काबीना मंत्री रहने का गौरव हासिल किया।

गौरतलब है कि पूर्व में नगर के प्रथम पालिकाध्यक्ष रायबहादुर जसौत सिंह बिष्ट के नाम दो बार (1941 से 1947 और 1947 से 1953 तक) पालिकाध्यक्ष रहने का रिकार्ड दर्ज है। वहीं इस बार एक पूर्व सभासद, दो अधिवक्ता, तीन महिलाएं, व्यापारी, एक पूर्व खेल प्रशासक और समाजसेवी नैनीताल पालिकाध्यक्ष की हॉट सीट पर बैठने की कोशिश में हैं।

नैनीताल नगर पालिका से राजनीतिक अनुभव का ककहरा सीखकर पालिका के भीतर ही पदोन्नति प्राप्त करने वालों की बात की जाए तो पहला नाम नगर के आठवें पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी का आता है, जो पूर्व में सरिता आर्या की अध्यक्षता वाली बोर्ड में सभासद रहे, और आगे पालिकाध्यक्ष बने।

दो रायबहादुर, चार अधिवक्ता रहे हैं नैनीताल के पालिकाध्यक्ष (History of Nainital Municipality and Chairman)

नैनीताल। 1843-44 में अंग्रेजों ने प्रेसीडेंसी एक्ट आफ 1842 के तहत वर्ष 1845 में नैनीताल पालिका का गठन किया था। इससे पूर्व मद्रास में पहली तथा मंसूरी में दूसरी पालिका गठित हो चुकी थी। नैनीताल नगर पालिका के 163 वर्षों में जिन आठ के सिर पर अध्यक्ष का ताज सजा, उनमें दो राय बहादुर, चार अधिवक्ता, एक पूर्व सभासद और एक महिला है।

प्रख्यात अंतरराष्ट्रीय शिकारी जिम कार्बेट भी नैनीताल पालिका के म्युनिसिपल कमिश्नर (सभासद) रह चुके हैं। पालिका बनने के बाद ब्रिट्शि हुक्मरान ही यहां अध्यक्ष रहे। आजादी से पूर्व वर्ष 1941 में रायबहादुर जसौद सिंह बिष्ट को ब्रिटिशों ने पालिकाध्यक्ष बनाया। वह 1953 तक चेयरमैन रहे। 1953 में पहली बार जनता ने मतदान से अध्यक्ष चुना। राय बहादुर मनोहर लाल साह पहले निर्वाचित चेयरमैन बने।

इसके बाद पेशे से अधिवक्ता रहे बीके सनवाल, केएस तड़ागी, आरएस रावत तथा संजय कुमार संजू को जनता ने पालिकाध्यक्ष की कुर्सी में बिठाया। वर्ष 2002 में वर्तमान विधायक सरिता आर्या को पहली महिला पालिकाध्यक्ष होने का गौरव मिला। 1977 में आपातकाल की वजह से चुनाव नहीं हुए, इसलिए 1977 से लेकर 1988 और फिर 1994 से 1997 तक यह कुर्सी प्रशासक के पास रही।

कौन क्या रहे क्या बने

बाल कृष्ण सनवाल पालिकाध्यक्ष विधायक
किशन सिंह तड़ागी पालिकाध्यक्ष विधायक
सरिता आर्या पालिकाध्यक्ष विधायक
श्रीचंद सभासद यूपी के वन व न्याय मंत्री
मुकेश जोशी सभासद पालिकाध्यक्ष

अब तक के पालिकाध्यक्ष

1941 से 1953  रायबहादुर जसौद सिंह बिष्ट
1953 से 1964  रायबहादुर मनोहर लाल साह
1964 से 1971  बाल कृष्ण सनवाल (अधिवक्ता)
1971 से 1977  किशन सिंह तड़ागी (अधिवक्ता)
1977 से 1988 प्रशासक
1988 से 1994  राम सिंह रावत (अधिवक्ता)
1994 से 1997  प्रशासक
1997 से 2002  संजय कुमार संजू (अधिवक्ता)
2002 से 2008  सरिता आर्या (प्रथम महिला पालिकाध्यक्ष)
2008 से 2013  मुकेश जोशी (पूर्व पालिका सभासद)
2013 से 2018   श्याम नारायण (पूर्व शिक्षक)
2018 से 2022  सचिन नेगी 

पिछली बार से ढाई हजार कम 25578 मतदाताओं की अंतिम सूची आई सामने 

-स्टाफ हाउस में सबसे ज्यादा-सैनिक स्कूल में सबसे कम मतदाता
नैनीताल। नैनीताल नगर पालिका चुनाव में इस वर्ष 3 दिन पूर्व जोड़े गये नामों को भी शामिल करते हुए 25578 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे, जो 2018 के 8,784 महिला और 9,187 पुरुष मतदाताओं यानी कुल 28,165 मतदाताओं की तुलना में 2587 कम हैं। उल्लेखनीय है कि नैनीताल नगर पालिका के 15 वार्डों में सबसे अधिक मतदाता वार्ड संख्या एक स्टाफ हाउस में 2116 मतदाता हैं।

जबकि वार्ड संख्या 12 सैनिक स्कूल में सबसे कम 1252 मतदाता हैं। इसके अतिरिक्त शेर का डांडा में 1951, राजभवन में 1637, हरिनगर में 1534, स्नोव्यू में 1991, नारायणनगर में 1826, सूखाताल में 1451, अयारपाटा में 1987, अपर माल में 2007, नैनीताल क्लब में 1769, कृष्णापुर में 1609, आवागढ़ में 1463, मल्लीताल बाजार में 1647 व तल्लीताल बाजार में 1341 मतदाता हैं।  इसका एक मुख्य कारण मेट्रोपोल बस्ती का ध्वस्तीकरण और लोगों का पलायन भी माना जा रहा है। (History of Nainital Municipality and Chairman, Nainital History, Nainital Nagar Palika History, Nainital Municipality History, second municipality of India)

2018 के निकाय चुनाव में नैनीताल नगर पालिका में 28,165 मतदाताओं में से 8784 महिलाओं एवं 9187 पुरुषों सहित 17,971 मतदाताओं, भवाली में 5,747 में से 2054 महिला व 2070 पुरुषों सहित कुल 4124 मतदाताओं ने, भीमताल में 8413 मतदाताओं में से 2800 महिलाओं व 2954 पुरुषों सहित 5754 मतदाताओं, लालकुआं में 5207 मतदाताओं में से 2037 महिलाओं व 2348 पुरुषों सहित कुल 4385 मतदाताओं तथा कालाढुंगी में 5,902 मतदाताओं में से 2508 महिलाओं व 2533 पुरुषों सहित 5041 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। (History of Nainital Municipality and Chairman, Nainital History, Nainital Nagar Palika History, Nainital Municipality History, second municipality of India)

2013 में ऐसी रही थी स्थिति

नैनीताल। 2013 के नगर पालिका के चुनाव में भी नैनीताल नगर पालिका अनुसूचित वर्ग के लिये आरक्षित थी। तब उत्तराखंड क्रांति दल के एक नये-बुजुर्ग प्रत्याशी श्याम नारायण ने 3790 मत प्राप्त कर कुल 13 प्रत्याशियों में जीत दर्ज की थी और दूसरे नंबर पर 2818 मतों के साथ निर्दलीय प्रत्याशी दीपक कुमार ‘भोलू’ रहे थे। जबकि कांग्रेस ने कई स्थानीय पार्टी के कार्यकर्ताओं के होते एक अन्जान से चेहरे अमित कुमार पर और भाजपा ने पूर्व पालिकाध्यक्ष संजय कुमार ‘संजू’ पर दांव लगाया था, और यह दोनों प्रत्याशी तीसरे और चौथे स्थान पर रहे थे।

कांग्रेस प्रत्याशी स्वर्गीय अमित कुमार (अब दिवंगत) को 2331 और भाजपा प्रत्याशी संजू को 2321 मत मिले थे। इनके अतिरिक्त कांग्रेस मूल के सुभाष चंद्रा को 1718 मत मिले थे। इनके अतिरिक्त भी इस चुनाव में राकेश ‘शम्भू’, जगमोहन, दिनेश, प्रेम सागर, राकेश, राजेंद्र व्यास, ललित प्रसाद आर्य व शालिनी आर्या भी चुनाव लड़े थे और इन्हें 650 से 225 के बीच मत मिले थे। (History of Nainital Municipality and Chairman, Nainital History, Nainital Nagar Palika History, Nainital Municipality History, second municipality of India)

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