नई दिल्ली, 14 नवंबर 2018। राज्य के 16 हजार से अधिक विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों के लिये अच्छी खबर है। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी इस बाबत राज्यसभा में प्रस्ताव लाएंगे। वहीं केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने भी उनके प्रमाणपत्र की मान्यता के लिए संसद के आगामी सत्र में इस बिल को लाकर पास कराया जाएगा। जावडे़कर ने बलूनी और शिक्षकों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है। जावडे़कर ने इस बाबत प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से भी फोन पर बात की। बुधवार को नई दिल्ली में अनिल बलूनी के नेतृत्व में प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने जावड़ेकर से हुई मुलाकात में इस बारे में अच्छी खबर आयी। इस दौरान संघ के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि प्रदेश में वर्ष 2001 से वर्ष 2016 तक विशिष्ट बीटीसी के आधार पर 16,608 हजार से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती हुई है। परंतु विशिष्ट बीटीसी की मान्यता नहीं ली गयी, इस कारण एनसीटीई और आरटीई के मानक के अनुसार विशिष्ट बीटीसी किये शिक्षक अप्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में आ गए हैं। और 31 मार्च 2019 को वे सरकारी सेवा के लिए अपात्र मान लिए जाएंगे। चूंकि शिक्षकों ने सरकार के निर्देश पर ही विशिष्ट बीटीसी की थी। इसलिए उनका कोई दोष नहीं है। इसलिए राज्य की विशिष्ट बीटीसी को पूर्व की तारीखों से मान्यता दे दी जानी चाहिए। इस मौके पर सांसद बलूनी ने भी शिक्षकों की पुरजोर पैरवी की। उन्होंने कहा कि इस समस्या के हल के लिए वे राज्य सभा में भी प्रस्ताव लाएंगे। संघ प्रतिनिधिमंडल में नंदन सिंह रावत और जनक राणा भी शामिल रहे।
वर्ष 2001 से 2016 के बीच शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से मान्यता लिए बिना ही विशिष्ट बीटीसी करवाते हुए 16,608 शिक्षक भर्ती किए। पर, इस विशिष्ट बीटीसी को एनसीटीई से मान्यता न होने की वजह से ये सभी शिक्षक अप्रशिक्षित शिक्षक की श्रेणी में आ चुके हैं। आरटीई एक्ट के तहत सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को 31 मार्च 2019 तक हर हाल में अपनी शैक्षिक योग्यताएं पूरी करनी है। वर्ना एक अप्रैल 2019 से वो अपात्र हो जाएंगे। पहली से पांचवीं कक्षा में पढ़ा रहे शिक्षक के लिए दो साल का डीएलएड अनिवार्य है। बीएड डिग्री वाले को छह महीने का ब्रिज कोर्स। चूंकि विशिष्ट बीटीसी सरकार के निर्देश पर ही की गई थी, इसलिए इन शिक्षकों ने डीएलएड और ब्रिज कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया।
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सबसे पहले बात करते हैं नवकरणीय ऊर्जा यानी Renewable Energyकी। इस क्षेत्र में भारत ही नहीं दुनिया में असीम संभावनाएं हैं। क्योंकि दुनिया में घटते पारंपरिक स्रोतों और बढ़ती जरूरतों के लिए अनेक नये अवसर आने वाले हैं।
दूसरा क्षेत्र है ऑटोमोबाइल क्षेत्र का। इंजीनियरिंग व आईटी क्षेत्र के घटने के साथ इस क्षेत्र में सर्वाधिक कॅरियर संभावनाएं बताई जा रही हैं।
जानकारों के अनुसार आईटी सेक्टर धीरे-धीरे अपनी चमक खोता जा रहा है। अब इंजिनियरों की पसंद आईटी सेक्टर न होकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री है। टॉप ऑटो कंपनियां जैसे महिंद्रा, अशोक लीलैंड और मारूति का कहना है कि इन दिनों आईटी अनुभव वाले इंजिनियरों के सीवी ज्यादा आ रहे हैं। इस फील्ड में जॉब से जुड़ी जानकारी के लिए सबसे ज्यादा पूछताछ भी वे ही कर रहे हैं।
जब आईटी सेक्टर में बूम थी उस समय इंजिनियरिंग ग्रैजुएट्स के साथ-साथ आईटी अनुभव वाले एंप्लॉयी आईटी सेक्टर को प्राथमिकता देते थे। इसका कारण सिर्फ यह नहीं था कि यह सेक्टर बहुत तेजी से बढ़ रहा था बल्कि विदेश में भी काम करने का मौका मिल रहा था। लेकिन अब आईटी कंपनियों में हुए बदलाव और अमेरिका में वीजा नियमों के सख्त होने के बाद हालात बदल गए हैं। फिर से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की मांग बढ़ गई है। एचआआर एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में बिड डेटा और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के बढ़ते महत्व के कारण आईटी बैकग्राउंड वाले इंजिनियरों की दिलचस्पी इस सेगमेंट में बढ़ गई है।
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अशोक लीलैंड के सीएफओ गोपाल महादेवन ने बताया, ‘पहले मकैनिकल इंजिनियर आईटी इंडस्ट्री का रुख कर रहे थे लेकिन अब वे वापस आ रहे हैं। लगता है अब रिवर्स ब्रेन ड्रेन हो रहा है और अचानक हमें इस सेगमेंट से बड़ी संख्या में ऐप्लिकेशन आ रहे हैं।’
मार्च 2018 के लिए नौकरी जॉबस्पीक डेटा के मुताबिक, ऑटो इंडस्ट्री में हायरिंग में काफी ग्रोथ हुई हैं। मार्च 2017 के मुकाबले मार्च 2018 में 33 फीसदी हायरिंग ग्रोथ हुई है। 2017 में खासकर अक्टूबर के बाद इस सेक्टर में दो अंकों में ग्रोथ हुई है।
एचआर प्रफेशनल्स का मानना है कि आईटी इंडस्ट्री बदलाव के दौर से गुजर रही है। इलेक्ट्रिक वीइकल्स और सेल्फ ड्राइविंग कार पर फोकस बढ़ने की वजह से स्पेशलिस्ट की डिमांड बढ़ी है।
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