इसी सप्ताह मेडिकल कॉलेज को देह दान करने की पूरी की थी औपचारिकता, कहा था-मेरी देह से मुक्ति की प्रार्थना में बिना झिझक सहयोग करें…
‘मौत का खेला भी अजब है। जब जिंदगी की चाह रखो तो बिना उम्र का लिहाज करे बाज की तरह झपट्टा मार कर उसे छीन लेती है। और जब उसे खुशी-खुशी आमन्त्रित करो तो नौ नखरे दिखाती है। मेडिकल चिकित्सा के अनुसार, जीवन जीने की सारी सम्भावनाएं खत्म हो चुकी हैं। तीन दिन से सिर्फ सांस चल रही है। पता नहीं क्यों इतने नखरे हैं मौत के भी ? अब तो रहम खा और इस बेबस जिंदगी पर पूर्ण विराम लगा !!’
नवीन समाचार, नैनीताल, 27 मई 2023। उपरोक्त शब्द राज्य के जनपक्षीय पत्रकार जगमोहन रौतेला के हैं, जो उन्होंने एक दिन पहले 26 मई को सोशल मीडिया पर अपनी धर्मपत्नी रीता खनका रौतेला के लिए लिखे थे। रीता लंबे समय से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं-भयंकर कष्ट झेल रही थीं। आज शनिवार सुबह रीता का मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में असामयिक निधन हो गया है, या कहें कि देह से मुक्त हो गई हैं। जगमोहन की इस पोस्ट से पता चलता है कि किस तरह की स्थिति थी। यह भी पढ़ें : बड़ी दुर्घटना: कार के खाई में गिरने से 5 लोगों की मौत, मृतकों में 4 महिलाएं…
उल्लेखनीय है कि रीता स्वयं भी युगवाणी सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में जनता की आवाज उठाने वाली पत्रकार के तौर पर लिखती थीं। सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय थीं। हल्द्वानी के डॉ। सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में उनका उपचार चल रहा था। बेहद गंभीर स्थिति के बावजूद वह बीती 16 मई तक सोशल मीडिया पर एक पत्रकार के रूप में सक्रिय थीं। यह भी पढ़ें : घर में किराये पर रहने वाले युवक ने युवती से बीते 6 माह में कई बार किया शादी का झांसा देकर दुष्कर्म
लेकिन स्थिति गंभीर होने पर गत 20 मई को उन्होंने अपनी देह को मेडिकल कॉलेज को देने की ऑपचारिकताएं पूर्ण की थीं और 21 मई 2023 को अपने पति जगमोहन रौतेला के माध्यम से एक भावुक पोस्ट लिखी थी। पढ़ें उनकी पोस्ट:
अब मेरी देह से मुक्ति की प्रार्थना करें, ताकि गहरी पीड़ा से छुटकारा मिले
पिछले लगभग ढाई साल से मेरे कैंसर से बीमार होने के बाद से सैकड़ों शुभचिंतकों, मित्रों और परिजनों ने मेरे स्वास्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त करने के साथ ही मेरे जल्दी स्वस्थ्य होने की हजारों बार प्रार्थनाएं की हैं। मेरे व मेरे परिवार का बीमारी से लड़ने के लिए हौसला बढ़ाया है। इस सब के लिए मैं व मेरा परिवार हमेशा आप लोगों का ऋणी रहेगा।
अब मेरी बीमारी ऐसी स्थिति में पहुँच गई है कि जहॉ से आगे के जीवन की कोई उम्मीद नहीं है। लोग मौत से संघर्ष करते हैं, पर मैं जीवन से संघर्ष कर रही हूँ। मुझे जीवन के सॉसों की आवश्यकता नहीं, बल्कि मौत का आलिंगन चाहिए, ताकि गहरी पीड़ा और वेदना से जल्द से जल्द मुक्त हो सकूँ। किसी भी प्राणी के जीवन का अंतिम सत्य मृत्यु का आलिंगन ही है। और इसे मैं और मेरा परिवार पूरी सत्यता से स्वीकार करते हैं। ऐसे में मेरी यह देह सॉसों से मुक्त हो जाती है तो बुलबुल और उसके बौज्यू को मेरी मुक्ति का दुख तो होगा, पर वे इस दुख की पीड़ा को स्वीकार करेंगे।
जब मैं मौत का आलिंगन चाह रही हूँ तो मैंने अपनी देह को निर्जीव होने के बाद सात कुन्तल लकड़ी को समर्पित करने की बजाय, यही मेडिकल कॉलेज को देने का निर्णय भी कल 20 मई 2023 को कर लिया है। यह निर्णय तो हम दोनों ने बहुत पहले कर लिया था, पर कागजी औपचारिकताओं को पूरा नहीं कर पाए थे। कल 20 मई शनिवार को वह औपचारिकता भी पूरी कर ली है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन, जिला प्रशासन और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी इस बारे में औपचारिकता संकल्प पत्र सौंप दिया है।
मेरे इस संकल्प को पूरा करने में मेडिकल कॉलेज में अध्यापक व मेरी ननद डॉ. दीपा चुफाल देउपा, देवर अंकुश रौतेला, बुलबुल के बौज्यू, देवर के मित्र ललित मोहन लोहनी और ननद के ही विभाग के दीप चन्द्र भट्ट का सहयोग रहा है। मैं इन सब के प्रति भी आभार व्यक्त करती हूँ।
मैं अब अपनी देह से जल्दी मुक्ति इस वजह से भी चाहती हूँ कि ताकि उसके बाद मेरे बैड पर आईसीयू में वह मरीज आए, जिसे जीवन के सॉसों की बहुत आवश्यकता है। मेरे जीवन का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। शादी के बाद मैंने अपनी भरपूर जिंदगी जी है। मेरे लिखना, पढ़ना और तर्क करना सीखा। सबसे बड़ी बात कि मैंने धारा प्रवाह कुमाउनी भी शादी के बाद ही सासू ईजा और बुलबुल के बौज्यू के प्रेरित करने पर ही सीखी। अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि मैं इस बात को मानती हूँ। अपने कुमाउनी लोकजीवन के तीज-त्योहारों को मनाना और लोक की परम्परा का पालन करना भी मैंने शादी के बाद ही सीखा।
मैं आज आईसीयू के बैड में इस स्थिति में नहीं हूँ कि खुद कुछ लिख सकूँ। यह पोस्ट मैं बुलबुल के बौज्यू से लिखवा रही हूँ। इसमें हो सकता है कि इस पोस्ट के शब्द हूबहू मेरे न हों, भावनाओं के शब्द पूरी तरह मेरे हैं।
मैं अंत में एक बार फिर से आप सब से अपनी इस देह से जल्द से जल्द मुक्ति में सहयोग चाहती हूँ। आप सब से मेरी प्रार्थना है कि अपने-अपने देवी-देवताओं, ईष्ट देवों से कहें कि मुझे इस नश्वर देह से मुक्त करें। आप सब ने पिछले ढाई साल में मेरे जीवन के लिए कामना की, अब आखिरी वक्त में देह से मुक्ति की प्रार्थना में बिना झिझक सहयोग करें। आप सब का प्यार, सहयोग मेरी बिटिया बुलबुल और उसके बौज्यू को आत्मबल ही देगा।
आप सब लोगों का जीवन आरोग्यमयी, प्रेम, प्यार व सहयोग से भरपूर रहे, यही कामना मेरी ओर से है।
बताया जा रहा है कि उनकी देह को मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी से हल्द्वानी स्थित उनके आवास पर लाया जा रहा है। इसके उपरांत संक्षिप्त कार्यक्रम के बाद उनकी देह को वापस मेडिकल कॉलेज को ही सोंप दिया जाएगा। यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में वन भूमि से मजारें व मस्जिद तोड़े जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका, जानें क्या हुआ…
स्वर्गीय रीता खनका रौतेला को ‘नवीन समाचार’ परिवार की ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि, ईश्वर श्री रौतेला, उनकी पुत्री बुलबुल एवं परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें और स्वर्गीय रीता को अपने श्रीचरणों में स्थान प्राप्त करें। ॐ शांति… (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।