पूर्व मुख्यमंत्री से संबंधित एक वीडियो से उत्तराखंड की राजनीति में हलचल…
नवीन समाचार, देहरादून, 19 अगस्त 2022। सोशल मीडिया पर एक ‘ब्रेकिंग न्यूज’ स्टाइल के वीडियो में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के भाजपा के 20 विधायकों को तोड़कर कांग्रेस के साथ मिलकर प्रदेश में सरकार बनाने की बात कही गई है। इससे उत्तराखंड की राजनीति में एक हलचल सी उत्पन्न हो गई है। हालांकि इसे भाजपा और स्वयं त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निराधार और फर्जी बताया है। जबकि कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार है। बहरहाल आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि ऐसी खबरें किस आधार पर उड़ीं।
शुक्रवार शाम को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि ऐसी खबरें फर्जी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे वीडियो को नहीं देखा और न ही इस प्रकार की अफवाहों को गंभीरता से लिया जाता है। भाजपा को प्रदेश में खड़ा करने वाले में त्रिवेंद्र सिंह रावत भी एक है। इसलिए यह पूरी तरह से बकवास है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता त्रिवेंद्र का 20 विधायकों के साथ मिलकर कांग्रेस की सरकार बनाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह ने भी इस वीडियो को विरोधियों की साजिश बताया है।
गौरतलब है कि इससे पूर्व शुक्रवार को ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी कहा कि वह संघ के सच्चे सिपाही हैं। भाजपा ने उनको प्रदेश की जिम्मेदारी दी थी तो उन्होंने इसका पूरी ईमानदारी से निर्वहन किया। जीरो टॉलरेंस की मुहिम को लेकर सरकार चलाई और भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाया। उन्होंने जनकल्याणकारी योजनाओं को प्राथमिकता दी। वह हमेशा भाजपा की सेवा करते रहेंगे। उनको सत्ता की कुर्सी का कभी लोभ नहीं रहा। पार्टी आगे भी जो आदेश करेगी, वह उसी का पालन करेंगे।
उन्होंने कहा कि विधायकों को तोड़कर सरकार बनाने के फालतू मैसेज से बेहद आहत हैं और उनको मानसिक कष्ट हुआ है। उन्होंने कहा कि यह वीडियो मनगढ़ंत है। वह भाजपा की सेवा में है और हमेशा अपनी पार्टी की सेवा करते रहेंगे। इस मामले में कार्रवाई करने पर भी विचार कर रहे हैं। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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नवीन समाचार, देहरादून, 13 मई 2021। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत का दार्शनिक अंदाज सामने आया हैं। इसका खुलासा आज स्वयं करते हुए उन्होंने कहा, कोरोना वायरस भी एक प्राणी है। उसे भी जीने का अधिकार है। वह भी चलता रहे और हम भी चलते रहें। बस हमें अपनी चाल तेज करनी होगी…।
एक समाचार चैनल से कोरोना संकट के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने यह नया खुलासा किया। बोले, मैं अपना इलाज कराकर दिल्ली से लौटा तो मीडिया से उन्होंने एक दार्शनिक बात की। ‘मैंने कहा कि ये एक दार्शनिक बात है। ये कोरोना वायरस भी एक प्राणी है। हम भी एक प्राणी है। हम अपने आप को ज्यादा बुद्धिमान समझते हैं। उसे भी जीने का अधिकार है। हम लोग उसके पीछे पड़ गए तो वह बहुरूपिया हो गया है। रोज रूप बदल रहा है। मैं दार्शनिक बात करता हूं कि कोरोना वायरस को भी जीने का अधिकार है। हमें इससे दूरी बनाकर चलना होगा। उसका भी जीवन है। वो भी अपने जीने के लिए तमाम रूप बदल रहा है। ये दार्शनिक पक्ष है कि वह भी चले और हम भी चलते रहें। हां, हमें अपनी चाल तेज करनी होगी। ताकि हम कोरोना वायरस से आगे निकल जाएं…। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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-त्रिवेंद्र रावत की पांच गलतियां, जिस कारण इतिहास रचने से पहले गंवाना पड़ा पद
डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 09 मार्च 2021। पंडित नारायण दत्त तिवारी के बाद पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर इतिहास रचने की उम्मीद कर रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी सरकार के चार वर्ष के कार्यकाल का जश्न भी नहीं मना पाए और इससे नौ दिन पहले ही उन्हें मंगलवार 9 मार्च को राज्यपाल बेबी रानी मौर्या को शाम सवा चार बजे अपना इस्तीफा सोंपना पड़ा। उनके कार्यकाल में उनकी पार्टी भाजपा ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, निकाय चुनाव व उप चुनाव में राज्य के पिछले किसी भी मुख्यमंत्री से बेहतर प्रदर्शन किया था। कार्य करने के लिए उन्हें अब तक के किसी भी मुख्यमंत्री से बेहतर स्थितियां भी मिलीं थीं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही पूर्व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की उन पर छत्रछाया थी। अमित शाह तो उन्हें देहरादून में सार्वजनिक तौर पर अपना मित्र कह चुके थे। सो चार वर्ष पहले दो व अब तीन मंत्रियों के बिना चलाने के बावजूद किसी विधायक या मंत्री में छिटपुट के अलावा सीधे तौर पर उनका खुला विरोध करने का साहस नहीं था। मोदी राज में देश के सर्वाधिक राज्यों में भाजपा के सत्तासीन होने के बावजूद पिछले छह वर्षों में किसी भी मुख्यमंत्री को न बदले जाने का भाजपा का रिकॉर्ड भी उनके पक्ष में था। फिर भी ऐसा क्या हुआ कि उन्हें केवल तीन दिन के राजनीतिक घटनाक्रम के बाद इस्तीफा देना पड़ गया। त्रिवेंद्र ने इसका कारण पूछे जाने पर कहा कि इस सवाल का जवाब जानने के लिए पत्रकारों को दिल्ली जाना पड़ेगा। लेकिन यहां हम इसी प्रश्न की पड़ताल करने का प्रयास कर रहे हैं।
1. त्रिवेंद्र रावत के इस्तीफा देने की तात्कालिक वजहों में विधायकों व मंत्रियों की नाराजगी रही है। वह लोनिवि, स्वास्थ्य, वित्त, पेयजल सहित करीब 50 प्रमुख विभाग अपने पास रखे रहे। इस कारण विभागीय कार्यों की स्वीकृति में काफी समय लग रहा था, वहीं काबिल विधायक मंत्री पद से वंचित रखे गए। संदेश यह गया कि त्रिवेंद्र सब कुछ अपनी जेब में रखना चाहते हैं और विधायकों पर भरोसा नहीं करते।
2. त्रिवेंद्र रावत की विदाई के बीच गैरसेंण में चल रहा बजट सत्र भी दो वजहों से रहा। पहला-इस दौरान सड़क के चौड़ीकरण की मांग कर रहे ग्रामीणों व महिलाओं पर लाठीचार्ज, जिस पर प्रधानमंत्री ने भी नाखुशी जाहिर की। साथ ही इस दौरान गैरसेंण को बिना किसी मांग के राज्य की तीसरी कमिश्नरी घोषित करना, जिसका भाजपा विधायकों के साथ ही पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व नैनीताल सांसद अजय भट्ट ने खुल कर विरोध भी किया था। जनता भी इस मामले में विरोध में मुखर हो गई थी।
3. पार्टी विधायकों पर अधिकारियों को तरजीह देना भी त्रिवेंद्र रावत की बड़ी कमजोरी रहे। कई जगह त्रिवेंद्र अपने विधायकों की जगह जिला अधिकारियों को ‘लोकप्रिय जिलाधिकारी’ कहते सुने गए। इससे भी विधायकों में नाराजगी थी।
4. राजनीतिक पंडितों व विश्लेषकों की मानें तो त्रिवेंद्र राजनीतिक कौशल के तो माहिर थे लेकिन समय-समय पर छोटी-छोटी बातों पर भड़क उठना उनकी कमजोरी थी। इसकी पहली तस्वीर तब दिखी जब उन्होंने अपनी शिकायत लेकर पहुंची एक महिला शिक्षिका को कार्यक्रम से बाहर करवा दिया था।
5. आज भले इस्तीफा देते हुए त्रिवेंद्र रावत खुद को एक छोटे से गांव और पूर्व सैनिक के घर से आया सामान्य व्यक्ति बता रहे हों, परंतु मुख्यमंत्री पद पर रहते संभवतया उनके भीतर का यह सामान्य व्यक्ति लगता था कि कहीं गायब हो गया था। पत्रकारों को वह सवालों के जवाब देने की जगह उनसे ही प्रश्न पूछने लगते थे। आज भी उन्होंने उनके इस्तीफे के कारण का सवाल पूछने पर कहा, ‘इसके लिए दिल्ली जाना पड़ेगा।’ उनके कार्यकाल में पत्रकार उत्पीड़न की भी कई घटनाएं हुईं। विधायकों के लिए भी उनसे कार्य करवाना आसान नहीं था।
6-इधर 10 मार्च को झारखंड से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले का फैसला भी संभावित है। माना जा रहा है कि यह फैसला प्रदेश के ‘जीरो टॉलरेंस’ की सरकार चलाने का दावा कर रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के लिए गैरमुफीद हो सकता था। यह भी उनकी विदाई का एक कारण माना जा रहा है।
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-मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की योजना की शुरुआत, 26 करोड़ रुपए की सूखाताल पुर्नजीवन योजना सहित दो योजनाओं का शिलान्यास व पांच योजनाओं का लोकार्पण भी किया
-नगर में पार्किंग सुविधा तिगुनी करने की घोषणा की, महिलाओं के सिर से चारे का बोझ हटाने का जताया संकल्प
नवीन समाचार, नैनीताल, 27 फरवरी 2021। नैनीताल नगर में अब घरों की पहचान घर की बड़ी बेटी के नाम से होगी। नगर के करीब आठ हजार चयनित घरों में बकायदा घर की बड़ी बेटी के नाम की, राज्य की पारंपरिक लोक कला ऐपण से सजी नाम पट्टिका-तख्ती भी लगी होगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को मुख्यालय में ‘घरैकि पहचाण-चेलिक नाम’ योजना का शुभारंभ किया और इसे महिला सशक्तीकरण की अन्य योजनाओं से जोड़ते हुए कहा कि उनकी सरकार महिलाओं को पूरी तरह से सशक्त करने की पक्षधर है। इसी हेतु सरकार शीघ्र शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में महिलाओं को घर के पुरुषों की संपत्ति में अधिकार दिलाने के लिए कानून लाने जा रही है। साथ ही सरकार शुक्रवार को मुख्यमंत्री घसियारी योजना भी लाई है, जिसके जरिये सरकार का लक्ष्य महिलाओं के सिर से चारे का बोझ हटाना है, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्जवला योजना के जरिये महिलाओं के सिर से ईधन की लकड़ी का बोझ हटाया है।
श्री रावत ने शनिवार को पर्यटक आवास गृह सूखाताल में आयोजित एक कार्यक्रम में इस योजना के साथ ही 26 करोड़ रुपए की सूखाताल पुर्नजीवन योजना सहित दो योजनाओं का शिलान्यास एवं पांच योजनाओं का लोकार्पण भी किया। उन्होंने बताया कि सूखाताल अब सूखा ताल नहीं रहेगा बल्कि यह प्राकृतिक झील, पाथ वे, एक्सलेटर, लिफ्ट, ओपन एयर थियेटर प क्राफ्ट सेंटर जैसी सुविधाओं युक्त पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा। इस मौके पर उन्होंने मुख्यालय में मौजूदा 450 वाहनों की पार्किंग सुविधा को तीन गुना करने की बात भी कही और इसके लिए भवाली में 300, जिला कलक्ट्रेट में 400 वाहनों की बहुमंजिला और फांसी गधेरा में 100 वाहनों की पार्किंग बनाने की घोषणा भी की। महिला सशक्तीकरण के अपने लक्ष्य को आगे बढ़ते हुए उन्होंने राज्य में महिलाओं का घस्यारी योजना के तहत चारा लेने के दौरान होने वाली महिलाओं की अकाल मृत्यु व अंगभंग की घटनाओं को रोकने के लिए 7500 सरकारी स्टोरों के माध्यम से हरा चारा उपलब्ध कराने, महिलाओं के समय एवं श्रम को बेहतर कार्यों में लगाने, उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने, राज्य के 32 हजार महिला समूहों को 5 लाख रुपए के ब्याज मुक्त ऋण देने की योजनाओं की जानकारी भी दी। पहली दक्षिता रावत के नाम की नाम पट्टिका उनकी मां नीरू रावत को प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि दक्षिता सूखाताल निवासी उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दिनेश चंद्र सिंह रावत की पुत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता गोपाल रावत की भतीजी हैं।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री का पारंपरिक कुमाउनी परिधानों में सजी महिलाओं ने तिलक लगाकर और छोलिया नर्तकों ने नृत्य प्रस्तुत कर मुख्यमंत्री रावत का स्वागत किया। वहीं अपने संबोधन में विधायक संजीव आर्य ने आज शुरू हो रही योजनाओं के साथ ही अगले ढाई माह में नगर के लिए केंद्र सरकार से स्वीकृत 108 करोड़ रुपए की सीवर ट्रीटमेंट प्लांट योजना का शुभारंभ करने की जानकारी भी दी। साथ ही बताया कि 6.5 करोड़ रुपए से सातताल में प्रदेश का 14वां टूरिज्म टेस्टिनेशन एवं नैनीताल में ओपन एयर थियेटर आदि का निर्माण भी किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान उत्तराखंड उच्च न्यायालय परिसर में प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश से भी मुलाकात की। इस मौके पर रामनगर के विधायक दीवान बिष्ट, भीमताल के विधायक राम सिंह कैड़ा, केएमवीएन के अध्यक्ष केदार जोशी, मंडलायुक्त अरविंद सिंह ह्यांकी, डीएम धीराज गर्ब्याल, पूर्व विधायक डा. शेलेंद्र मोहन सिंघल, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, केएमवीएन की उपाध्यक्ष रेणु अधिकारी, निदेशक कुंदन बिष्ट, एमडी रोहित मीणा, जीएम अशोक जोशी सहित मनोज साह, संजय वर्मा, गोपाल रावत, आनंद बिष्ट, शांति मेहरा, मारुति नंदन साह, अतुल पाल, विश्वकेतु वैद्य, प्रकाश रावत व रुचिर साह सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता एवं अन्य लोग मौजूद रहे।
फिर कुमाउनी में बोले सांसद-बोले विकास से विपक्षियों की नींद उड़ी
नैनीताल। संसद में भी राज्य की कुमाउनी व गढ़वाली लोकभाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने का बिल ला चुके नैनीताल के सांसद अजय भट्ट ने कार्यक्रम में अपना संबोधन कुमाउनी में दिया। उन्होंने स्थानीय विधायक के लिए ‘गोरुक बाछ’ व ‘काकड़क फुल्यूड़’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया। साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के नेतृत्व में राज्य सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त विकास कार्यों को देकर विपक्षियों की नींद उड़ गई है। उन्हें सपनों में भी रावत ही नजर आ रहे हैं। उन्होंने महिलाओं से कहा कि वह अब प्रदेश सरकार के कानून के जरिए अपनी ससुराल के साथ ही मायके में अपना हक ले सकती हैं।
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नवीन समाचार, हल्द्वानी, 25 फरवरी 2021। शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत जनपद के भ्रमण पर आ रहे हैं। डीएम धीराज सिह गर्ब्याल ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री रावत 27 फरवरी शनिवार को प्रातः 10ः25 बजे जीटीसी हैलीपेड देहरादून से प्रस्थान कर 11.30 बजे आर्मी हैलीपेड कैलाखान नैनीताल पहुचेंगे और यहां से टीआरएच सूखाताल परिसर में जनपद नैनीताल की विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास करेंगे। आगे वह 1.40 बजे राज्य अतिथि गृह नैनीताल क्लब पहुचेंगे और अपराह्न 3 बजे यहां से कैची धाम में बाबा नीब करौरी के आश्रम के दर्शन करते हुये शाम साढ़े पांच बजे वन विश्राम गृह रानीखेत पहुचेंगे तथा रात्रि विश्राम वन विश्राम गृह रानीखेत में करेंगे।
‘घर की पहचान बेटी के नाम’ योजना का शुभारंभ करेंगे सीएम
नैनीताल। नैनीताल शहर में प्रदेश के मुख्यमंत्री शनिवार को जिला मुख्यालय में ‘घर की पहचान बेटी के नाम’ अभिनव योजना का शुभारंभ भी करेंगे। विधायक संजीव आर्य ने बताया कि इस अभिनव योजना के तहत नैनीताल में घरों के बाहरघर की बेटी के नाम की ‘नेम प्लेट’ लगेगी। नेम प्लेट का निर्माण में प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक प्रमुख लोक कला ऐपण को भी शामिल किया जाएगा। विधायक आर्य ने कहा कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एवं मेरी बेटी मेरा स्वाभिमान के संकल्प के साथ इस योजना के लिए भी नगर वासियों का सहयोग अपेक्षित है।
मुख्यमंत्री के आने पर लगने लगे सड़कों पर टल्ले, सभासद ने लिखा 11 बिंदुओं का पत्र
नैनीताल। मुख्यमंत्री के शनिवार को नैनीताल आगमन पर लोक निर्माण विभाग ने शुक्रवार को सड़कों पर पड़े गड्ढों में डामर से टल्लेमारी की। खासकर मुख्यमंत्री चूंकि सूखाताल आने वाले हैं तो वहां के गड्ढे भरे गए। इधर नगर के अयारपाटा वार्ड के सभासद ने मुख्यमंत्री को कल सोंपने के लिए 11 बिंदुओं वाला पत्र तैयार किया है, जिसमंे सड़कों की आज की गई टल्लेमारी के साथ ही नगर के अयारपाटा वार्ड में पानी न आने सहित अन्य समस्याओं को शामिल किया गया है।
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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 29 अक्टूबर 2020। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के आरोप में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआइ जांच का आदेश देने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तराखंड राज्य की याचिका पर नोटिस भी जारी किया है। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर सीबीआइ को जांच का आदेश देने के उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मुख्यमंत्री रावत सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे थे। इसके अलावा उत्तराखंड सरकार ने भी विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। इस आदेश के बाद मुख्यमंत्री के खिलाफ उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह सीएम रावत के लिए बड़ी राहत की खबर है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गत 27 अक्टूबर को पत्रकार उमेश जे शर्मा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाले सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो के संबंध में दर्ज मामला रद्द कर दिया था। सोशल मीडिया पर डाले गए वीडियो के संबंध में सेवानिवृत प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने उमेश शर्मा के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। उच्च न्यायालय ने आदेश में इस एफआइआर को रद्द करने के साथ ही सीबीआइ को पत्रकार की याचिका में लगाए गए आरोपों के आधार पर मामला दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया था।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत बोले-आरोप फर्जी और आधारहीन
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। रावत ने उच्च न्यायालय के आदेश का विरोध करते हुए याचिका में कहा कि वह प्रदेश के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं और राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस विवाद में बेवजह उनका नाम घसीटा गया है। उमेश शर्मा की उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में उनके खिलाफ किसी भी तरह की जांच या सीबीआइ जांच की मांग नहीं की गई थी। याचिका में उमेश ने सिर्फ यह मांग की थी कि उसके खिलाफ देहरादून में दर्ज एफआइआर 0265/2020 रद्द की जाए। पर उच्च न्यायालय ने अप्रत्याशित तरीके से उस याचिका पर फैसला सुनाते हुए न सिर्फ उमेश के खिलाफ दर्ज एफआइआर रद्द की, बल्कि बिना उनका पक्ष सुने उनके (त्रिवेंद्र सिंह रावत के) खिलाफ सीबीआइ को भ्रष्टाचार के आरोपों में एफआइआर दर्ज कर जांच करने का भी आदेश दे दिया जो गलत और आधारहीन है। जो आरोप लगाये गए हैं वे पहली निगाह में फर्जी और आधारहीन हैं।
यह है पूरा मामला
दरअसल, सेवानिवृत प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने देहरादून के राजपुर थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग, दस्तावेजों की कूट रचना और गलत तरीके से बैंक खातों की जानकारी हासिल करने का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि उमेश ने सोशल मीडिया पर वीडियो डाला था। इसमें प्रोफेसर रावत और की पत्नी सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड के अमृतेश चौहान द्वारा 25 लाख रुपये जमा करने की बात थी। साथ ही 25 लाख की यह रकम त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने को कहा गया। वीडियो में सविता रावत को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सगी बहन बताया गया था। प्रोफेसर रावत के अनुसार, सभी तथ्य झूठे थे, और उमेश ने फर्जीवाड़ा कर उनके बैंक के कागजात बनवाए। बैंक खाते की सूचना भी गैरकानूनी तरीके से प्राप्त की। उमेश शर्मा ने यह मुकदमा रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर उच्च न्यायालय ने फैसला दिया। उसी के खिलाफ सर्वाेच्च न्यायालय में मुख्यमंत्री और राज्य सरकार पहुंची।
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-कोर्ट ने दिये पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी को समाप्त करने के भी आदेश
नवीन समाचार, नैनीताल, 27 अक्टूबर 2020। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित पत्रकार उमेश शर्मा और अन्य के खिलाफ दायर राजद्रोह मामले में प्रदेश की त्रिवेंद्र रावत सरकार द्वारा दर्ज प्राथमिकी को समाप्त करने तथा उनके द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर लगाए गए आरोपों के पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने और प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश जारी किए हैं। उच्च न्यायालय के इस आदेश के प्रदेश की राजनीति पर भी प्रभाव पड़ने की संभावना है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने पत्रकार उमेश शर्मा और अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ एक खबर चलाए जाने को लेकर उनके ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 469, 471 और 120बी सहित आदि गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
उल्लेखनीय है कि एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत ने 31 जुलाई को देहरादून थाने में उमेश शर्मा के खिलाफ ब्लैकमेलिंग सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने उमेश शर्मा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने सोशल मीडिया में खबर चलाई थी कि प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी डॉ. सविता रावत के खाते में नोटबंदी के दौरान झारखंड से अमृतेश चौहान ने पैसे जमा किए। इस पैसे को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देने को कहा। वीडियो में डॉ. सविता रावत को मुख्यमंत्री की पत्नी की सगी बहन बताया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार, ये सभी तथ्य असत्य थे, और उमेश शर्मा ने बैंक के खातों की जानकारी और जिन कागजात की बात कही थी, उन बैंक खातों की सूचना गैरकानूनी तरीके से प्राप्त की गई थी। इस पर रवींद्र मैठाणी की एकल पीठ के फैसले में लिखा है कि इस याचिका में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह राज्य के हित में होगा कि इस बारे में सच्चाई सबके सामने आए। सीबीआई पूरे मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू करे, ताकि आरोपों की जांच करके सच्चाई की तह तक पहुंचा जा सके। इसके साथ ही एकल पीठ ने मामले से संबंधित सभी फाइलें और दस्तावेज दो दिन के अंदर देहरादून में सीबीआई अधीक्षक के दफ्तर में ईमेल और हार्ड कॉपी यानी पेपर बुक की शक्ल में सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं।
उधर, पत्रकार उमेश शर्मा द्वारा चलाई गई संबंधित खबर के अनुसार नोटबंदी के दौरान अघोषित आय की बड़ी रकम त्रिवेंद्र सिंह रावत की साली सविता रावत और साढ़ू प्रोफेसर हरेंद्र सिंह रावत के विभिन्न बैंक खातों में जमा की गई थी। अलबत्ता, देहरादून पुलिस ने जांच रिपोर्ट मंे कहा था कि हरेंद्र और त्रिवेंद्र आपस में कोई रिश्तेदार नहीं हैं। सविता रावत भी त्रिवेंद्र सिंह रावत की पत्नी की सगी बहन नहीं हैं। लेकिन झारखंड और उत्तराखंड के बैंक खातों और अन्य दस्तावेजों से यह खुलासा हुआ कि सभी आरोपी आपस में करीबी रिश्तेदार हैं।
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-अब त्रिवेंद्र सरकार का ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के चहुंमुखी विकास पर फोकस
दधिबल यादव @ नवीन समाचार, देहरादून, 19अगस्त 2020। उत्तराखंड में इन दिनों कोरोना (कोविड-19) का असर तेजी से बढ़ रहा है, हालांकि पहले से ही सजग सरकार के चलते लोग स्वस्थ भी हो रहे हैं और इस महामारी से राज्य में मृत्यु दर औसत से बेहतर है। इसके चलते देश और दुनिया की तरह उत्तराखंड में भी व्यावसायिक गतिविधियां बहुत प्रभावित हुई हैं और राज्य के खजाने पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। बड़ी संख्या में प्रवासी भी देश के दूसरे हिस्सों से लौटे हैं, जिससे उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने का सरकार पर दबाव बढ़ा है। पर्वतीय राज्य होने के चलते वर्षा काल में भू-स्खलन और अन्य प्राकृतिक चुनौतियां भी जस की तस हैं। इस साल कांवड़ यात्रा नहीं हुई, चार धाम यात्रा भी तमाम बंदिशों के साथ नाम-मात्र की हो रही है। अगले साल हरिद्वार कुंभ मेला प्रस्तावित है लेकिन उस पर भी कोरोना के बादल मंडरा रहे हैं। इन्हीं सब मुद्दों पर राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से खास बातचीत के मुख्य अंशः
- प्रदेश में कोरोना की टेस्टिंग बढ़ने के साथ ही पॉजिटिव मामले बढ़ने लगे हैं। इस स्थिति से निपटने की क्या तैयारी है?
- कोरोना काल में बड़ी संख्या में प्रवासी लौटे हैं। इनके लिए मनरेगा एकमात्र तात्कालिक रोजगार का माध्यम है। दीर्घ काल के लिए सरकार क्या सोच रही है ? उनके लिए स्वरोजगार योजना शुरू की गई है। इसके परिणाम कब तक सामने आएंगे ?
- चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मुद्दे पर सरकार के स्टैंड को हाईकोर्ट ने उचित ठहराया है। अब आगे क्या योजना है ? तीर्थ पुरोहित सरकार के रवैए से नाराज हैं। उनकी नाराजगी कैसे दूर करेंगे ?
- वन्यजीवों के कारण पहाड़ों में खेती करना असंभव सा हो गया है। इस हालत में किसानों को राहत पहुंचाने और 2022 तक उनकी आय दोगुनी करने के लिए क्या खाका है ?
- अगले साल के आरंभ में हरिद्वार महाकुंभ होना है। कोरोना की वजह से तैयारियां प्रभावित हुई हैं। आप इसे किस तरह समय पर करवाने की सोचते हैं?
- गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी का मास्टर स्ट्रोक आप खेल चुके हैं। इसे आगे कैसे बढ़ाएंगे? वहां अभी बहुत काम होने हैं और हरीश रावत इसे भुनाने का प्रयास कर रहे हैं?
- आपदाओं का उत्तराखंड के साथ चोली दामन का साथ हो गया है, इससे होने वाली क्षति को न्यूनतम करने के लिए आपकी क्या योजना है ?
- चार धाम ऑल वेदर रोड योजना लक्ष्य के अनुसार समय पर पूरी होने में लगातार देरी हो रही है।
- कर्णप्रयाग रेल लाइन के बाद कुमाऊं में टनकपुर-बागेश्वर रेल लाइन की मांग पर आप केंद्र से इस बाबत आग्रह करेंगे?
- उत्तराखंड में सेब का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है लेकिन अब तक उसकी पहचान स्थापित नहीं हो पाई है। आप इसका क्या कारण मानते हैं ?
- कर्मचारियों के एक वर्ग की हमेशा नाराजगी रही है। कोरोना के कारण आंदोलन थमा है, वरना उत्तराखंड में आंदोलन होते रहे। इससे उत्पादकता कितनी प्रभावित होती है?
- विधायकों के धरने की हाल में कुछ घटनाएं हुई हैं। उन्हें आप किस तरह देखते हैं?
- मंत्रिमंडल में रिक्त पदों को भरने की चर्चा होती है। विधायकों की भी उम्मीद है। इस पर कब तक अमल होने की उम्मीद की जा सकती है?
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नवीन समाचार, नई दिल्ली, 7 मई 2020। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को लेकर सोशल मीडिया में झूठी और भ्रामक पोस्ट डालने वाले 6 लोगों के खिलाफ देहरादून के कैंट पुलिस ने नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया है। भारतीय जनता पार्टी के महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट की तहरीर पर पुलिस ने गंभीर धाराओं में यह मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है। बताया गया है कि छह लोगों-पंकज ढौंडियाल, नरेंद्र मेहता, नवीन भट्ट, शरद कैंतुरा, कुलदीप पंवार व कमल सिंह नेगी के नाम प्रकाश में आये हैं।
एसएसपी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी। पुलिस ने सोशल मीडिया में किसी भी तरह की झूठी और गलत अफवाह वाली सूचना प्रसारित न करने की चेतावनी दी है। उत्तराखंड के पुलिस डीजी लॉ ऐंड ऑर्डर अशोक कुमार ने कहा कि सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 27 फरवरी 2020। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस की लालटेन रैली को सफल बताया। कहा कि कांग्रेसियों को अब तक हरीश रावत नहीं मिल रहे थे, पर इस रैली में लालटेन से ढूंढने पर हरीश रावत आखिर मिल गए। वहीं राज्य में कांग्रेस के विकास ढूंढने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार आगामी 18 मार्च को अपना साढ़े तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के मौके पर राज्य की सभी विधानसभाओं में कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है।
बृहस्पतिवार को नैनीताल में जल संरक्षण पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान श्री रावत ने कहा कि राजस्थान में उत्तराखंड के ऐतिहासिक व विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन से भी 300 वर्ष पहले जल संरक्षण को लेकर ऐतिहासिक आंदोलन हुआ था। माना जा रहा है कि ऐसा उन्होंने राजस्थान से आने वाले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को खुश करने के लिए कहा होगा। रावत ने दावा किया कि 300 वर्ष पूर्व राजस्थान में महिलाओं ने तत्कालीन राजा के विरुद्ध जल संरक्षण के लिए संघर्ष किया था। उन्होंने कहा कि सभी लोग बोलते हैं कि गौरा देवी के चिपको आंदोलन की शुरुवात उत्तराखण्ड से हुई, जबकि सच्चाई ये है कि 300 वर्ष पहले इसकी शुरुवात राजस्थान से हुई थी। उस आंदोलन में 367 बलिदान हुए थे, जब राजशाही के पेड़ काटने के खिलाफ महिलाएं पेड़ों से लिपट गई थी और उन्होंने अपना बलिदान दिया था। मुख्यमंत्री रावत ने उत्तराखंड के विश्व भर में चिपको आंदोलन से जुड़ी प्रसिद्ध को झुठलाते हुए कहा कि चिपको आंदोलन की शुरुआत वास्तव में 18वीं शताब्दी में राजस्थान के जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव से हुई थी। वहां तत्कालीन राजा ने पेड़ों को काटने के आदेश जारी कर दिए थे। इसके बाद भारी संख्या में विश्नोई समाज के लोग पेड़ों से चिपक गए। इस आंदोलन के बाद महाराजा को अपना आदेश वापिस लेना पड़ा था।
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नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 15 फरवरी 2020। अपने ट्विटर अकाउंट @harishrawatcmuk पर अब भी स्वयं को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में जारी रखे हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने ताजा ट्वीट में उत्तराखंड के राजनीतिक अस्थिरता में जाने की बात कही है। उनके इस ट्वीट से सतही तौर पर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदले जाने की चर्चाओं को और भी हवा मिली है। स्वयं मुख्यमंत्री रावत को उनके इस ट्वीट पर जवाब देना पड़ा है। मुख्यमंत्री रावत ने शनिवार को काठगोदाम स्थित राज्य अतिथि गृह सर्किट हाउस में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर इसका जवाब भी दिया।
कहा कि हरीश रावत विपक्ष के बड़े नेता हैं। वह इस तरह के बयान देकर अपना धर्म निभा रहे हैं। हो सकता है कि वह दिल्ली चुनाव में अपनी कांग्रेस पार्टी की हालत देखकर ऐसा कह रहे हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरीश रावत को यह समझना चाहिए कि दिल्ली में भाजपा का वोट प्रतिशत और सीटें बढ़ी हैं जबकि कांग्रेस की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। इसके बाद भी हरीश रावत जिस तरीके के ट्वीट और बयान दे रहे हैं, उससे उनकी मानसिकता को आसानी से समझा जा सकता है। हरीश रावत अपनी पार्टी की फिक्र करे, हम तो और बेहतर हुए हैं, यह सभी को मालूम है।
लेकिन भले सतही तौर पर लगे कि हरीश रावत के ट्वीट के निशाने पर त्रिवेंद्र रावत हैं। लेकिन राजनीतिक पंडितों की मानें तो ऐसा नहीं, बल्कि इसके ठीक उलट है। दरअसल हरीश त्रिवेंद्र पर नहीं, बल्कि उन सतपाल महाराज पर निसाना साध रहे थे, जिन्हें त्रिवेंद्र रावत के स्थानग्राही के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि हरीश को त्रिवेंद्र से उतनी शिकायत नहीं है, जितनी सतपाल से चिढ़ है, जो कभी उनकी (हरीश की) पार्टी में रहे हैं, और उनसे बगावत कर कांग्रेस में आ गए। यदि सतपाल मुख्यमंत्री बनते हैं तो वे भी हरीश के समतुल्य हो जाएंगे, जो हरीश को कभी गंवारा नहीं होगा।
दूसरी ओर त्रिवेंद्र, हरीश के पिछले विधान सभा चुनाव में दिये गए नारे ‘फिर रावत सरकार’ को अलग अर्थों में साकार कर चुके हैं। हरीश की ‘आम’ पार्टी में आमों का रस लेने आ जाते हैं। उनके द्वारा की गई छठ पूजा की छुट्टी को बरकरार रखे हुए हैं। हरीश की कई योजनाओं को भी जारी रखे हुए हैं। हां, यह जरूर है कि यहाँ पिछली ‘रावत-रावत सरकार’ जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें सत्ता दो रावतों के हाथ में केंद्रित थी।
अब बात त्रिवेंद्र रावत को बदले जाने की चर्चाओं पर। क्यों त्रिवेंद्र रावत को बदले जाने की जरूरत है ? त्रिवेंद्र रावत की सरकार पर सबसे बड़ी जनधारणागत छवि बनी है कि ‘जीरो टॉलरेंस’ व केंद्र की मोदी सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ की पटरियों पर चलती सरकार में काम बिना ‘जुगाड़’ या सिफारिश लगाए हो जा रहे हैं। यानी भ्रष्टाचार कम हुआ है। किंतु विरोधी इसी से जोड़ते हुए पूछते हैं, जब सरकार में कोई काम नहीं हो रहे हैं तो कहां से होगा भ्रष्टाचार। यानी सरकार की दूसरी छवि काम ही न करने वाली सरकार की भी बनी है, पर कोई साफ तौर पर यह बताने की स्थिति में नहीं है कि कौन से काम नहीं हो रहे हैं। यह प्रश्न फिर भी आम जन के मन-मस्तिष्क में इसलिए आया है कि उनकी तुलना उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों से होती है, जिनका दिन हेलीकॉप्टरों में ही गुजरता था। जबकि त्रिवेंद्र कई बार आम लोगों की तरह रेलगाड़ी में आकर काम निपटाकर रेलगाड़ी से ही वापस लौट जाते हैं। उनकी सरकार में नौकरियां जरूर नहीं या कम निकली हैं, लेकिन जो नियुक्तियां हुई हैं, वे यथासंभव ईमानदारी से हुई हैं। कर्मचारियों को समय पर वेतन मिल रहा है। अधिकारी लंबे समय से एक स्थान पर टिके हैं, उन्हें कच्चे कानों से सुनी बातों पर अचानक बदला नहीं जा रहा है। हां, अनुशासन बढ़ा है, जिससे कर्मचारियों के समक्ष समय पर कार्यालय आने और समय से पहले घर न लौटने की समस्या भी बढ़ी है। ऊपरी आय घट गई है। ऐसा करने वाले कई अधिकारी भी जेल चले गए हैं।
राजनीतिक तौर पर भी त्रिवेंद्र उत्तराख्ंाड के अब तक के सबसे सफल मुख्यमंत्री साबित हुए हैं। अपने कार्यकाल में पांचों सांसदों को जिताने वाले वे उत्तराखंड के इकलौते मुख्यमंत्री हैं। त्रिस्तरीय पंचायतों एवं नगर निकाय के चुनावों में भी उनकी पार्टी ने उनके मुख्यमंत्रित्व काल में अच्छी जीत हासिल की है। इसके साथ ही त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री पद पर अपनी पार्टी की मजबूरी भी माने जा रहे हैं। खासकर तब, जबकि कुमाऊं मंडल के ब्राह्मण नेता बंशीधर भगत पार्टी के अध्यक्ष हैं तो जिस आधार पर भगत को यह पद मिला है, उस आधार पर त्रिवेंद्र भाजपा की मजबूरी हैं। भाजपा यदि उन्हें बदलती भी है तो उसे गढ़वाल के किसी प्रभावी व पूरे प्रदेश में प्रभाव रखने वाले क्षत्रिय नेता की जरूरत होगी। इसी आधार पर सतपाल महाराज का नाम उभरा है। सवाल उठता है कि कांग्रेस पृष्ठभूमि से मात्र तीन-साढ़े तीन वर्ष पूर्व भाजपा में आए सतपाल को भाजपा व संघ पृष्ठभूमि से जुड़े नेता व कार्यकर्ता पचा लेंगे ? सतपाल के बाद भी गढ़वाल मंडल में कोई दूसरे क्षत्रिय नेता नजर नहीं आते जो मुख्यमंत्री पद के लिए सर्वमान्य हों।
हरीश रावत का ट्वीट:
दिल्ली के चुनाव और उत्तराखंड में मची हलचल, एक बात का स्पष्ट संकेत दे रही है कि, उत्तराखण्ड फिर राजनैतिक अस्थिरता की तरफ जा रहा है। भाजपा उत्तराखण्ड में राजनैतिक अस्थिरता पैदा करने के लिए अपराधिक स्तर तक दोषी है। राज्य के जन्म के साथ ही, भाजपा ने उत्तराखण्ड में अस्थिरता को जन्म दिया। ऐसा लगता है, अस्थिरता की लत भाजपा को इतनी गहरी लग चुकी है कि, वो छूटे नहीं छूट रही है।
यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री के एक ट्वीट से छेड़छाड़ पर मुकदमा दर्ज करने के आदेश
नवीन समाचार, देहरादून, 23 जनवरी 2020। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक ट्वीट से छेड़छाड़ का मामला प्रकाश में आया है। ट्वीट से छेड़छाड़ का यह मामला संज्ञान में आने के बाद सीएम रावत ने कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने डीआईजी अरुण मोहन जोशी को जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। जबकि डीआईजी ने इस मामले में कैंट कोतवाली पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के साथ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दे दिए है।
हुआ यह है कि मुख्यमंत्री रावत ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर एक ट्वीट कर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को जन्म दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित किये थे, जिसकी जगह एडिट कर अभद्र एवं अशुद्ध शब्दों का प्रयोग करके मुख्यमंत्री एवं सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास करते हुए सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया है। डीआईजी जोशी ने कहा कि ट्वीट में छेड़छाड़ का यह गंभीर मामला है। विश्वास जताया कि साजिश में शामिल लोगों का जल्द पता लगा लिया जाएगा।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 12 जनवरी 2020। रविवार को युवा दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ‘उत्तराखंड यंग लीडर्स कॉन्क्लेव’ के तहत प्रदेश भर के युवाओं से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संवाद किया। इस दौरान जिला कलक्ट्रेट से कुमाऊं विवि के एमबीए रूरल डेवलपमेंट एंड एंटरप्रिनियोरशिव व बीकॉम ऑनर्स के 14 विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री से सीधा संवाद करने का मौका मिला।
इस दौरान छात्रा श्रृंजना त्रिपाठी ने स्वयं अपने पाठ्यक्रम के तहत पटवाडांगर के निकटवर्ती गांव आड़ूखान में फील्ड वर्क के तहत गांव में किये जा रहे सर्वे एवं वहां होम स्टे सुविधा विकसित करने की जानकारी देते हुए गांवों में होम स्टे विकसित करने में आ रही समस्याओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार जहां होम स्टे को बढ़ावा देने की बात कर रही है, तथा प्रदेश में पलायन रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकने की क्षमता युक्त होम स्टे योजना जहां दिल्ली के राजपथ पर गणतंत्र दिवस पर उत्तराखंड की झांकी के रूप में पूरे देश का ध्यान आकर्षित कर चुकी है, जबकि हकीकत यह है कि ग्रामीणों के पास खुद के नाम पर जमीन न होने एवं कम मात्रा में होने के कारण ऋण लेने में काफी समस्याएं आ रही हैं। उन्हें एक से दूसरे विभाग के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। लिहाजा उन्होंने होम स्टे सुविधा को आगे बढ़ाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के तहत समस्याओं का समाधान किये जाने की व्यवस्था विकसित किये जाने का सुझाव भी दिया। सीएम से संवाद में प्राची कांडपाल, अखिलेश बिष्ट, हर्षिता आदि छात्राओं तथा सहायक प्राध्यापक चमन कुमार व वैशाली बिष्ट भी शामिल रहे।
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कहा-अधिकारी-कर्मचारियों से बनती-बिगड़ती है सरकार की छवि
-बताया खुद को उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यशाला में पहुंचने वाले पहले मुख्यमंत्री
नवीन समाचार, नैनीताल, 28 दिसंबर 2019। प्रदेश के मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेंद्र सिह रावत शनिवार को डा. रघुनंदन सिह टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी नैनीताल में लोक सेवकों के 14वां आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंचे। उन्होंने दावा किया कि राज्य बनने के बाद अकादमी में पहुंचने वाले राज्य के पहले मुख्यमंत्री हैं (उल्लेखनीय है कि पंडित नारायण दत्त तिवारी नैनीताल प्रवास के दौरान अकादमी में रहे थे)। इस मौके पर उन्होंने अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए एक नये शब्द का प्रयोग करते हुए उन्हें सरकार का ‘आवरण’ बताया। कहा कि अधिकारियों-कर्मचारियों से ही सरकार की छवि बनती व बिगड़ती है।
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मुख्यमंत्री रावत ने कहा, अधिकारियों-कर्मचारियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से ही जनता में सरकार की छवि की पहचान होती है। अधिकारियों, कर्मचारियो के अच्छे कार्यो से जहां सरकार की छवि अच्छी होती है वही गलत कार्यो से सरकार की छवि धूमिल भी होती है इसलिए सभी लोक सेवक नैतिक मूल्यों व कर्तव्यों को समझे व अपने जीवन में उतारें। श्री रावत ने लोक सेवकों को अपने उत्तरदायित्यों का ईमानदारी से निर्वहन करने तथा कार्यो मे पारदर्शिता तथा जनसेवा के लिए मन में सकारात्मकता रखने को कहा। लोक सेवकों को जहां भी जो भी दायित्व मिले उसे पूरी निष्ठा, ईमानदारी व पारदर्शिता से हर तरह के लोगों से सामंजस्य बनाकर चलें। इससे पूर्व उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान मुख्यमंत्री के सचिव मंडलायुक्त एवं अकादमी के निदेशक राजीव रौतेला ने मुख्यमत्री का पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर पहली बार अकादमी में पहुंचने पर स्वागत-अभिनंदन किया तथा रौतेला ने प्रशासन अकादमी के इतिहास एवं क्रियाकलापों की विस्तृत जानकारी भी दी। उनके स्वागत के लिए छोलिया नर्तकों ने भी कुमाऊं के पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाए। इस मौके पर डीआईजी जगत राम जोशी, विधायक संजीव आर्य, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट, मेहरबान बिष्ट, डीएम सविन बंसल, एसएसपी सुनील कुमार मीणा, केएमवीएन के एमडी रोहित मीणा, कुमाउनी पुस्तकों के प्रकाशन के नोडल अधिकारी मंडलीय शिक्षा निदेशक डा. मुकुल सती, विवेक राय, डा. मंजू पांड, अपर आयुक्त संजय खेतवाल, एडीएम केएस टोलिया, प्रधानाचार्य पटवारी प्रशिक्षण संस्थान श्रीष कुमार, संयुक्त निदेशक अकादमी नवनीत पाण्डे, दीपक पालीवाल, उपनिदेशक रेखा कोहली, विवेक राय, एसडीएम विनोद कुमार, विजय नाथ शुक्ल, डा. ओम प्रकाश, उपनिदेशक सूचना योगेश मिश्रा, भाजपा के मनोज जोशी, मनोज साह, दया किशन पोखरिया, कुंदन बिष्ट सहित 14वां आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल राज्य सिविल सेवा के नये बैच के 47 प्रशिक्षु अधिकारी, अल्मोड़ा स्थित पटवारी प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण ले रहे नायब तहसीलदार तथा अकादमी में यौन शोषण पर चल रही एक अन्य कार्यशाला के प्रतिभागी भी मौजूद रहे।
झारखंड, महाराष्ट्र के चुनाव परिणामों से उत्तराखंड में फर्क नहीं: रावत
-बोले-100 चीटियां हाथी का वध करने निकलीं, इसलिए नहीं आये झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में भाजपा के लिए अपेक्षित परिणाम
नैनीताल। उत्तराखंड प्रशासन अकादमी में पत्रकारों से वार्ता करते हुए ‘राष्ट्रीय सहारा’ के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में भाजपा के लिए आये चुनाव परिणामों का उत्तराखंड में सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कहा कि हर राज्य की अलग-अलग परिस्थितियां, राजनीतिक सोच, सोशल इंजीनियरिंग आदि होती हैं। उत्तराखंड की तुलना हिमांचल प्रदेश जैसे राज्य से की जा सकती है। बोले कि झारखंड के वे प्रभारी रहे हैं। झारखंड की स्थिति सर्वथा अलग है। पिछले चुनाव के सापेक्ष वहां भाजपा को 2 फीसद अधिक मत मिलने के बावजूद 2 सीटें घट गईं। वहां के समीकरणों में जो ठीक बैठता है, वह चुनाव जीत सकता है। वहां की भाजपा ने बहुत विकास किया था। प्रधानमंत्री आवास योजना में 4.25 लाख आवास बनाए थे। पहले वहां 24 मंे से 19 जिले नक्सल प्रभावित थे, जबकि अब नक्सलिज्म वहां करीब-करीब समाप्त हो गया है। महाराष्ट्र में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनी। लेकिन वहां ‘100 चीटियों के मिलकर हाथी का वध करने’ जैसी स्थितियां हो गई थीं, जिस कारण ऐसे परिणाम आ गए।
आशा कार्यकत्रियों ने लगाए मुख्यमंत्री व प्रशासन के खिलाफ अभद्र नारे
नैनीताल। शनिवार को आशा कार्यकत्रियों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के लौटते ही उत्तराखंड प्रशासन अकादमी परिसर से बाहर निकलते हुए मुख्यमंत्री एवं प्रशासन के खिलाफ अभद्र नारे लगाए। एक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल की अगुवाई में करीब आधा दर्जन कार्यकत्रियों ने ‘मुख्यमंत्री चोर है, मुंह छुपाकर भागता है’ व ‘मुख्यमंत्री-प्रशासन चूड़ियां पहनो’ सरीखे नारे लगाए। उनका कहना था कि वह मुख्यमंत्री का दो हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय दिये जाने पर अभिनंदन करने तथा साथ ही बंद की गई प्रोत्साहन राशि को फिर से लागू किये जाने की मांग करने आए थे। लेकिन प्रशासन ने उन्हें मुख्यमंत्री से नहीं मिलाया और मुख्यमंत्री बिना मिले ही चले गए। इस पर उन्होंने आगे मुख्यमंत्री के आने पर काले झंडे दिखाने और आगामी 30 दिसंबर को नैनीताल में मुख्यमंत्री का पुतला फूंकने का ऐलान भी किया है।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 26 दिसंबर 2019। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 28 दिसंबर शनिवार कोएक दिवसीय भम्रण पर नैनीताल आ रहे है। जानकारी देते हुये डीएम सविन बंसल ने बताया कि मुख्यमंत्री हेलीकॉप्टर से प्रातः 10.45 बजे कैलाखान हैलीपेड नैनीताल पहुचेंगे। यहां से 11 बजे वे मुख्यालय स्थित एटीआई यानी उत्तराखंड प्रशासन अकादमी पहुंचेगे और यहां वे राज्य सिविल सेवा, पुलिस सेवा, वित्त सेवा, राज्य कर सेवा एवं अन्य सेवाओं केे अधिकारियों के 14वें आधारभूत प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग करेगे। आगे मुख्यमंत्री दोपहर बाद 12.30 बजे कैलाखान हैलीपेड के लिये लौट कर यहां से ऊधमसिंह नगर के लिए प्रस्थान करेगे।
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नवीन समाचार, देहरादून, 25 सितंबर 2019। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि प्रदेश में डेंगू को लेकर कोई महामारी जैसी स्थिति नहीं है और पैरासिटामोल की 650 मिग्रा की खुराक खाने और आराम करने से यह बीमारी ठीक हो जाती है। कहा कि डेंगू को लेकर प्रदेश में भयावह स्थिति पेश की जा रही है जिससे जनता भी घबरा रही है और डेंगू की जांच करवाने को लेकर अस्पतालों के चक्कर लगा रही है, जो कि गलत है। उन्होंने दावा किया प्रदेश में इस साल प्रदेश में अब तक डेंगू से केवल छह मौतें हुई हैं जिनमें से चार देहरादून और दो हल्द्वानी शहर में हुई हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में डेंगू से कोई मौत नहीं हुई है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुमाऊं रेंज के डीआईजी जगत राम जोशी सहित अनेकों लोग डेंगू की चपेट में हैं।
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कहा कि वह खुद सरकारी अस्पतालों में जाकर डेंगू के भर्ती मरीजों से मिले हैं, जिन्हें वहां दिये गये उपचार से लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि डेंगू के बुखार को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है और पैरासिटामोल की 500 मिग्रा की खुराक की जगह अगर 650 मिग्रा की खुराक ली जाये और आराम किया जाये तो यह ठीक हो जाता है। साथ ही स्वाइन फलू के संबंध में उन्होंने कहा कि दुनिया भर के चिकित्सकों ने यह माना है कि यह एक सामान्य किस्म का एन्फलूएंजा है जिससे बार-बार हाथ धोकर, मास्क पहनकर और अन्य प्रकार से सावधानी बरतकर बचाव किया जा सकता है।
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नवीन समाचार, हल्द्वानी, 5 जून 2019। यूं उत्तराखंड में हमेशा से मुख्यमंत्रियों को हटाये जाने जाने की मुहिमें चलती रही हैं। इसी कारण पं. एनडी तिवारी को छोड़कर राज्य का कोई भी मुख्यमंत्री पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भी ऐसी मुहिमें कोई नई बात नहीं नहीं हैं। मौका मिलते ही कोई न कोई शिगूफा उनके खिलाफ खड़ा कर ही दिया जाता है। लेकिन जब रावत विरोधियों के ऐसे अनेक प्रयासों के बावजूद मुख्यमंत्री रहते अपनी पार्टी को लोक सभा चुनाव में पांचों सीटें जिताने का इतिहास रच चुके, तो माना जा रहा था कि इसके बाद शडयंत्र कुछ कम होंगे और विरोधी कुछ दिन तो पस्त होंगे। लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। पहले राज्य में सत्ता परिवर्तन कर अनिल बलूनी के नये मुख्यमंत्री बनने की खबरें सोशल मीडिया में प्लांट की गयीं तो अब हल्द्वानी में लगे एक पोस्टर के जरिये जैसे जंग के जारी रहने के संकेत दे दिये गये हैं
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक को केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्री बनाए जाने के बाद उनके समर्थन में हल्द्वानी में जगह-जगह लगाये गये कुछ होर्डिंग्स से सीएम त्रिवेंद्र रावत का फोटो ही गायब है। निशंक को बधाई देते इन होर्डिंग्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी के फोटो तो छापे गए हैं लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री का फोटो गायब है। इसे कोई इत्तफाक नहीं बल्कि पार्टी की आंतरिक गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा हैं। माना जा रहा है कि इन होर्डिंग्स के जरिये त्रिवेंद्र रावत से इतर पहली बार उत्तराखंड से केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री जैसा बड़ा ओहदा प्राप्त कर इतिहास रचने वाले डा. निशंक एवं अपनी उल्लेखनीय व ‘मीडिया फ्रेंडली’ पहलों के लिए मीडिया की सुर्खियां बनते रहे राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी का नया ध्रुव तैयार करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि होर्डिंग में निशंक के कार्यकाल में दर्जा राज्य मंत्री बनाये गये भाजपा नेता हेमंत द्विवेदी की भी प्रधानमंत्री व अन्य नेताओं से बड़ी तथा निशंक के बराबर फोटो लगाई गयी है।
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-कहा, देश में फिर बनेगी एनडीए की सरकार, मोदी बनेंगे पीएम: सीएम
नवीन समाचार, नैनीताल, 7 मई 2019। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आईएएस पंकज पांडेय निलंबन वापसी के बावजूद जांच के दायरे में हैं। क्योंकि किसी अधिकारी को निर्धारित अवधि से अधिक निलंबित नहीं रखा जा सकता है, इसलिये उन्हें बहाल किया गया है। साथ ही एनएच-74 घोटाले पर बोले कि एसआईटी जांच से संतुष्ट हैं। कोई भी दोषी बचने नहीं पायेगा। वहीं देश पर बोलते हुए उन्होंने विश्वास जताया कि केंद्र में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि देश को मोदी जैसे मजबूत प्रधानमंत्री की जरूरत है, और वे ही एक बार फिर से देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।
श्री रावत मंगलवार को अपनी पुत्री के साथ एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए निजी कार्यक्रम के तहत मुख्यालय आये थे। इस दौरान पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि वह इस बीच 5-6 राज्यों का भ्रमण करके आये हैं। सभी जगह भाजपा और एनडीए के पक्ष में माहौल साफ नजर आ रहा है। वहीं प्रदेश व स्थानीय मुद्दों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आज से शुरू हो रही चार धाम यात्रा और अगले माह शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा को महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील बताते हुए इनकी तैयारियां पूरी करने एवं शेष बचे कार्यों में आचार संहिता के कारण खलल पड़ने की बात कही। साथ ही कहा कि आचार संहिता की वजह से रूके ऐसे जरूरी कार्यों के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेने के प्रयास किये जा रहे हैं। कहा कि नैनीताल में मेट्रोपोल होटल की शत्रु संपत्ति को कब्जे में लेकर इस पर बहुमंजिला पार्किंग बनाने के प्रयास अंतिम चरण में हैं। मुख्यालय में एडीबी की पेयजल लाइनों के लगातार फटने के दृष्टिगत घोटाले की संभावना पर बोले, यह मामला संज्ञान में नहीं था। जांच कराएंगे। बलियानाले के भूस्खलन पर कहा कि जापान की जायका से बलियानाला के दीर्घकालीन समाधान के लिए सर्वेक्षण के कार्य किये जा रहे हैं। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक संजीव आर्य, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, नगर अध्यक्ष मनोज जोशी, गोपाल रावत, अरविंद पडियार, नितिन कार्की, भूपेंद्र बिष्ट, मोहित रौतेला, मोहित साह, हरीश राणा व पूरन मेहरा आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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नवीन समाचार, नैनीताल, 21 जनवरी 2019। गत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तोप पर बैठकर उसी दिन बने विदेशी गठबंधन को आंखें तरेरी थीं। कुछ इसी तर्ज पर सोमवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत प्रयागराज के बमरौली एयरपोर्ट पर भारतीय वायु सेना के मिग 21 लड़ाकू विमान की सवारी करते हुए दिखे। वायु सेना की ओर से इस संबंध में जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड राज्य में सशत्र बलों के कार्मिकों के योगदान को ध्यान में रखते हुए मध्य वायु कमान के वरिष्ठ वायु सेना अधिकारी एयर मार्शल डीएस रावत के साथ भेंट की, एवं देहरादून में लड़ाकू वायुयान को स्थापित करने हेतु उपयुक्त स्थान निर्धारित करने के विषय में विचार विमर्श किया। उन्होंने इसके लिए अपनी सहमति प्रदान की और संबंधित विभागीय अधिकारियों को लड़ाकू विमान के आवंटन हेतु वायु सेना मुख्याल्य के समक्ष तत्काल आवेदन प्रस्तुत करने को कहा। उन्होंने देहरादून में सुरक्षा बलों के लिए समर्पित स्मारक की स्थापना की इच्छा भी जताई। राज्य के मंत्री मदन कौशिक ने भी इसका समर्थन किया।
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-मुख्यमंत्री रावत ने दिये संकेत, कहा उत्तराखंड ‘एक देश-एक चुनाव’ के लिये तैयार
नवीन समाचार, देहरादून, 9 दिसंबर 2018। ऑल इंडिया पब्लिक रिलेशन कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ देशहित में है। सभी राज्य सरकारों को पार्टी हित छोड़ राष्ट्रहित में एक राय बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पूरी तरह से इसकी पक्षधर है और इस बार प्रदेश के कॉलेज व विश्वविद्यालयों में एक दिन चुनावों का आयोजन भी इसी का प्रयोग था, जो पूरी तरह सफल रहा।
पब्लिक रिलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर से शनिवार को सुभाष रोड स्थित एक होटल में तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर सीएम ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए आज से नहीं, बल्कि 1990 से प्रयास जारी हैं, लेकिन हर प्रदेश सरकार सहमति देने में हिचकती हैं। सभी को सोचना होगा कि इससे न सिर्फ देश पर चुनावों के नाम पर पड़ने वाला अतिरिक्त खर्च का बोझ कम होगा, बल्कि सरकारें निर्णय लेने में भी सक्षम होंगी। अलग-अलग चुनावों के अनुसार उन्हें निर्णय संबंधी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस अवसर पर यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल, एचआइएचटी के वाइस चांसलर डॉ. विजय धस्माना, पीआरएसआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजीत पाठक, दिलीप चौहान, निवेदिता बनर्जी, विमल डबराल समेत कई अन्य उपस्थित रहे।
सीएम त्रिवेंद्र रावत ने कहा, मैं हरीश रावत नहीं, जानें क्यों ?
उच्च स्तर के बाद अपने निचले स्तर की इस बीमारी पर करेगी त्रिवेंद्र सरकार प्रहार
सीएम ने कहा-उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार रुका, अब निचले स्तर पर भी भ्रष्टाचार मुक्त होगी व्यवस्था
नैनीताल, 26 नवंबर 2018। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछली हरीश रावत सरकार पर तल्फ टिप्पणी करते हुए कहा वे हरीश रावत नहीं है। उन्होंने यह टिप्पणी नयी योजनाओं की घोषणाओं के संदर्भ में पूछे गये सवाल के जवाब में कही। उन्होंने कहा कि हरीश रावत की सरकार ने 4200 करोड़ रुपये की घोषणाएं कर दी थीं, जबकि उनकी जेब में मात्र 400 करोड़ रुपये थे। वे ऐसी घोषणाएं नहीं करते, जिन्हें पूरी कर सकते हैं।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले डेढ़ वर्ष से अधिक के कार्यकाल में उन्होंने पारदर्शी सरकार देने का प्रयास किया है। साथ ही उनकी कोशिश है कि योजनाएं भ्रष्टाचार के बिना समयसीमा के भीतर पूरी हों। सरकार में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार रुका है, और अब निचले स्तर पर भी भ्रष्टाचार रोकने की योजना है। इस कोशिश में प्रदेश का कॉल सेंटर शीघ्र शुरू हो रहा है, जिसमें आने वाली शिकायतों का निश्चित समयसीमा के भीतर निवारण होगा। सेवा का अधिकार में भी 162 नयी सेवाओं को शामिल कर लिया गया है। अब 312 सेवाएं सेवा के अधिकार में शामिल हो गयी हैं। आगे और भी सेवाओं को इसमें जोड़ेंगे। समस्या का समाधान तभी माना जायेगा तथा समस्या बताने वाला व्यक्ति संतुष्ट हो जाए। महीने में एक बार वह स्वयं आने वाली शिकायतों को देखेंगे। उम्मीद की कि इसके बाद जनता को अपनी समस्याओं के लिए जनप्रतिनिधियों से सिफारिश नहीं लगानी पड़ेंगी और कार्य हो जाएगा।
श्री रावत ने यह बातें सोमवार को मुख्यालय में नैनीताल क्लब स्थित शैले हॉल में आयोजित जनता दर्शन कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के आने तक राज्य में 2.34 लाख परिवारों को बिजली उपलब्ध नहीं थी, जबकि अभी केवल 8790 परिवारों को भी बिजली नहीं मिल रही है। इधी 10 दिसंबर तक इन सभी परिवारों को भी बिजली उपलब्ध करा दी जाएगी। आज ही पौड़ी एवं ऊधमसिंह नगर एवं 28 नवंबर को नैनीताल जिले को पूर्ण विद्युत आच्छादित घोषित कर दिया जाएगा। स्वास्थ्य सुविधाओं पर कहा कि दूरस्थ जिलों में विशेषज्ञ चिकित्सकों को ‘मेरा सामाजिक दायित्व’ योजना के तहत सहयोग लेकर हेली सेवा से ले जाकर एवं टेली मेडीसन के जरिये चिकित्सा सुविधाएं एवं एयर एंबुलेंस सेवा भी उपलब्ध करायी जाएगी। बैठक में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, भाजपा के प्रदेश महामंत्री गजराज बिष्ट, जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, विधायक बंशीधर भगत, दीवान बिष्ट व नवीन दुम्का, हल्द्वानी के नवनिर्वाचित मेयर डा. जोगेंद्र रौतेला, भवाली के पालिकाध्यक्ष संजय वर्मा, मनोज साह, दिनेश आर्य, अनिल डब्बू, चंदन बिष्ट, अरविंद पडियार, गोपाल रावत, कुंदन बिष्ट, पूरन मेहरा, मनोज जोशी, डा. जेडए वारसी, नीतू बोहरा, कैलाश रौतेला सहित अनेक लोग मौजूद रहे। संचालन राकेश नैनवाल ने किया।
वरदान साबित होगा चीड़, 50 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार
नैनीताल। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दावा किया कि प्रदेश में अनेक समस्याओं का कारण बनने वाला चीड़ शीघ्र राज्य वासियों के लिए वरदान साबित होगा। राज्य में 3 से 4 रुपये प्रति किग्रा के भाव से पिरूल खरीदा जाएगा और इससे 150 मेगावाट बिजली के साथ ही रेजिन, वार्निश, बिरोजा व कोलतार आदि उत्पाद तैयार किये जाएंगे। 5 नाली भूमि पर कोई भी व्यक्ति भी उद्योग लगा सकेंगे। कुल मिलाकर चीड़ से 50 हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री रावत ने पिछली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार नैनीताल आगमन पर करीब 15 मिनट केवल 20 रुपये में तैयार होने वाली बोतल से देहरादून की रिस्पना सहित नैनीताल के गंदगी युक्त नालों को महका सकने वाला उत्पाद बनाने पर अपना संबोधन दिया था, लेकिन अब तक न तो यह उत्पाद ही कहीं नजर आया है, न नालों या नैनी झील की स्थिति में ही कोई खास फर्क आया है।
अपनी तीनों पूर्व घोषणाओं पर भी ठोस जवाब नहीं दे पाये सीएम
नैनीताल। बैठक में स्थानीय विधायक संजीव आर्य ने मुख्यमंत्री की पूर्व में नगर के लिये तीन घोषणाओं, नगर के 60 करोड़ रुपये से नारायणनगर में पार्किंग निर्माण एवं नगर के आधार बलियानाला एवं माल रोड के सुदृढ़ीकरण कार्यों को याद दिलाया, किंतु अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने केवल पार्किंग पर बात की और अन्य दो विषयों को छुवा भी नहीं। पार्किंग पर भी कहा कि मामला भूमि हस्तांतरण के लिये नोडल अधिकारी के स्तर पर लंबित है। बाद में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर भी फिर केवल बलियानाला के विषय पर इतना भर कहा कि जायका के तहत इस योजना का प्रस्ताव बनाने को कहा गया है। उल्लेखनीय है कि पार्किंग पर स्थिति करीब-करीब पार्किंग के नारायणनगर में न बन पाने की बनी हुई है। वहीं बरसात के करीब तीन माह गुजर जाने के बावजूद बलियानाला के संरक्षण कार्यों में कहने भर के लिए भी कार्य नहीं हुआ है, जबकि माल रोड भी कामचलाऊ तरीके से ही चालू की गयी है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष बीरभट्टी के पास अल्मोड़ा एनएच पर ध्वस्त हुए अंग्रेजों के जमाने के पुल की जगह भी अब तक वैली ब्रिज से काम चलाया जा रहा है। नये पुल के बारे में भी कोई बात नहीं कही जा रही है।
कार्यकर्ता बैठक या जनता दर्शन पर भ्रमपूर्ण रही स्थिति
नैनीताल। मुख्यमंत्री के औपचारिक कार्यक्रम में पहले कार्यक्रम को कार्यकर्ता बैठक बताया गया, जबकि बाद में इसे जनता दर्शन बताया गया। यह कार्यक्रम हुआ भी तो मंच पर भी कार्यकर्ता बैठक ही लिखा गया था, लेकिन इस दौरान आम लोगों के ज्ञापन भी लिये गये। अलबत्ता ज्ञापन देने वालों में भाजपा के कार्यकर्ताओं की संख्या ही अधिक रही। नगर के पर्यावरण मित्रों, टैक्सी-ट्रेवल एसोसिएशन, कूटा, आशा कार्यकत्रियों, राज्य आंदोलनकारियों आदि की ओर से भी ज्ञापन दिये गये।
रिलायंस के जरिये 2019 तक हर गांव को ओएफसी, हर स्कूल-अस्पताल को मिलेगी फ्री वाई-फाई सुविधा
नैनीताल। मुख्यमंत्री ने बताया कि रिलायंस कंपनी के जरिये वर्ष 2019 तक राज्य के हर गांव को इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के लिए ओएफसी केबल से जोड़ दिया जाएगा। इस संबंध में उनही रिलायंस के प्रमुख मुकेश अंबानी से बात हुई है। इस कार्य हेतु उन्होंने कुछ सहूलियतों की अपेक्षा की हैं, जो उन्हें उपलब्ध करायी जा रही हैं। इस सुविधा के सभी दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों व अस्पतालों को मुफ्त वाईफाई सुविधा भी मिलेगी, जिसके जरिये वहां तक इंटरनेट के माध्यम से रोगियों को विशेषज्ञों की सलाह पर उपचार भी उपलब्ध कराया जाएगा।
चुनाव में कम सक्रिय लोग रहे स्वागत में अधिक सक्रिय
नैनीताल। मुख्यमंत्री के स्वागत में नैनीताल व भवाली में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में कम सक्रिय रहे पार्टी कार्यकर्ता अधिक सक्रिय दिखाई दिये। वहीं युवाओं की संख्या भी कम दिखाई दी। इसके अलावा पार्टी द्वारा निकाय चुनावों में सभासद पद के लिए जिन प्रत्याशियों को टिकट दिये गये थे, वे भी कार्यक्रम में नहीं दिखे।
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1 अगस्त से जहां उत्तराखंड में दोपहिया वाहनों पर दूसरी सवारी के लिए भी हेलमेट पहनना अनिवार्य हो गया है, वहीं 1 अगस्त से पोलीथिन बैन होने जा रही है। हाई कोर्ट की सख्ती के बाद उत्तराखंडके मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने आज राज्य के लोगों से पॉलीथिन का इस्तेमाल न करने की अपील करते हुए 50 माइक्रोन तक की रंगबिरंगी पॉलीथिन के उपयोग करते पाए जाने पर जुर्माने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री ने ट्वीट के जरिए जानकारी देते हुए कहा है कि पॉलीथिन प्रयोग करते पाए जाने पर दुकानदारों पर 5000, ठेली वालों पर 2000 और ग्राहकों पर 500 रुपये तक का जुर्माना लगेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पॉलीथिन के प्रयोग से पर्यावरण दूषित होता है और खेती, पशु, पक्षियों को भी नुकसान पहुंचता है। इसलिए राज्य सरकार ने एक अगस्त से पॉलीथिन के प्रयोग पर सख्ती करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री का विडियो ट्वीट :
आइये संकल्प लें, पॉलिथीन का उपयोग नहीं करेंगे। 1 अगस्त से उत्तराखंड में पॉलीथीन पर पूर्ण प्रतिबंध। देवभूमि को पॉलीथीन मुक्त बनाने में आप सभी सहयोग करें।#BanPolythene pic.twitter.com/ul7rqT9UHk
— Trivendra Singh Rawat ( मोदी का परिवार) (@tsrawatbjp) July 31, 2018
आज से होगी छापेमारी: मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद आज से पूरे प्रदेश में पॉलीथिन के खिलाफ छापेमारी की जाएगी। देहरादून में आठ, रुड़की और हल्द्वानी में एक-एक टीम पॉलीथिन के खिलाफ छापेमारी करेंगी। देहरादून नगर निगम के नगर आयुक्त विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि देहरादून में आठ टीमें बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम को बीस चालान का लक्ष्य दिया गया है। साथ ही नगर निगम एक फोन नंबर जारी करेगा। इसमें लोग शिकायत करने के साथ अपनी बात भी रख सकेंगे।
बार्डर पर कड़ी चौकसी के निर्देश:हरिद्वार के डीएम दीपक रावत ने कहा है कि बार्डर पर पुलिस को चौकस रहने को कहा गया है ताकि बाहर से पॉलीथिन राज्य में न लाई जा सके। रावत ने कहा कि बीस पॉलीथिन मिलने पर सौ रुपये जुर्माना वसूला जाएगा।