नवीन समाचार, बिजनेस डेस्क, 8 मई 2023। अगर आपके पास जीवन बीमा की पॉलिसी है और आपको पैसों की जरूरत है तो आप उस पर ऋण ले सकते हैं। पॉलिसी पर व्यक्तिगत ऋण की तुलना पर आसानी से और कम ब्याज पर ऋण मिलता है। यह ऋण आप बैंक या नॉन-बैकिंग वित्तीय संस्थाओं-एनबीएफसी के जरिए ले सकते हैं। इस बारे में हम यहां आपको पूरी जानकारी दे रहे हैं।
इधर इस विषय में एक नई अपडेट यह है कि अब जीवन बीमा पर लिए गए ऋणों की किस्तों का भुगतान किया जा सकेगा। आईआरडीएआई यानी बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने इस पर रोक लगा दी है। इसके पीछे तर्क है कि क्रेडिट कार्ड से ऋण का री-पेमेंट यानी भुगमान करने पर उपभोक्ताओं को एक महीने का समय मिल जाता है। इसमें उन्हें ब्याज रहित ऋण तो मिल जाता है, लेकिन अगर वह क्रेडिट कार्ड के बिल का भुगतान समय से नहीं कर पाए तो उन्हें बहुत अधिक ब्याज चुकाना पड़ता है। यानी वो फिर से एक कर्ज के जंजाल में फंस जाते हैं।
हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस तरह से कुछ लोग अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर रहे हैं। आईआरडीएआई शायद नहीं चाहता कि उपभोक्ता इसका लाभ लें। अन्यथा उन्हें तो अपने ऋणों के भुगतान से मतलब होना चाहिए। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए कि भुगतान कहां से किया जाता है। सवाल जुड़ता है कि यदि कोई व्यक्ति अधिक महंगे निजी ऋण लेकर यदि बीमा पॉलिसी पर लिए गए ऋण की किस्तों का भुगतान करता है तो क्या आईआरडीएआई ऐसे ऋण लेने पर भी रोक लगा सकता है या रोक लगाने पर विचार कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2022 में पीएफआरटीए यानी पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण ने भी नेशनल पेंशन सिस्टम टियर 2 खातों में सदस्यता और योगदान के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान स्वीकार करना बंद करने की घोषणा की थी।
सरेंडर वैल्यू का 90 प्रतिशत तक मिलता है ऋण
ऋण की धनराशि पॉलिसी के प्रकार और उसकी सरेंडर वैल्यू यानी आखिर में मिलते वाली धनराशि पर निर्भर करती है। आमतौर पर मनी बैक, एंडॉमेंट पॉलिसी और यूलिप जैसी पारंपरिक बीमा योजनाओं में ऋण की राशि पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू की 80 से 90 प्रतिशत तक हो सकती है। जबकि जिन पॉलिसी में बीमा के साथ निवेश का भी हिस्सा होता है। उनमें कोई सरेंडर वैल्यू नहीं होती। वहीं, एंडावमेंट, मनीबैक और यूलिप जैसे पारंपरिक प्लान्स में सरेंडर वैल्यू होती है।
क्या है सरेंडर वैल्यू?
लाइफ इंश्योरेंस के मामले में पूरी अवधि तक चलाने से पहले पॉलिसी सरेंडर करने पर आपको प्रीमियम के तौर पर चुकाई गई रकम का कुछ हिस्सा वापस मिल जाता है। इसमें कुछ धनराशि काट ली जाती है। यही धनराशि सरेंडर वैल्यू कहलाती है।
10-15 प्रतिशत तक देना होता है ब्याज
इंश्योरेंस पॉलिसी पर ब्याज दर प्रीमियम की धनराशि और भुगतान किए गए प्रीमियम की संख्या पर निर्भर करती है। प्रीमियम और प्रीमियम की संख्या जितनी अधिक होगी, ब्याज दर उतनी ही कम होगी। जीवन बीमा पर ऋण की ब्याज दर 10 से 15 प्रतिशत के बीच होती है।
बीमा पर ऋण लेने के लिए यह हैं जरूरी कागजात
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी पर ऋण के जिए आवेदन पत्र के साथ आपको जीवन बीमा पॉलिसी के सभी जरूरी वास्तविक कागजात तथा एक निरस्त किया गया चेक जमा करना होगा।
क्या है लाइफ इंश्योरेंस पर ऋण
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिस पर लिया गया ऋण अन्य ऋण की तुलना में अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसमें किसी और संपत्तियों की आवश्यकता नहीं होती है. आप अपने पॉलिसी को गिरवी रखकर ऋण ले सकते हैं. पर्सनल ऋण और क्रेडिट ऋण की तुलना में यह एक अच्छा विकल्प है. इसका ब्याज अलग-अलग पॉलिसी पर अलग-अलग हो सकता है.
किसे दिया जाता है बीमा पॉलिसी पर ऋण
अगर आपने पॉलिसी खरीदी है तो आप इस पॉलिसी पर ऋण ले सकते हैं. ऋण लेने के लिए आपकी उम्र 18 साल कम से कम होनी चाहिए. यह ऋण सिर्फ पॉलिसी खरीदने वाले उपभोक्ताओं के नाम पर ही जारी किया जा सकता है। कोई और इस पॉलिसी का लाभ नहीं ले सकता है।
कोरोना हुआ है तो तीन माह बाद ले सकेंगे बीमा पॉलिसी
कोरोना ही हालिया विकट परिस्थितियों में एक नया नियम यह भी लागू हुआ कि यदि किसी व्यक्ति को कोरोना हुआ है तो उसे नई बीमा पॉलिसी लेने के लिए स्वस्थ होने के बाद कम से कम तीन महीने का इंतजार करना होगा। कोरोना संक्रमण से उबरने के तीन माह तक किसी भी व्यक्ति को कोई बीमा पॉलिसी नहीं मिल पाएगी।
माना जा रहा है कि यह नया नियम कोविड की चपेट में आ चुके लोगों की घटी जीवन प्रत्याशा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। बताया गया है कि कोरोना से पिछले 3 सालों में देश में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है और जीवन बीमा कंपनियों के पास भारी संख्या में मृत्यु के क्लेम आए हैं। इस कारण जीवन बीमा कंपनियों का खर्च भी बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इसी कारण जीवन बीमा कंपनियां 3 महीने के वेटिंग पीरियड वाला नियम लेकर आई हैं। कहा जा रहा है कि कोरोना की चपेट में आया व्यक्ति लगभग 3 महीने के बाद संक्रमण के असर से पूरी तरह मुक्त हो पाता है। इसलिए यह अवधि ‘वेटिंग पीरियय’ के रूप में रखी गई है।
कोविड फार्म भरना हुआ जरूरी
अब कोई भी जीवन बीमा पॉलिसी लेने से पहले लोगों को अनिवार्य रूप से एक कोविड फॉर्म भी भरना अनिवार्य कर दिया गया है। इसमें अन्य चीजों के अलावा यह भी पूछा जा रहा है कि क्या आपको पिछले 90 दिनों में वे कोविड से प्रभावित हुए हैं या नहीं। इसके आधार पर संक्रमण के परीक्षण के परिणाम भी मांगे जाते हैं।
अब बीमा पॉलिसी खरीदना मुश्किल
एक वरिष्ठ इंश्योरेंस विशेषज्ञों के अनुसार कोविड प्रभावित लोगों के लिए बीमा पॉलिसी खरीदना अब मुश्किल हो गया है। कोरोना से पहले 40 साल के लोगों को आसानी से 25 करोड़ रुपए का रिस्क कवर मिल जाता था, लेकिन अब 10 करोड़ रुपए का ही रिस्क कवर मिल रहा है। 50 साल के लोगों के लिए तो यह कवर और भी कम हो गया है। 50 साल के लोगों को रिस्क कवर लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बीमा कंपनियों ने बढ़ाया प्रीमियम
रिस्क कवर घटाने के साथ बीमा कंपनियों ने कोरोना महामारी के बाद लाइफ , हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी से जुड़े नियमों में कई बदलाव करने के साथ सभी तरह के प्लानों पर प्रीमियम को बढ़ा दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण बीमा कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है। स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र की कई कंपनियां अस्पताल में भर्ती होने के खर्च के दावों की समीक्षा कर रही हैं और अपना प्रीमियम बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। केयर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी अपनी कुछ पॉलिसियों पर प्रीमियम 8 से 10 प्रतिशत तक बढ़ाने की सोच रही है। साथ ही कई बीमा कंपनियों ने प्रीमियम बढ़ा दिया है। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी स्टार हेल्थ इंश्योरेंस भी कुछ पॉलिसी महंगी करने पर विचार कर रही है।
हालांकि बीमा कंपनियां को विश्वास है कि इन शर्तों से इंश्योरेंस की मांग में कोई कमी नहीं आएगी। जानकारों का कहना है कि कोविड से सभी लोग प्रभावित नहीं हुए हैं और कुछ दिनों के इंतजार के बाद टर्म प्लान खरीदा जा सकता है। बाजार बड़ा है और अवसर बड़े हैं, इसलिए मांग पर इतना असर नहीं पड़ेगा।
वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान कोविड महामारी के के दौरान बीमा कंपनियों के डेथ क्लेम में 73.41 प्रतिशत की वृद्धि हुई। IRDA के मुताबिक, बीमाकर्ताओं ने 2021-22 के दौरान 15.87 लाख पॉलिसियों से जुड़े 45,817 करोड़ रुपये के क्लेम का भुगतान किया है। इनमें से 17,269 करोड़ रुपये के क्लेम कोविड से हुई मौतों के कारण दिया गया था। आईआरडीए ने बीमाकर्ताओं से आग्रह किया कि वे सूचीबद्ध अस्पतालों को कोविड अस्पताल में भर्ती होने के लिए राशि जमा करने से रोक दें क्योंकि कुछ अस्पताल कैशलेस पॉलिसी होने के बावजूद कोविड उपचार के लिए जमा राशि मांग रहे थे। इसके साथ ही बीमाकर्ताओं ने नियामक से ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल को लेकर धोखाधड़ी के मामलों की शिकायत की है। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
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