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November 8, 2024

किरायेदारों के साथ मकान मालिकों का भी सत्यापन कराइए सरकार, बाहरी मकान मालिक कर रहे पहाड़ पर खेल..! नियमों की भी उड़ाई जा रही धज्जियां… (Makan Malikon ka bhi ho Police Verificatiom)

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makan malikon ka bhi ho police satyapan, Government should verify the landlords along with the tenants, outside landlords are playing on the mountain..! Rules are also being flouted, kiraayedaaron ke saath makaan maalikon ka bhee satyaapan karaie sarakaar, baaharee makaan maalik kar rahe pahaad par khel..! niyamon kee bhee udaee ja rahee dhajjiyaan, Makan Malikon ka bhi ho Police Verificatiom, Makan Malikon ka bhi ho Police Satyapan,

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नवीन समाचार, नैनीताल, 30 मई 2023। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गत दिनों बाहरी लोगों का सत्यापन करने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने आगे से राज्य में जमीन खरीदने वाले बाहरी लोगों का सत्यापन करने के भी निर्देश दिए हैं। वहीं इधर नैनीताल सहित कई जनपदों में बाहरी लोगों के सत्यापन का अभियान तेजी से चल रहा है, लेकिन यह अभियान किरायेदारों के सत्यापन तक सीमित है। जबकि स्वयं पुलिस के अधिकारी भी इस अभियान के दौरान के अपने अनुभवों के आधार पर मान रहे हैं असली जरूरत तो राज्य में बाहरी मकान मालिकों के सत्यापन की है। यह भी पढ़ें : अन्य प्रदेशों के लोग जिले में जमीन नहीं खरीद कर पाएंगे, डीएम गर्ब्याल ने दिए मातहतों को कड़े निर्देश 

उल्लेखनीय है कि राज्य के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है। इसका एक कारण यह भी निकल कर आया है कि स्थानीय लोग बाहरी लोगों को ठीक-ठाक मिली कीमतों पर अपनी जमीनें बेचकर पलायन कर गए हैं। जमीनें बाहरी लोगों को इसलिए बेची गई हैं, क्योंकि स्थानीय खरीददार आमतौर पर अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण अच्छी कीमतें नहीं दे पाते हैं। यह भी पढ़ें : बड़ा सुखद समाचार: देहरादून के बाद अब कुमाऊं मंडल के दो स्टेशनों काठगोदाम-टनकपुर से वंदे भारत चलाने का प्रस्ताव..

पूर्व में देखा जा रहा था कि बाहरी लोगों ने पहाड़ों पर जमीनें खरीदकर अपनी ऐशगाह बना ली हैं। उन्होंने अपनी जमीनों के मूल मालिकों को ही अपने घरों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी देकर ‘केयर टेकर’ के नाम पर-वास्तविक तौर पर चौकीदार बना दिया है। वे साल-दो साल में अपने परिवारों के साथ आते थे और उनकी जमीनों के मूल मालिक उनके नौकरों की तरह उन्हें वहां हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराते थे। यह भी पढ़ें : गन्ने के खेत में मिला महिला का अर्ध नग्न अवस्था में शव, दुष्कर्म के बाद हत्या की संभावना 

बाद के वर्षों में देखा गया कि ऐेस कई बाहरी लोग खुद की जगह अपने कारोबार से संबंधित अन्य लोगों को इन घरों में कुछ दिनों की छुट्टियां बिताने भेज देते थे और जमीनों के मूल मालिक उन लोगों के नौकर बनकर उनकी खिदमत में लगे रहते थे। यह भी पढ़ें : मजदूरी करने वाले दूसरे धर्म के युवक ने खुद को होटल मालिक बताकर युवती को फंसाया, आपत्तिजनक तस्वीरें भी लीं…

लेकिन इधर नया चलन यह नजर आ रहा है कि कोरोना काल में लोगों की स्वास्थ्य एवं प्रकृति के बीच रहने के प्रति बढ़ी जागरूकता के बीच इन बाहरी लोगों ने अपने खाली छूटे घरों को पंजीकृत या गैर पंजीकृत तरीके से सुविधानुसार होटल या ‘होम स्टे’ में बदल दिया है। वे दिल्ली या दूसरे शहरों से सीधे या ऑनलाइन माध्यम से इन होम स्टे की बुकिंग लेते हैं, और जमीनों के मूल मालिक चौकीदारों के माध्यम से इन घरों में वैध-अवैध होम स्टे चला रहे हैं। ऐसे में खासकर बिना मकान मालिक के होम स्टे या किराये में उपलब्ध हो रहे घरों के मालिकों के सत्यापन की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह भी पढ़ें : नैनीताल के आज 29 मई के चुनिंदा ‘नवीन समाचार’ 

इसके अलावा यह भी देखने में आ रहा है कि पहले किराये में रह कर सड़क किनारे नाम बदलकर बढ़ई, नाई आदि का काम करने वाले लोगों ने भी पहाड़ के गांवों में अपनी जमीनें खरीद ली हैं और सड़क किनारे मकान बना लिए हैं और चिकन, चाउमिन व मोमो जैसे पूर्व में पहाड़ की संस्कृति में न रहे पर नई पीढ़ी द्वारा पसंद किए जा रहे भोजन के रेस्टोरेंट-ढाबे आदि खोल दिये हैं। बताया जा रहा है कि यह लोग पर्वतीय क्षेत्रों में अपराधों के बढ़ने का भी एक बड़ा कारण हैं। यह भी पढ़ें : सरोवरनगरी में पर्यटन सीजन अब अपने उफान पर, एक हजार से अधिक वाहन नगर से बाहर खड़े कराए गए

इससे राज्य में बढ़े पर्यटन का जो लाभ स्थानीय लोगों को मिल सकता था, वह उन्हें न मिलकर इन्हीं बाहरी लोगों को मिल रहा है। सूत्र यह भी कहते हैं यहां बाहरी लोगों ने, बाहरी लोगों के लिए केवल सवा नाली जमीन ले पाने के नियम की भी धज्जियां उड़ाकर जमीनें ली हैं। ऐसे में इन लोगों के सत्यापन की भी आवश्यकता जताई जा रही है। यह भी पढ़ें : स्कूल गई नाबालिग हुई गायब, दिल्ली में युवक के साथ मिली.. 

सूत्रों ने बताया कि नैनीताल, भवाली, भीमताल, खैरना, गरमपानी व रामगढ़, धारी जैसे नगरों-कस्बों के साथ ही हरतोला, रूपसिंह धूरा, उल्गौर, मल्ला रामगढ़, तल्ला रामगढ़, नैकाना, डहरा, लोगज्ञानी, खनस्यूं, देवीधूरा से लेकर पंगोट क्षेत्रों में ऐसे बाहरी लोगों के मकानों के सत्यापन की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यह भी पढ़ें : शर्मनाक मामला: शिक्षक ने फेल करने की धमकी देकर छात्रा से मांगे निजी फोटो व वीडियो 

ऐसे भी हो रहा जमीनों की खरीद-फरोख्त में खेल

नैनीताल। सरकारी नियमों के अनुसार बाहरी लोगों के साथ ही स्थानीय लोग भी अपने नाम पर पहले से जमीन न होने की दशा में केवल सवा नाली भूमि ही खरीद सकते हैं। इस नियम के कारण स्थानीय लोग तो जमीनें नहीं खरीद कर पा रहे हैं, जबकि बाहरी लोग अपने परिवारजनों के नाम से अथवा बेनामी नामों से भी सवा-सवा नाली कर बड़ी मात्रा में जमीनों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं। यह भी पढ़ें : हल्द्वानी में फंदे पर लटकी मिली विवाहिता 

सूत्र यह भी बता रहे हैं वर्तमान जो जमीनों की रजिस्ट्रियां हो रही हैं, उनमें अलग-अलग क्षेत्रों में 50 से 80 प्रतिशत तक रजिस्ट्रियां बाहरी लोगों की हो रही हैं। यह लोग 15 वर्ष होने के बाद दोहरे स्थायी निवास प्रमाण पत्र भी बना ले रहे हैं। यानी उनके अपने मूल स्थानों पर तो स्थायी निवास प्रमाण पत्र हैं ही उन्होंने उत्तराखंड के भी स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना लिए हैं। ऐसी स्थितियों के कारण ही राज्य में भूकानून की मांग भी आमजन के द्वारा की जा रही है। (Makan Malikon ka bhi ho Police Verificatiom) (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

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