May 3, 2024

अतीत के गलियारे से: जब गुड़िया के बुलावे पर इंदिरा-राजीव आए, सोनिया तो हेलीकॉप्टर नहीं उड़ सका तो ट्रेन से आईं

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-एक गरीब बालिका के लिये बदल दिया था प्रधानाचार्य
डॉ.नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 6 अप्रैल 2024 (From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya)। बदलाव प्रकृति का नियम है, परंतु प्रश्न यह कि बदलाव कैसा हो रहा है। हम राजनीति में बदलाव की बात कर रहे हैं। आज हम अतीत के गलियारे से नैनीताल के पूर्व सांसद की कहानी के जरिये बीते दशकों में राजनीति में आये बदलाव का आईना पेश कर रहे हैं। श्री गुड़िया के कार्यकाल में ही नैनीताल जिला मुख्यालय में कुमाऊं मंडल के पहले और अब तक भी इकलौते रोप-वे का निर्माण और उद्घाटन हुआ था।

(From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya) अतीत से : जब गुड़िया के बुलावे पर इंदिरा-राजीव आए, सोनिया का हेलीकॉप्टर  नहीं उड़ सका तो वे ट्रेन से आईं | Udaipur Kiran Hindiबात 1980 में काशीपुर से उत्तर प्रदेश विधान सभा और 1984 में नैनीताल संसदीय क्षेत्र से संसद में पहुंचे कांग्रेस नेता सत्येंद्र चंद्र गुड़िया की। वह 13 दिसंबर 1933 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी किशोरी लाल गुड़िया के घर में जन्मे थे, जिनके बुलावे पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु काशीपुर आए थे।

इंदिरा, राजीव से लेकर सोनिया तक से रहे करीबी संबंध (From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya)

जबकि सत्येंद्र के बुलावे पर पंडित नेहरु की बेटी इंदिरा और उनके पुत्र राजीव गांधी भी काशीपुर आए थे। यही नहीं राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी तो एक बार मौसम खराब हो जाने के कारण हेलीकॉप्टर नहीं उड़ सका तो ट्रेन से उनका चुनाव प्रचार करने काशीपुर पहुंची थीं। 1978 में जनता पार्टी सरकार में इंदिरा गांधी को जेल भेजा गया तो गुड़िया ने इसके विरोध में अपनी माता सहित गिरफ्तारी दी थी और रामपुर जेल में रहे थे।

तिवारी के प्रिय रहे (From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya)

जीवनपर्यंत ईमानदार और आदर्श राजनीति और सिद्धांतों से कभी समझौता न करने की पहचान रखने वाले सत्येंद्र की पहचान पंडित नारायण दत्त तिवारी के प्रिय नेताओं में रही। 1984 में वह काशीपुर से उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए, और अगस्त 1984 से सांसद बनने तक उत्तर प्रदेश की नारायण दत्त तिवारी सरकार में उद्योग सिंचाई एवं गन्ना विकास विभाग के उप मंत्री बने।

आगे दिसंबर 1984 में हुऐ लोक सभा चुनाव में गुड़िया नैनीताल से सांसद बने। 1985 में तिवारी गुड़िया की काशीपुर सीट से चुनाव लड़े और तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1988 में भी तिवारी काशीपुर से ही चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री बने।

1996 में एनडी तिवारी ने अपनी पार्टी बनायी तो गुड़िया तिवारी कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष और 2001 में उत्तरांचल कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष भी रहे। 2004 में तिवारी मुख्यमंत्री बने तो गुड़िया को विधायक न रहते हुये भी उत्तरांचल आवास सलाहकार परिषद के चेयरमैन के रूप में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। गुड़िया ने भी तिवारी को अपनी काशीपुर सीट से उत्तर प्रदेश विधान सभा भेजने को कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।

गौरतलब है कि तिवारी चार बार गुड़िया की विधानसभा काशीपुर से उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे और इनमें से 3 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। संभवतया इसके बदले ही तिवारी ने गुड़िया को अपनी नैनीताल लोक सभा से सांसद बनाया।

काशीपुर को एनडी व गुड़िया की जुगलबंदी का लाभ मिला (From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya)

इस प्रकार काशीपुर को एनडी व गुड़िया की जुगलबंदी का लाभ मिला और गुड़िया के सांसद रहते काशीपुर में इंडिया ग्लाइकॉल लिमिटेड, सूर्या रोशनी लिमिटेड, प्रकाश पाइप्स लिमिटेड, एसआरफ व पशुपति एक्रेलोन जैसे बड़े उद्योग स्थापित हुये, जो आज भी मौजूद हैं। इस दौरान काशीपुर, बाजपुर व रामनगर में मंडी समिति स्थापित करने का श्रेय भी गुड़िया को जाता है।

इस बीच एक मौका ऐसा भी आया जब 1977 में जनता पार्टी की सरकार के दौर में काशीपुर में पॉलीटेक्निक के लिये जमीन अधिगृहीत कराने का आरोप लगाते हुसे संबंधित व्यक्ति ने तिवारी की जनसभा के दौरान भारी भीड़ के बीच गुड़िया के सीने पर बंदूक रख दी थी, लेकिन मौजूद भीड़ ने गुड़िया को बचा लिया था। (From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya)

जब एक गरीब छात्रा के लिये बदल दिया था कॉलेज का प्रधानाचार्य (From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya)

गुड़िया की पहचान व याद उनके द्वारा क्षेत्र में किये गये विकास के साथ प्रशासनिक मशीनरी पर मजबूत पकड़ के लिये भी की जाती है। इस संबंध में एक घटना खासी चर्चा में रही। जब एक गरीब छात्रा को राधे हरि राजकीय महाविद्यालय में प्रवेश नहीं मिला तो वह लड़की गुड़िया जी के पास पहुंची। (From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya)

गुड़िया ने तत्कालीन प्रधानाचार्य को फोन कर प्रवेश देने के लिए कहा तो प्रधानाचार्य ने कुछ कारण बताकर प्रवेश करने में आनाकानी कर दी। इस पर श्री गुड़िया ने प्रधानाचार्य का तबादला ही करा दिया, और नए प्रधानाचार्य को महाविद्यालय में इस शर्त पर कार्यभार लेने दिया कि वह उस गरीब छात्रा को प्रवेश देंगे। (From the Corridor of the Past-Satyendra Gudiya)

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