होली समाचार एक्सक्लूसिव: धामी ही बनेंगे सीएम और धामी ही नेता प्रतिपक्ष, हरीश रावत लेंगे सन्यास और दूसरे हरीश की होगी बल्ले-बल्ले*

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डॉ. नवीन जोशी @ नवीन (होली) समाचार, नैनीताल, 18 मार्च 2022। होली के मौके पर राज्य की सबसे बड़ी खबर आ रही है। धामी यानी पुष्कर सिंह धामी प्रदेश में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनेंगे। अलबत्ता उनके नाम के ऐलान में 19 को भी होली होने की वजह से एक और दिन लग सकता है। अब 20 को भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक हो सकती है। वहीं दूसरे धामी यानी हरीश धामी प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष हो सकते हैं। उन्होंने गत दिवस नेता प्रतिपक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी की थी।

बताया जा रहा है कि हरीश रावत ने अपने पूर्व में दिए गए बयान ‘सीएम बनूंगा या घर बैठूंगा’ पर अमल करते हुए सन्यास लेने की घोषणा कर दी है। इस कारण उनके खेमे के, उनके करीबी और उनके ही हम नाम होने के कारण पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने हरीश धामी को उत्तराखंड का नया नेता प्रतिपक्ष बनाने का निर्णय ले लिया है। बताया जा रहा है कि हरीश रावत ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने को लेकर आखिर में अपने बयान पर कायम रहते हुए राजनीति से सन्यास लेने का दांव चला, इसके बाद हाईकमान ने उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला ले लिया।

विश्वस्त सूत्रों के अनुसार इस मौके पर हरीश रावत यह कह बैठे कि वास्तव में वह ‘घर बैठने’ की राजनीतिक घोषणा के बाद भी पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की तरह कम से कम चार चुनाव ‘अपना आखिरी चुनाव’ बताकर लड़ने का इरादा रखते थे, लेकिन चूंकि हरीश धामी ने उनके लिए अपनी धारचूला की सीट खाली कर उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाई थी, इसलिए वह हरीश धामी की खातिर राजनीति से सन्यास ले रहे हैं। वैसे भी उनकी जेब के कांग्रेसी नेताओं में से धामी के अलावा अब कम ही नेता इस बार चुनाव जीतने के बाद सक्रिय राजनीति में बच पाए हैं। इसके बाद माना जा रहा है कि शनिवार को उत्तराखंड में होली के मौके पर हरीश धामी के नाम की घोषणा हो सकती है।

उधर भाजपा के केंद्रीय हाईकमान से खबर यह है कि कांग्रेस द्वारा हरीश धामी को नेता प्रतिपक्ष के लिए चुन लिए जाने की खबर के बाद पुष्कर धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर ‘किंतु-परंतु’ जैसा असमंजस दूर कर लिया है। हरीश धामी चूंकि कुमाऊं के सीमांत क्षेत्र से आते हैं और पुष्कर धामी भी इसी क्षेत्र के मूल निवासी हैं, दोनों का ‘सरनेम’ भी एक ही यानी धामी है। इसलिए भाजपा नहीं चाहती कि पहले से अपनी कमजोर स्थिति वाले कुमाऊं मंडल में किसी तरह का रिस्क लिया जाए। इसलिए उन्होंने पुष्कर धामी को रिपीट करने का फैसला कर लिया है। उनके नाम की भी शनिवार को होली के मौके पर घोषणा किए जाने की उम्मीद है।

अलबत्ता, होली के दिन विधानमंडल दल की बैठक रखने पर वहां कहीं विधायकगण अधिक भंग न चढ़ा लें और रंग में कोई भंग न पड़ जाए, इसलिए विधानमंडल दल की बैठक 20 मार्च को रखने तथा 22 से पहले सरकार का गठन व शपथग्रहण किए जाने की तैयारी कर ली गई है। बताया जा रहा है कि यूपी की तर्ज पर यहां भी शपथग्रहण भव्य तरीके से होगा। सभी जिलों में बड़ी स्क्रीन पर नई सरकार के शपथग्रहण का प्रसारण किया जाएगा। (*नोट: यह होली समाचार है और इसका वास्तविकता में बदलना एक संयोग ही माना जाएगा।) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड की राजनीति में बड़े उलटफेर की संभावना: फिर 2012 का फॉर्मूला अपना सकती है भाजपा, त्रिवेंद्र वापस बन सकते हैं सीएम, इंदिरा हृदयेश होंगी कांग्रेस का चेहरा*

-इस्तीफा देकर जेएनयू से इतिहास विषय से पीएचडी लेकर प्राचश्चित करेंगे तीरथ, फिर से सीएम बन गैरेसेंण की घोषणा को वापस लेंगे त्रिवेंद्र

-गैरसेंण मंडल का नाम कुमाऊं मंडल करने और कुमाऊं मंडल का मुख्यालय नैनीताल से गैरसेंण व जिला मुख्यालय हल्द्वानी ले जाने पर भी चल रहा है विचार

-कांग्रेस हाइकमान ने हरीश रावत के सुझाव पर डॉ. इंदिरा हृदयेश को घोषित किया चेहरा, हरीश विधानसभा चुनाव न लड़ अल्मोड़ा से लड़ेंगे अगला लोकसभा चुनाव

डॉ. नवीन जोशी, नवीन समाचार, नैनीताल, 28 मार्च 2021। होली के दिन सुबह-सुबह उत्तराखंड की राजनीति में बड़ी खबर आ रही है। राज्य में एक बार फिर 2012-17 का ‘खंडूड़ी-निशंक-खंडूड़ी’ का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद एक दो अच्छे राजनीतिक स्ट्रोक खेलने के बाद तीरथ सिंह रावत ने अपने बयानों से जनता को यह कहने पर मजबूर कर दिया था कि इससे तो त्रिवेंद्र ही ठीक थे। ऐसे में भाजपा हाइकमान को उन्हें कोरोना संक्रमण बताकर कुछ दिनों के लिए चुप कराना पड़ा। अब खबर यह है कि हाइकमान फिर से त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना सकता है।

बताया जा रहा है कि इसके पीछे भाजपा वर्ष 2012 से 2017 के बीच की भाजपा सरकार के अनुभवों का फिर से सदुपयोग कर सकती है। तब भाजपा ने पहले खंडूड़ी को हटाकर निशंक को मुख्यमंत्री बनाया था, और बाद में चुनाव से पहले फिर से खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बना दिया था। बताया जाता है कि इसका लाभ भी भाजपा को मिला था। पहले सर्वेक्षणों में भाजपा को केवल 16 सीटें मिल रही थीं, लेकिन दूसरी बार नेतृत्व परिवर्तन के बाद उसे इसकी करीब दोगुनी 31 सीटें मिली थीं। इस बार भी भाजपा को उम्मीद है कि त्रिवेंद्र को फिर से मुख्यमंत्री बनाने से भाजपा को 60 के करीब सीटें मिल सकती हैं।

इससे पार्टी का मिशन 60 का नारा भी सफल हो जाएगा और त्रिवेंद्र को हटाने का कारण भी दिल्ली हाइकमान से मिल जाएगा। बताया जा रहा है कि त्रिवेंद्र पुनः मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले गैरसेंण व देवस्थानम बोर्ड से संबंधित अपने फैसलों में सुधार करेंगे। इसके लिए गैरसेंण मंडल का नाम कुमाऊं मंडल करने व कुमाऊं मंडल के मुख्यालय को नैनीताल से गैरसेंण ले जाने और नैनीताल जिला मुख्यालय को हल्द्वानी ले जाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि जब राज्य का बड़ा न्यायिक संस्थान नैनीताल से हल्द्वानी ले जाने पर विचार किया जा सकता है तो जिला मुख्यालय क्यों नहीं।

वैसे भी जिले के अधिकारी नैनीताल नहीं हल्द्वानी ही अधिक बैठना पसंद करते हैं। कहा जा रहा है कि इससे अधिकारियों के साथ जनता को टेढ़ी-मेढ़ी सड़कों से जिला मुख्यालय आने के लिए उल्टियां आने की समस्या से भी निजात मिल जाएगी। इधर त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल में मामूली फेरबदल के साथ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ वित्त मंत्री बनाना भी कमोबेश तय है। जबकि मौजूदा सीएम तीरथ सिंह रावत की ओर से यह संकेत आ रहे हैं कि वह जेएनयू से इतिहास विषय से पीएचडी की उपाधि लेंगे और इस दौरान जीन्स भी पहनकर संदेश देंगे कि उन्हें जीन्स से नहीं फटी जीन्स से समस्या है।

बताया जा रहा है कि तेजी से भाजपा में बदल रहे ऐसे राजनीतिक घटनाक्रमों में कांग्रेस ने भी अपनी रणनीति बदल दी है। पार्टी के दिल्ली हाइकमान ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के राज्य में चेहरा घोषित करने के सुझाव को मानकर वरिष्ठ नेत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश को राज्य में कांग्रेस का चेहरा घोषित कर दिया है। बताया जा रहा है कि हरीश रावत ने भी अपना फॉर्मूला मान लिये जाने के बाद यह फैसला स्वीकार कर लिया है और खुद अपने पुराने ऐलान पर अमल करते हुए विधानसभा चुनाव खुद न लड़ने और पार्टी प्रत्याशियों को जिताने में अपनी ताकत झोंकने के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी पुरानी अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट से लड़ने का इरादा जाहिर किया है।

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