‘नवीन समाचार’ के पाठकों के ‘2.11 करोड़ यानी 21.1 मिलियन से अधिक बार मिले प्यार’ युक्त परिवार में आपका स्वागत है। आप पिछले 10 वर्षों से मान्यता प्राप्त- पत्रकारिता में पीएचडी डॉ. नवीन जोशी द्वारा संचालित, उत्तराखंड के सबसे पुराने, जनवरी 2010 से स्थापित, डिजिटल मीडिया परिवार का हिस्सा हैं, जिसके प्रत्येक समाचार एक लाख से अधिक लोगों तक और हर दिन लगभग 10 लाख बार पहुंचते हैं। हिंदी में विशिष्ट लेखन शैली हमारी पहचान है। आप भी हमारे माध्यम से हमारे इस परिवार तक अपना संदेश पहुंचा सकते हैं ₹500 से ₹20,000 प्रतिमाह की दरों में। यह दरें आधी भी हो सकती हैं। अपना विज्ञापन संदेश ह्वाट्सएप पर हमें भेजें 8077566792 पर। अपने शुभकामना संदेश-विज्ञापन उपलब्ध कराएं। स्वयं भी दें, अपने मित्रों से भी दिलाएं, ताकि हम आपको निरन्तर-बेहतर 'निःशुल्क' 'नवीन समाचार' उपलब्ध कराते रह सकें...

December 21, 2024

कुमाउनी रामलीला का इतिहास: 1830 में कुमाऊं नहीं मुरादाबाद से हुई कुमाउनी रामलीला की शुरुआत

0
Ramlila

-नृत्य सम्राट उदयशंकर, महामना मदन मोहन मालवीय व भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जैसे लोगों का भी रहा है कुमाउनी रामलीला से जुड़ाव

डॉ. नवीन जोशी, नैनीताल। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में होने वाली कुमाउनी रामलीला की अपनी मौलिकता, कलात्मकता, संगीत एवं राग-रागिनियों में निबद्ध होने के कारण देश भर में अलग पहचान है। खास बात यह भी है कि कुमाउनी रामलीला की शुरुआत कुमाऊं के किसी स्थान के बजाय 1830 में यूपी के रुहेलखंड मंडल के मुरादाबाद से होने के प्रमाण मिलते हैं। वहीं 1943 में नृत्य सम्राट उदयशंकर और महामना मदन मोहन मालवीय के साथ भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत जैसे लोगों का भी कुमाउनी रामलीला से जुड़ाव रहा है। 

देखें विडियो : रावण व सीता का ऐसा संवाद कहीं और न देखा होगा….

कुमाऊं में रामलीला के आयोजन की शुरुआत 1860 में अल्मोड़ा के बद्रेश्वर मंदिर में हुई थी, जिसका श्रेय तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर देवी दत्त जोशी को जाता है। लेकिन यह भी बताया जाता है कि श्री जोशी ने ही इससे पूर्व 1830 में यूपी के मुरादाबाद में ऐसी ही कुमाउनी रामलीला कराने की शुरुआत की थी। इसके 20 वर्षों के बाद 1880 में नैनीताल के दुर्गापुर-वीरभट्टी में नगर के संस्थापकों में शुमार मोती राम शाह के प्रयासों से कुमाउनी रामलीला कराने की शुरुआत हुई।

देखें विडियो : 

आगे 1890 में बागेश्वर में शिव लाल साह तथा 1902 में देवी दत्त जोशी ने ही पिथौरागढ़ में रामलीला की शुरुआत की। दुर्गापुर नैनीताल का बाहरी इलाका है, इस लिहाज से नैनीताल शहर में 1912 में पहली बार नैनीताल शहर के मल्लीताल में कृष्णा साह ने अल्मोड़ा से कलाकारों को लाकर रामलीला का मंचन करवाया, जबकि स्थानीय कलाकारों के द्वारा 1918 में यहां रामलीला प्रारंभ हुई। भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत 1903 में तल्लीताल रामलीला कमेटी के प्रथम अध्यक्ष रहे।

देखें विडियो : राम-केवट नृत्य नाटिका

1907 से रामलीला को लिखित रूप में सर्वसुलभ बनाने के प्रयासों के अन्तर्गत रामलीला नाटकों को प्रकाशित करने का वास्तविक कार्य प्रारंभ हुआ। पंडित राम दत्त जोशी, केडी कर्नाटक, गांगी सााह, गोविन्द लाल साह, गंगाराम पुनेठा, कुंवर बहादुर सिंह आदि के रामलीला नाटक प्रकाशित हुए। 1910 के आसपास भीमताल में रामलीला का मंचन प्रारम्भ हुआ।

यहाँ क्लिक कर सीधे संबंधित को पढ़ें

पारसी थियेटर के साथ नौटंकी, ब्रज की रास तथा कव्वाली पार्टियों का भी दिखता है प्रभाव

नैनीताल। कुमाऊं की रामलीला में बोले जाने वाले संवादों, धुन, लय, ताल व सुरों में पारसी थियेटर, नौटंकी, ब्रज की रास तथा कव्वाली पार्टियांे का भी काफी प्रभाव दिखता है, जो इसे अन्य स्थानों की रामलीलाओं से अलग भी करता है। रामलीला के दौरान राम-केवट संवाद, वासुकी विजय व श्रवण कुमार नाटकों में पारसी थियेटर की संवादों को लंबा खींचकर या जोर देकर बोलने की झलक नैनीताल की रामलीला की एक अलग विशिष्टता है। यह संभवतया यहां अंग्रेजी राज के दौरान अंग्रेजों के भी रामलीला में शामिल होने के प्रभाव के कारण है।

इसके अलावा कुमाउनी रामलीला में पात्रों के संवादों में आकर्षण व प्रभावोत्पादकता लाने के लिये कहीं-कहीं स्थानीय बोलचाल के व नेपाली के सरल शब्दों के साथ ही उर्दू की गजल का सम्मिश्रण भी दिखता है, जबकि रावण के दरबार में कुमाउनी शैली के नृत्य का प्रयोग किया जाता है। कुछ जगह अब फिल्मी गाने भी लेने लगे हैं। संवादों में गायन को अभिनय की अपेक्षा अधिक तरजीह दी जाती है। कुमाउनी रामलीला में नारद मोह, अश्वमेध यज्ञ, कबन्ध-उद्धार, मायावी वध व श्रवण कुमार आदि के प्रसंगों का मंचन भी किया जाता है।

संगीत पक्ष भी मजबूत

नैनीताल। कुमाउनी रामलीला में रामचरितमानस के दोहों व चौपाईयों पर आधारित गेय संवाद हारमोनियम की सुरीली धुन और तबले की गमकती गूंज के साथ दादर, कहरुवा, चांचर व रुपक तालों में निबद्ध रहते हैं। कई जगहों पर गद्य रुप में संवादों का प्रयोग भी होता है। रामलीला मंचन के दौरान नेपथ्य से गायन तथा अनेक दृश्यों में आकाशवाणी की उदघोषणा भी की जाती है। रामलीला प्रारम्भ होने के पूर्व सामूहिक स्वर में राम वन्दना ‘श्री रामचन्द्र कृपालु भजमन’ का गायन किया जाता है। दृश्य परिवर्तन के दौरान खाली समय में ठेठर (विदूशक-जोकर) अपने हास्य गीतों व अभिनय कला से दर्शकों का मनोरंजन करता है।

रामलीला अभिनय की पाठशाला भी

नैनीताल। कुमाउनी रामलीला कलाकारों के लिए अभिनय की पाठशाला भी साबित होती रही है। कोरस गायन, नृत्य आदि में कुछ महिला पात्रों के अलावा अधिकांशतया सभी पात्र पुरुष होते हैं, लेकिन इधर नैनीताल में मल्लीताल की रामलीला में राम जैसे मुख्य एवं पुरुष पात्रों को भी बालिकाओं द्वारा निभाने की मिसाल मिलती है। वहीं सूखाताल सहित अन्य जगहों पर बालिकाएं भी स्त्री पात्रों को निभा रही हैं। कुमाउनी रामलीला दिवंगत सिने अभिनेता निर्मल पाण्डेय सहित अनेक कलाकारों की अभिनय की प्रारंभिक पाठशाला भी रही है।

नृत्य सम्राट उदयशंकर व मदन मोहन मालवीय ने भी दिया योगदान

नृत्य सम्राट उदयशंकर के कल्चरल सेंटर ने कुमाउनी रामलीला में पंचवटी का सेट लगाकर उसके आसपास शेष दृश्यों का मंचन तथा छायाओं के माध्यम से फंतासी के दृश्य दिखाने करने जैसे प्रयोग किए, जिनका प्रभाव अब भी कई जगह रामलीलाओं में दिखता है। वहीं महामना मदन मोहन मालवीय की पहल पर प्रयाग के गुजराती मोहल्ले में भी सर्वप्रथम कुमाउनी रामलीला का मंचन हुआ था।

नवरात्र के अलावा गर्मियों में भी होती है रामलीला

सामान्यतया रामलीला का मंचन शारदीय नवरात्र के दिनों में रात्रि में होता है, परन्तु जागेश्वर में गर्मियों में और हल्द्वानी में दिन में भी रामलीला मंचन होने के उदाहरण मिलते हैं। नैनीताल के साथ अल्मोड़ा के ‘हुक्का क्लब’ की रामलीलायें काफी प्रसिद्द हैं। हल्द्वानी में उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत और राज्य के वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी हरवीर सिंह द्वारा भी रामलीला में दशरथ व जनक के किरदार निभाए गए हैं।

आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे उत्तराखंड के नवीनतम अपडेट्स-‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप चैनल से, फेसबुक ग्रुप से, गूगल न्यूज से, टेलीग्राम से, एक्स से, कुटुंब एप से और डेलीहंट से जुड़ें। अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें यहाँ क्लिक करके सहयोग करें..।  

यह भी पढ़ें : अरे रावण तू धमकी दिखाता किसे, मेरे मन का सुमेरू डिगेगा नहीं… विधायक पहुंची-अब केंद्रीय मंत्री पहुचेंगे..

-देर रात्रि तक जमे रह रहे रामलीला में दर्शनार्थी
नवीन समाचार, नैनीताल, 22 अक्टूबर 2023 (
Ramlila Kumaoni)। सरोवरनगरी नैनीताल में 1860 से हो रही रामलीलाओं के आयोजन की धूम मची हुई है।

इसी कड़ी में नगर के सूखाताल में आदर्श रामलीला एवं जनकल्याण समिति सूखाताल के तत्वावधान में मध्य रात्रि तक आयोजित हो रही रामलीला में गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीराम चरित मानस के अंतर्गत सुंदर कांड में आने वाले अशोक वाटिका में सीता को रावण द्वारा डराये जाने, हनुमान के अशोक वाटिका में आने और रावण पुत्र अक्षय कुमार का वध करने के उपरांत लंका दहन की लीला का आयोजन किया गया।

इस दौरान सीता एवं रावण का संवाद आकर्षण का केंद्र रहा। खासकर सीता का संवाद-अरे रावण तू धमकी दिखाता किसे मुझे मरने का खौफ-खतर ही नहीं नहीं, मुझे मारेगा अपनी खैर मना, तुझे होने की अपनी खबर ही नहीं, मेरे मन का सुमेरू डिगेगा नहीं… तथा रावण का संवाद-तुझे भरोसा उन लखन राम पर, उनको रण की नींद सुला दूंगा मैं, जो कहा है मैंने वा किया है मैंने, अपना प्रण पूरा करके दिखा दूंगा मैं..

मुख्य आकर्षण का केंद्र रहा। इस दौरान विधायक सरिता आर्य, नगर पालिका के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष डीएन भट्ट व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सैयद नदीम मून भी लीला देखने पहुंचे। आगे आयोजक संस्था के अध्यक्ष गोपाल रावत ने बताया कि केंद्रीय मंत्री व सांसद अजय भट्ट भी रामलीला में पहुंच रहे हैं।

इस दौरान राम की भूमिका में मोहित सिंह, सीता रिद्धिमा, हनुमान मोहित लाल साह, रावण रोहित वर्मा आदि का अभिनय उल्लेखनीय रहा। यहां संगीत में हारमोनियम पर नरेश चमियाल व तबले पर नवीन बेगाना भी उल्लेखनीय भूमिका निभा रहे हैं।

नगर के मल्लीताल में श्रीराम सेवक सभा की रामलीला में पिछले 30 वर्षों से रावण के रूप में अभिनय कर रहे कैलाश जोशी तथा सीता के बीच भी संवाद दर्शनीय रहा। यहां सभी पात्रों के अभिनय के साथ उनकी रूप सज्जा तथा ध्वनि एवं प्रकाश व्यवस्था आयोजन की प्रभावोत्पादकता को बढ़ाने के साथ आयोजन को बड़े स्तर पर ले जा रही है।

यह भी पढ़ें : Ramlila Kumaoni : अनेकों विशिष्टताओं के साथ नैनीताल में मची है रामलीलाओं की धूम

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 20 अक्टूबर 2023। सरोवरनगरी नैनीताल में इन दिनों अनेक विशिष्टताओं से युक्त रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) की धूम मची हुई है। उल्लेखनीय है कि नैनीताल में रामलीला की शुरुआत 1880 में दुर्गापुर-बीर भट्टी में नगर के संस्थापकों में शुमार मोती राम साह के प्रयासों से हुई थी।

भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत 1903 में तल्लीताल रामलीला कमेटी के प्रथम अध्यक्ष रहे। जबकि नगर के मल्लीताल में कृष्णा साह ने 1912 में पहली बार अल्मोड़ा से कलाकारों को लाकर रामलीला (Ramlila Kumaoni) का मंचन करवाया, जबकि स्थानीय कलाकारों के द्वारा 1918 में यहां रामलीला (Ramlila Kumaoni) प्रारंभ हुई।

(Ramlila Kumaoni)नगर में होने वाली रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) की विशेषताओं की बात करें तो नगर के मल्लीताल में श्रीराम सेवक सभा के तत्वावधान में होने वाली रामलीला में जहां समस्त महिला पात्रों को महिलायें व किशोरियां ही निभा रही हैं, वहीं नगर के सात नंबर में आयोजित होने वाली रामलीला में भी कई महिला पात्र महिलायें निभाने लगी हैं। एक ही परिवार के कई सदस्य व अलग-अलग पीढ़ियों के सदस्य भी रामलीला में एक साथ अलग-अलग पात्रों को जी रहे हैं, और रामलीलायें आज भी अभिनय की प्रारंभिक पाठशालाओं के रूप में अपनी पहचान बनाये हुये हैं।

रामलीलाओं के आयोजन में अनेकों लोग दो से तीन दशकों से लगातार भी जुड़े हुये हैं और रावण सहित कई राक्षसों के पात्र निभाने वाले कलाकार भी हैं जो इस दौरान नवरात्र के पूरे 9 दिनों तक व मध्यरात्रि के बाद रामलीला (Ramlila Kumaoni) के समापन तक व्रत यानी उपवास रखकर भी एक यज्ञ की तरह रामलीला (Ramlila Kumaoni) के आयोजन में अपना योगदान देते हैं।

मनोरंजन के ‘कहीं भी-कभी भी’ उपलब्ध होने के आज के दौर में भी रामलीला लोगों को उनकी धार्मिक भावनाओं से जोड़ते हुये रामलीला (Ramlila Kumaoni) के आयोजन तक न केवल खींचने बल्कि मध्य रात्रि के बाद तक रोके रहने में भी सफल हो रही हैं।

वहीं नगर की रामलीलाओं के आयोजन सर्वधर्म संभाव का भी अनुपम उदाहरण बने हुये हैं। न केवल मुस्लिमों सहित दूसरे धर्मों के लोग रामलीलाओं में दर्शकों के रूप में शामिल रहते हैं, बल्कि नगर के सूखाताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) में कई मुस्लिम कलाकार ऋषि-मुनियों सहित अन्य पात्रों को निभाते हैं।

इसके अलावा रामलीला के दौरान राम-केवट संवाद, वासुकी विजय व श्रवण कुमार नाटकों में पारसी थियेटर की संवादों को लंबा खींचकर या जोर देकर बोलने की झलक भी नैनीताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) की एक अलग विशिष्टता है। यह संभवतया यहां अंग्रेजी राज के दौरान अंग्रेजों के भी रामलीला में शामिल होने के प्रभाव के कारण है।

मल्लीताल की रामलीला की बात करें तो यहां कैलाश जोशी पिछले 30 वर्षों से पूरे नवरात्र में उपवास कर रावण का अभिनय करते हैं तो भीम सिंह कार्की पिछले 43 वर्षों से कलाकारों की रूप सज्जा के साथ विमल चौधरी के साथ राम-केवट संवाद की नृत्य नाटिका में भी केवट की भूमिका निभाते हैं। यहां बरसों से सभी महिला पात्र महिलायें ही करती हैं, बल्कि कुछ वर्षों पूर्व तक राम के पात्र को सोनी जंतवाल निभाती रही हैं।

इस वर्ष राम व लक्ष्मण के पात्र दो सगे भाइयों पारस व वंश जोशी के द्वारा निभाये जा रहे हैं। वहीं सीता, केकई व शूर्पणखा की भूमिकाओं में तीन सगी कोहली बहनें अभिनय कर रही हैं। रूप सज्जा में प्रभात साह गंगोला, सुधीर वर्मा, मनोज जोशी व गिरीश भट्ट, दुश्य संयोजन में चंद्र प्रकाश साह, गोधन सिंह व हीरा रावत, तथा प्रस्तुतीकरण में पूर्व पालिकाध्यक्ष मुकेश जोशी के साथ दशरथ व मेघनाद के रूप में दिवंगत बॉलीवुड कलाकार निर्मल पांडे के बड़े भाई मिथिलेश पांडे भी दशकों से रामलीला से जुड़े हैं।

उधर नगर के नव सांस्कृतिक सत्संग समिति द्वारा आयोजित रामलीला में अध्यक्ष खुशाल रावत व हिम्मत सिंह के निर्देशन में हो रहे रामलीला (Ramlila Kumaoni) के आयोजन में शिक्षक हिमांशु पांडे व उनकी शिक्षिका पत्नी दीपा पांडे के साथ पुत्र संस्कार पांडे भी क्रमशः जनक, सुनयना व सीता यानी पति-पत्नी व बेटी का अभिनय कर रहे हैं। करीब 3 दशक पूर्व राम का अभिनय करने वाले सीआरएसटी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य मनोज पांडे ने इस वर्ष यहां राम के पिता दशरथ का अभिनय निभाया है।

वहीं सूखाताल में आयोजित हो रही रामलीला (Ramlila Kumaoni) में भी सीता, केकई व सुमित्रा सहित कई चरित्रों के साथ रामलीला के आयोजन में भी महिलायें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इसके अलावा यहां की रामलीला (Ramlila Kumaoni) के मर्यादित तरीके से होने के लिये भी अपनी अलग पहचान बना रही है। यहां अन्यत्र रावण दरबार में नर्तकियों व दरबारियों के अभद्र फिल्मी गीतों पर नाचने या सुशेन बैद्य के आने के दौरान अकारण दिखाये जाने वाली अभद्र स्थितियां नहीं दिखायी जाती हैं।

यहां थियेटर के कलाकार अनवर रजा व नासिर अली भी कई भूमिकायें निभा रहे हैं। सभी कलाकार बिना पर्ची या परदे के पीछे से संवादों की प्रॉम्पटिंग के अभिनय करते है। 1956 से हो रही इस रामलीला (Ramlila Kumaoni) में इस वर्ष सभी पूर्व अध्यक्षों या उनके परिवार जनों तथा पुराने कलाकारों को भी सम्मानित किया जा रहा है। उधर, तल्लीताल की रामलीला में रूप सज्जा के कार्य में सईब अहमद दशकों से योगदान दे रहे हैं।

आज के अन्य एवं अधिक पढ़े जा रहे उत्तराखंड के नवीनतम अपडेट्स-‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। यहां क्लिक कर हमारे व्हाट्सएप चैनल से, फेसबुक ग्रुप से, गूगल न्यूज से, टेलीग्राम से, एक्स से, कुटुंब एप से और डेलीहंट से जुड़ें। अमेजॉन पर सर्वाधिक छूटों के साथ खरीददारी करने के लिए यहां क्लिक करें। यदि आपको लगता है कि ‘नवीन समाचार’ अच्छा कार्य कर रहा है तो हमें यहाँ क्लिक करके सहयोग करें..।  

यह भी पढ़ें : सुबह का सुखद समाचार: यहां कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) में राम से लेकर रावण, हनुमान तक सभी पात्रों को निभाएंगी महिलाएं…

नवीन समाचार, पिथौरागढ़, 14 सितंबर 2022। कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) का 1830 से यानी करीब 200 वर्षों का लंबा इतिहास है। कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) न केवल कुमाऊं वरन उत्तर प्रदेश के कई शहरों में आयोजित हुई है, और इसकी पूरे देश में एक अलग पहचान है। यूं नैनीताल सहित कई स्थानों पर कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) में महिलाएं भी न केवल महिला वरन भगवान श्रीराम का मुख्य एवं पुरुष पात्र भी निभाती रही हैं।

कोटद्वार, अगस्तमुनि सहित कई स्थानों पर पूर्व में महिला रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) के आयोजन की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) पर ही बात केंद्रित करें तो पिथौरागढ़ में केवल महिलाओं द्वारा सभी पात्र निभाते हुए कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) का आयोजन करने की अभिनव पहल की जा रही है। देखें विडियो :

नगर के रामलीला (Ramlila Kumaoni) मैदान में आगामी 7 अक्टूबर से शुरू होने जा रही इस अनूठी महिला रामलीला (Ramlila Kumaoni) की आयोजक उमा पांडे ने बताया कि यह महिलाओं को आगे लाने का एक प्रयास है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 2021 में उन्होंने महिलाओं की रामलीला (Ramlila Kumaoni) की शुरुआत की थी, तब कुछ पात्र पुरुषों ने भी निभाए थे।

पर इस बार सभी महिला पात्रों को अभिनय के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके प्रति महिला कलाकारों में काफी जोश एवं उत्साह भी नजर आ रहा है। रामलीला के पात्रों में बच्चियों से लेकर वृद्धाएं तक शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि रावण का किरदार नीमा पाठक निभाने जा रही हैं। वहीं सीता की भूमिका में तृप्ति, हनुमान की भूमिका में ममता पाठक काफी उत्साहित हैं। वह रामलीला (Ramlila Kumaoni) की तालीम में विशेष चौपाई शैली के संवादों के गायन व अभिनय के गुर सीख रही हैं। उधर जनपद के बेरीनाग में भी महिलाओं के द्वारा रामलीला मंचन की तैयारी की जा रही है।

बेरीनाग में भी महिलाएं ही निभाएंगी सभी चरित्र
पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग में इस वर्ष 18वें वर्ष में प्रवेश कर रही रामलीला (Ramlila Kumaoni) के मंच पर पहली बार लड़कियां मुख्य भूमिका में उतरेंगी। यहां कक्षा 9 में पढ़ रही प्रियांशी रावत राम, भावना कोरंगा लक्ष्मण और प्रियांशी सीता के किरदार निभा रही हैं। इसके लिए रामलीला (Ramlila Kumaoni) निर्देशक पंकज पंत के निर्देशन में तैयारी की जा रही हैं।

पहली बार मंच में उतरकर अभिनय करने के लिए बालिकाओं में भी काफी उत्साह है। पंकज पंत के अनुसार पहली बार बालिकाएं मुख्य किरदार में हैं तो मेहनत भी अधिक की जा रही है। उन्हें विश्वास है कि इस प्रयोग से रामलीला में नयापन भी आएगा। (डॉ. नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : सूखाताल में रामलीला (Ramlila Kumaoni) एवं वर्ष-पर्यंत होने वाले कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदारियां तय

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 24 अगस्त 2022। नगर के सूखाताल में आदर्श रामलीला (Ramlila Kumaoni) एवं जनकल्याण समिति के तत्वावधान में दो वर्ष के बाद आगामी नवरात्र में रामलीला (Ramlila Kumaoni) के मंचन की तैयारियां तेज हो गई है

गोपाल रावत की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में प्रचार प्रसार समिति की जिम्मेदारी विक्रम साह को, क्विज प्रतियोगिता की सावित्री सनवाल को, कैंटीन प्रदीप पांडेय को, पूर्वाभ्यास भूमिका पंत, कदली वृक्ष स्वागत हेमा साह व हंसा पंत, सुंदरकांड लता मेहरा व नीलू भट्ट, भंडारा हरीश तिवारी, मेकअप प्रियंका रानी, मंदिर सौंदर्यीकरण राजेंद्र बिष्ट, मंच निर्देशन पंकज पंत, नासिर अली, मदन मेहरा व अमिताभ साह आदि सदस्यों की उपस्थिति रही। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है सूखाताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni)

-सीमित संसाधनों के बावजूद 60 वर्षों से अनवरत हो रहा सफल संचालन
नैनीताल। यूं सरोवरनगरी में रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) का 1880 से चला आ रहा इतिहास है, किंतु सूखाताल क्षेत्र में वर्ष 1956 से अनवरत बेहद सीमित संसाधनों से हो रही रामलीला की अपनी अलग पहचान है।

आदर्श रामलीला एवं जन कल्याण समिति सूखाताल के तत्वावधान में आयोजित होने वाली यह रामलीला (Ramlila Kumaoni) जहां आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की परंपरागत राग-रागिनियों युक्त कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) की झलक पेश करती है, वहीं साम्प्रदायिक सौहार्द के साथ ही समाज के सभी वर्गों को मंच प्रदान करने की मिसाल पेश करना भी इसकी अलग पहचान है।

बीते वर्षों में कलाकारों पर हो रही मेहनत, नयी पीढ़ी को हस्तांतरित की जा रही इस संस्कृति के कारण भी सूखाताल की रामलीला नगर की पहचान बन गयी है। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : नैनीताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) की एक विशेषता यह भी, यहां 41 वर्षों से रामकाज कर रहे हैं भीम व विमल

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 अक्टूबर 2021। नैनीताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) की कई अनूठी विशिष्टताएं हैं। इन्हीं में दो व्यक्तियों भीम सिंह कार्की व विमल चौधरी का जिक्र करना भी जरूरी है। भीम सिंह पिछले 41 वर्षों से मल्लीताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) में रूप सज्जा का कार्य संभाल रहे हैं, जबकि करीब इतना ही समय विमल चौधरी को यहां लगातार वस्त्र सज्जा करते हुए हो गया है।

भीम सिंह बताते हैं इधर कुछ कुछ लोग इस कार्य में आ रहे हैं। रावण के पात्र कैलाश जोशी भी अपना अभिनय न होने पर मदद करते हैं, अन्यथा वह सभी पात्रों की रूप सज्जा का कार्य इतने वर्षों से लगातार रामकाज की तरह कर रहे हैं।

रामलीला (Ramlila Kumaoni) के बीच बमुश्किल वह एक दिन नृत्य नाटिका के रूप में प्रस्तुत किए जाने वाले राम-केवट संवाद के लिए निकालते हैं, जिसमें वह केवट की भूमिका में होते हैं। गौरतलब है कि नगर की तल्लीताल की रामलीला में सईब अहमद के पास रूप सज्जा की जिम्मेदारी रहती है। वह भी पूरे मनोयोग से पिछले कई दशकों से राम, रावण सहित अन्य पात्रों की रूप सज्जा करते हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : यहां 28 वर्षों से लगातार बन रहे रावण के किरदार के लिए बजती हैं सीटियां, महिला कलाकार वर्षों से बनती हैं राम

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 13 अक्टूबर 2021। सरोवरनगरी में इन दिनों शाम से लेकर मध्य रात्रि के बाद तक रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) का मंचन हो रहा है और धार्मिक माहौल बना हुआ है। इस बार नवरात्र नौ की जगह आठ ही दिन के लिए हैं, इसलिए हर दिन लीला का कुछ अधिक मंचन कर एक दिन की रामलीला को शेष आठ दिनों में जोड़कर रामलीला (Ramlila Kumaoni) की जा रही है।

नगर के मल्लीताल स्थित श्रीराम सेवक सभा द्वारा आयोजित हो गई रामलीला (Ramlila Kumaoni) की अपनी अलग पहचान, प्रसिद्धि और कलाकारों की वेशभूषा, मंच संयोजन, लाइटिंग एवं साउंड सिस्टम में भव्यता है। यहां कलाकारों का लंबा अनुभव भी उनके अभिनय में दिखता है।

उदाहरण के लिए कैलाश जोशी पिछले 28 वर्षों से यहां एवं उससे पूर्व सूखाताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) में रावण का अभिनय करते आ रहे हैं। ऐसे में उनके मंच पर आने पर सीटियां बजने लगती हैं। दर्शक मंच के आगे उनके चित्र व वीडियो लेने के साथ ही मंच के पीछे भी उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए लालायित रहते हैं। दर्शक ही नहीं राम-लक्ष्मण के पात्र भी यहां रावण के साथ फोटो खिंचवाते हैं।

इसके अलावा नैनीताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) की एक विशेषता यह भी है कि यहां न केवल कमोबेश सभी महिला किरदार महिला कलाकारों के द्वारा निभाए जाते हैं, वरन राम-लक्ष्मण जैसे मुख्य पात्र भी महिला कलाकारों के द्वारा निभाए जाते रहे हैं। यहां सोनी जंतवाल पिछले कई वर्षों से राम का चरित्र निभाती रही हैं।

नैनीताल में 1880 में हुई थी रामलीला (Ramlila Kumaoni) की शुरुआत
नैनीताल। सरोवरनगरी में 1880 में रामलीला (Ramlila Kumaoni) शुरू होने के साथ सवा सौ वर्ष से अधिक लंबा इतिहास है। यहां 1880 में नगर के दुर्गापुर-बीर भट्टी में नगर के संस्थापकों में शुमार मोती राम साह के प्रयासों से कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) कराने की शुरुआत हुई।

वहीं शहर में 1912 में पहली बार मल्लीताल में कृष्णा साह ने अल्मोड़ा से कलाकारों को लाकर रामलीला (Ramlila Kumaoni) का मंचन करवाया, जबकि स्थानीय कलाकारों के द्वारा 1918 में यहां रामलीला प्रारंभ हुई। भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत भी नगर के तल्लीताल में होने वाली रामलीला (Ramlila Kumaoni) कमेटी के प्रथम अध्यक्ष रहे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है नैनीताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni)

नैनीताल। सरोवरनगरी में रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी देखने को मिलती है। नगर के सूखाताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) में अनवर रजा जहां ऋषि विश्वामित्र सहित कई किरदार निभा रहे हैं। वहीं मल्लीताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) में मो. खुर्शीद हुसैन श्रवण कुमार के पिता शांतनु व ब्रह्मा तथा जावेद हुसैन देवराज इंद्र के किरदार निभा रहे हैं,

जबकि सूखाताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) के आयोजन में सांस्कृतिक सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे नासिर अली भी शांतनु सहित कई किरदार निभा रहे हैं। वहीं तल्लीताल की रामलीला (Ramlila Kumaoni) में मो. सईब पात्रों के मेकअप में योगदान देते हैं।

यह भी पढ़ें : रहीम बनाते हैं रावण, और सईब सजाते हैं रामलीला (Ramlila Kumaoni)

देखें 7वें दिन की पहली डिजिटल कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) :

देखें छठे दिन की पहली डिजिटल कुमाउनी रामलीला :

देखें पांचवे दिन की पहली डिजिटल कुमाउनी रामलीला : 

देखें चौथे दिन की पहली डिजिटल कुमाउनी रामलीला :

देखें तीसरे दिन की पहली डिजिटल कुमाउनी रामलीला : 

देखें दूसरे दिन की पहली डिजिटल कुमाउनी रामलीला :

देखें पहले दिन की पहली डिजिटल कुमाउनी रामलीला :

नवीन समाचार, नैनीताल, 18 अक्टूबर 2020। कोरोना काल के अनलॉक 5.0 के दौर में तमाम पाबंदियां समाप्त होने के बाद मंदिरों में आस्था एक बार पुनः उमड़ आई है। शुक्रवार को शारदीय नवरात्र शुरू होने के साथ मंदिरों में सैलानियों की पूर्व की तरह भीड़भाड़ रही। खासकर नगर की आराध्य देवी माता नयना देवी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का दर्शनार्थ तांता लगा रहा।

मंदिर प्रशासन के द्वारा थर्मल स्कैनिंग एवं फेस मास्क एवं सैनिटाइजर के प्रयोग के साथ सैलानियों को दर्शनों की अनुमति दी गई। नगर के अन्य मंदिरों में भी इस दौरान श्रद्धालुओं ने पहुंचकर शीष नवाए जबकि अन्य बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घरों से भी प्रथम नवरात्र की पूजा-आराधना की। उल्लेखनीय है इस वर्ष वासंतिक नवरात्र पर लोग कोरोना का व्यापक प्रभाव एवं लॉक डाउन होने के कारण मंदिरों में प्रवेश नहीं कर पाए थे।

डिजिटल-ऑनलाइन माध्यम से शुरू हुई रामलीला (Ramlila Kumaoni)
नैनीताल। सरोवनगरी में 1880 के दौर से शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन से दशमी तक रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) के आयोजन की ऐतिहासिक परंपरा रही है। नगर में चार स्थानों-मल्लीताल, सूखाताल, सात नंबर एवं तल्लीताल में रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) के आयोजन होते रहे हैं, जिनमें हजारों की संख्या में दर्शनार्थी देर रात्रि तक जुटते हैं।

लेकिन इस वर्ष परंपरागत तरीके से रामलीलाओं का आयोजन नहीं हो पा रहा है। अलबत्ता, नगर वासी रामलीलाओं (Ramlila Kumaoni) के दो आयोजनों को टीवी एवं ऑनलाइन माध्यम से देख सकेंगे। नगर की प्रयोगांक संस्था पहले ही जूम लेंड में डिजिटल रामलीला रिकॉर्ड कर चुकी है। इसका शनिवार शाम से केबल टीवी एवं डिजिटल माध्यमों पर प्रसारण किया जाना था। तकनीकी कारणों से पहले दिन प्रसारण प्रभावित रहा।

इसी तरह तल्लीताल की रामलीला इस बार पुराने रामलीला स्टेज में दिन में बंद कमरे में आयोजित होने के साथ इसका वीडियो रिकॉर्ड किया गया। आयोजक संस्था के अध्यक्ष रवि पांडे ने बताया कि रामलीला मंचन का परंपरागत तौर पर पूर्व अध्यक्ष भुवन लाल साह ने शुभारंभ किया। इस रिकॉर्डेड रामलीला का शाम को आठ बजे से केबल टीवी एवं ऑनलाइन माध्यम से प्रसारण किया जाएगा।

इस वर्ष दशमी पर नहीं होगा रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों का दहन
नैनीताल। नवरात्र के दौरान हर वर्ष नगर में धार्मिक-सामाजिक संस्था श्रीराम सेवक सभा के तत्वावधान में ऐतिहासिक फ्लैट्स मैदान में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया जाता रहा है। इस आयोजन में प्रति वर्ष 30-35 हजार तक लोग जुटते रहे हैं।

श्रीराम सेवक सभा के महासचिव जगदीश बवाड़ी ने बताया कि इस वर्ष कोरोना के दृष्टिगत सामाजिक दूरी बनाने के उद्देश्य से आयोजित नहीं किया जा रहा है। इसकी जगह सभा के लोग प्रतिदिन शाम को श्री हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे एवं दशमी के दिन सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा।

यह भी पढ़ें : विधायक ने सराहा ‘डिजिटल कुमाउनी रामलीला’ (Ramlila Kumaoni) का प्रयास, नवरात्र में हर रोज घर बैठे देखी जा सकेगी.. (Ramlila Kumaoni, Kumaoni Ramlila, Ramlila, Kumaon ki Ramleela, Ramleela

नवीन समाचार, नैनीताल, 13 अक्टूबर 2020। कोरोना की महामारी के दौर में इस वर्ष 1830 से अनवरत आयोजित हो रही कुमाउनी रामलीला (Ramlila Kumaoni) का क्रम टूटने की स्थितियों के बीच नैनीताल के रंगकर्मी एक नई ‘उम्मीद की किरन’ की तरह आगे आए हैं। यहां इस वर्ष एक अनोखा प्रयोग करते हुए प्रयोगांक सोसायटी फॉर सोशियल एंड इन्वारनमेंट डेवलपमेंट नैनीताल के कलाकारों के द्वारा ‘कुमाउनी रामलीला’ (Ramlila Kumaoni) आयोजित होने जा रही हैं।

इस नए प्रयोग को आगे बढ़ा रहे निर्देशक संतोख बिष्ट ने बताया कि मात्र एक सप्ताह की तैयारी में, परंपरागत रामलीला इस वर्ष छूटने न पाए इस उद्देश्य से प्रयोगांक संस्था के द्वारा बेहद सीमित साधनों में इस रामलीला (Ramlila Kumaoni) का आयोजन किया जा रहा है। रामलीला में परंपरागत राग-रागिनियों, चौपाई, छंद, दोहा व राधेश्याम वाचक आदि का प्रयोग किया जाएगा, साथ ही थियेटर की छवि भी मंचन में रखी जा रही है।

वेषभूषा में सीमित संसाधनों की वजह से परंपरागत रामलीला (Ramlila Kumaoni) से थोड़ा अलग वस्त्रों का प्रयोग किया जाएगा। उन्होंने एक दिलचस्प बात बताते हुए कहा कि इस रामलीला में नैनीताल की सभी सहित ज्योलीकोट की रामलीला कमेटियों का भी सहयोग मिल रहा है। खास बात रहेगी कि इस रामलीला में राम का चरित्र सूखाताल में राम का चरित्र निभाने वाले कलाकार निभाएंगे। इसी तरह लक्ष्मण तल्लीताल के, सीता राम सेवक सभा मल्लीताल की एवं बाणासुर व विभीषण ज्योलीकोट के होंगे।

रामलीला (Ramlila Kumaoni) की क्रिएटिव टीम में मिथिलेश पांडे, मदन मेहरा, मुकेश धस्माना व कौशल साह जगाती, सहयोगी निर्देशक चारु तिवारी, सहायक निर्देशक पवन कुमार व वैभव जोशी, असिस्टेंट डायरेक्टर-द्वितीय सोनी जंतवाल, संगीत निर्देशक नरेश चम्याल, सहयोगी संगीत निर्देशक नवीन बेगाना, संगीत सहायक रवि व संजय, कैमरा निर्देशक दीपक पुल्स, सहयोगी कैमरा निर्देशक अदिति खुराना, सहायक कैमरा निर्देशक अमित विद्यार्थी,

तकनीकी टीम में आकाश नेगी, अजय पवार, सौरभ कुमार व विनय राणा, स्टिल फोटोग्राफी अमित साह, वेषभूषा मदन मेहरा, सहायक सोनी जंतवाल व जावेद के साथ ही मेकअप में अनवर रजा, जावेद, सईब, सोनी जंतवाल व गंगोत्री के साथ ही उमेश कांडपाल ‘सोनी’, सागर सोनकर, शक्ति, लता त्रिपाठी, मो. खुर्शीद, डा. मोहित सनवाल, अमर, लक्की बिष्ट, बॉबी तथा श्रीराम सेवक सभा के अध्यक्ष मनोज साह, महासचिव जगदीश बवाड़ी व राजेंद्र बजेठा सहित अनेक अन्य लोग भी सहयोग कर रहे हैं।

(Ramlila Kumaoni, Kumaoni Ramlila, Ramlila, Kumaon ki Ramleela, Ramleela, Kumauni Ramlila, Kumauni Ramleela, Uttarakhand ki Ramlila, History of Kumauni Ramlila, Ramleela, Kumaoni Ramleela, Kumauni Ramleela, Kumauni Ramlila started in Moradabad in 1830 and not Kumaon, History of Kumaoni Ramlila, Kumauni Ramlila started in Moradabad in 1830 and not Kumaon)

 

Leave a Reply

आप यह भी पढ़ना चाहेंगे :

You cannot copy content of this page