मोदी के इस ‘दिवास्वप्न’ को साकार करने में जुटा यह ‘नरेंद्र’
मोदी के आह्वान पर खोजा ‘सहखेती’ का ‘नरेंद्र पैटर्न’
- खाद्य फसलों की मेढ़ों पर सब्जियों की जगह सब्जियों की मेढ़ों पर गेहूं उगाने का किया है सफल प्रयोग
- पूर्व में ‘नरेंद्र-09’ प्रजाति की गेहूं की प्रजाति खोजकर उत्तराखंड के प्रगतिशील किसान के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो चुके हैं गौलापार के नरेंद्र मेहरा
नवीन जोशी, नैनीताल। जब कृषि प्रधान देश भारत में किसानों का जिक्र केवल किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्याओं के लिए आ रहा हो, किसान खेती छोड़ शहरों में मेहनत-मज़दूरी करने जा रहे हों, खेतों में सीमेंट-कंक्रीट की अट्टालिकाएं खरपतवारों की तरह उग रही हों, और प्रधानमंत्री मोदी इसके उलट देश के किसानों की आय दोगुनी करने की ‘उलटबांशी’ बजा रहे हों, ऐसे में उनका एक हमनाम किसान उनके इस ‘दिवास्वप्न’ को साकार करने में जुटा है।
हाशिये पर जा रही खेती-किसानी की खबरों के बीच यह खबर किसानों को नयी राह दिखाने वाली है। नैनीताल जनपद के भूगोल में परास्नातक एवं पर्यटन में डिप्लोमाधारी प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने ‘नरेंद्र 09’ प्रजाति के बाद सहखेती की ऐसी तकनीक खोज निकाली है, जिससे खाद्यान्न उत्पादन से दूर जाकर मौसमी शाक-सब्जी की ओर जा रहे किसानों को वापस खाद्यान्न उत्पादन की ओर लौटने की नई लाभप्रद राह दिख सकती है। इस नई प्रविधि की तरह नरेंद्र ने लहसुन की फसल की मेढ़ों पर गेहूं की फसल उगाने का नया सफल प्रयोग किया है, जिसे कृषि विभाग के उच्चाधिकारी भी सराह रहे हैं।
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अपनी नयी सहखेती की तकनीक का अपने खेत में प्रदर्शन करते हुए प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने बताया कि प्रधानमंत्री के 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के आह्वान व संकल्प से प्रेरित होकर उन्होंने कुछ नया करने की पहल करते हुए यह प्रयोग किया है। नरेंद्र बताते हैं, सामान्यतया किसान टमाटर, लहसुन, गोभी आदि सब्जियों की क्यारियों की मेढ़ों पर लहसुन, धनिया आदि उगाते हैं। इस तरह एक एकड़ जमीन पर मेढ़ों से किसानों को 30-40 किग्रा तक धनिया-लहसुन आदि पैदा होती है, और यह 30-35 रुपए प्रति किग्रा के भाव बिककर कुल हजार-15 सौ रुपए की अतिरिक्त आय ही किसान को दिलाती है। इसकी जगह उन्होंने अपने करीब आधे एकड़ के खेत में बीती 24 नवंबर 2017 को 84 किलो लहसुन के बीजों की मेढ़ों पर अपनी पूर्व में खोजी गयी ‘नरेंद्र-09’ प्रजाति के गेहूं के केवल 150 ग्राम बीज बोकर फसल लगायी है। इतने भर बीजों से ‘नरेंद्र-09’ प्रजाति के गेहूं हर बीज से 50 से 75 तक कल्ले छोड़कर इस तरह लहलहा रहा है कि इससे करीब 5 कुंतल गेहूं उत्पादित होने की उम्मीद है, जिससे किसान को आठ से नौ हज़ार से अधिक की आय मिलनी तय है, और यह परंपरागत सब्जी से होने वाली आय से 5 से 6 गुने तक अधिक है। ऐसा इसलिए भी है कि मेढ़ों में काफी दूर पर गेहूं के बीच लगाने से पौधों को अधिक संख्या में कल्ले छोड़ने व फैलने के लिए भरपूर जगह तथा खाद-पानी व धूप आदि भी पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो रहे हैं।
नरेंद्र अपनी उन्नत खेती के बारे में बताते हैं कि वे खेती में रसायनिक खादों का प्रयोग बिलकुल नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसकी जगह उन्होंने तीन बीघे में 25 कुंतल गोबर की कंपोस्ट खाद, सागरिका दानेदार जैविक खाद और ऑर्गनिक सॉल्यूशन बेस्ट डी कंपोजर का प्रयोग किया है। वह अपनी तकनीक को केवल स्वयं तक सीमित करने के बजाय सभी किसानों को बताना चाहते हैं, ताकि प्रधानमंत्री मोदी का किसानों की आय दोगुनी करने का स्वप्न जल्द साकार हो, और मानते हैं कि बड़े किसानों के साथ ही छोटी जोत के किसानों के लिए उनकी तकनीक चमत्कारिक परिणाम लाने वाली व वरदान साबित हो सकती है। संयुक्त निदेशक कृषि-कुमाऊं पीके सिंह, जनपद के मुख्य कृषि अधिकारी धनपत कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी डा. विजय दोहरे व कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी आरके आज़ाद सहित जिले व मंडल के अनेक अधिकारियों के साथ ही पंतनगर कृषि विवि, विवेकानंद पर्वतीय अनुसंधान संस्थान कोसी कटारमल के कृषि वैज्ञानिक भी उनके इस नये प्रयोग का अवलोकन कर इसे सराह रहे हैं, तथा अन्य किसानों को भी इससे अवगत कराने की बात कर रहे हैं। वहीं संयुक्त निदेषक कृषि-कुमाऊं पीके सिंह ने इस तकनीक के प्रचार-प्रसार व की जिम्मेदारी आत्मा परियोजना के केके पंत को सौंप दी है, जिसके तहत अन्य क्षेत्रों के किसान भी इस तकनीक को देखने मेहरा के खेत में पहुंचेंगे।
दो से तीन गुना तक अधिक उपज देती है नरेंद्र की ‘नरेंद्र-09’ गेहूं की प्रजाति
नैनीताल। गौलापार के प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के किसानों व खेती को बढ़ावा देने के आह्वान के बीच उन्हीं के नाम पर ‘नरेंद्र-09’ नाम की गेहूं की एक ऐसी प्रजाति विकसित की है, जो मोदी की तरह ही (जैसे मोदी नवरात्र में ब्रत करने के बावजूद दिन में 20 घंटे तक कार्य करते हैं) दो से तीन गुना अधिक उत्पादकता देती है, और इसे पेटेंट कराने की प्रक्रिया भी गतिमान है। हालांकि गेहूं की इस प्रजाति के नाम और नरेंद्र मोदी के बीच कोई संबंध नहीं है, लेकिन देश में ‘नमो-नमो’ की गूंज के बीच यह संयोग ही है कि इस प्रजाति को मोदी के ही हम नाम नरेंद्र मेहरा ने खोजा है। और यह भी संयोग है कि नरेंद्र मेहरा करीब तीन दशक से नरेंद्र मोदी की ही पार्टी भाजपा से जुड़े हैं, अलबत्ता उनकी इस खोज व नाम का पार्टी से कोई संबंध नहीं है। गेहूं की इस प्रजाति का नाम नरेंद्र-09 और उनकी नयी सहखेती के तरीके का नाम ‘नरेंद्र पैटर्न’ केवल इसलिये है कि इसे नरेंद्र मेहरा ने गेहूं की प्रजाति को वर्ष 2009 में खोजा है। अपनी इस उपलब्धि के लिये वे नैनीताल के जिला कृषि अधिकारी से वर्ष 2015-16 में ‘किसान श्री’ तथा मंडी समिति से ‘स्वतंत्रता दिवस कृषि सम्मान’ प्राप्त कर चुके हैं, तथा पंतनगर विवि के कृषि मेले में मुख्यमंत्री के हाथों भी सम्मानित हो चुके हैं, और बीते माह नई दिल्ली में आयोजित देश के पहले अखिल भारतीय प्रगतिशील कृषक सम्मेलन में उत्तराखंड के प्रगतिशील किसान के रूप में भी प्रतिभाग कर चुके हैं।